छत्तीसगढ़

89 वर्ष की आयु में युवाओं को मुफ्त में संस्कृत की शिक्षा दे रहे हैं आचार्य रामयत्न शुक्ल, अब मिला पद्मश्री सम्मान

*89 वर्ष की आयु में युवाओं को मुफ्त में संस्कृत की शिक्षा दे रहे हैं आचार्य रामयत्न शुक्ल, अब मिला पद्मश्री सम्मान*

सबका सँदेश कान्हा तिवारी —
वाराणसी। शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवा देने वाले संस्कृत के प्रकांड विद्वान आचार्य रामयत्न शुक्ल को पद्मश्री सम्मान मिला है। आचार्य रामयत्न शुक्ल 89 वर्ष की आयु में भी नई पीढ़ी को संस्कृत की मुफ्त शिक्षा देते है। इधर, गुरुवार को उत्तर प्रदेशीय संस्कृत विद्यालयाध्यापक समिति के सदस्यों ने प्रदेश अध्यक्ष डा. गणेश दत्त शास्त्री व प्रदेश संयोजक डॉ.अभिषेक पाठक के नेतृत्व में श्री काशी विद्वत् परिषद के अध्यक्ष पद्मश्री प्रो.रामयत्न शुक्ल के खोजवाँ स्थित उनके आवास पर जाकर सम्मान किया गया । सम्मान स्वरूप स्मृति चिह्न व दुशाला ओढ़ाकर सभी ने उनका आशीर्वाद लिया । समिति के जनपद वाराणसी अध्यक्ष डॉ.सुरेश चन्द्र उपाध्याय ने माल्यार्पण कर अपने गुरुदेव प्रो.शुक्ल का अभिनन्दन किया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा पद्म सम्मान दिए जाने से संस्कृत जगत में हर्ष का माहौल है। हम सरकार के आभारी हैं ।

गौरतलब है कि आचार्य रामयत्न शुक्ल 89 वर्ष की आयु में भी युवाओं को संस्कृत के प्रति जागरूक कर रहे है। युवा पीढ़ी को संस्कृत से जोड़ने के लिए वें उन्हें मुक्त शिक्षा भी देते हैं। आचार्य रामयत्न शुक्ल ने अध्टाध्यायी की वीडियो रिकार्डिंग तैयार करवायी है,जिसके माध्यम से संस्कृत के लुप्त होते ज्ञान को सहज रूप में नई पीढ़ी तक पहुँचा रहे हैं। इसके लिए उन्हें वर्ष 2015 में संस्कृत के शीर्ष सम्मान ‘विश्वभारती’ से भी सम्मानित किया जा चुका है।

इस अवसर पर शास्त्रार्थ महाविद्यालय, श्री रामानुज संस्कृत महाविद्यालय,टीकमणि संस्कृत कालेज,काशी गुरुकुल संस्कृत विद्यालय,नन्दलाल बाजोरिया संस्कृत विद्यालय,अन्नदा कन्या विद्यालय,मुमुक्षु भवन वेद विद्यालय,भारतीय साहित्य विद्यालय,काशी विद्या मंदिर संस्कृत विद्यालय सहित अन्य कई शहरी व ग्रामीण संस्कृत महाविद्यालयों/माध्यमिक संस्कृत विद्यालयों के शिक्षक गणों ने भी पद्मश्री प्रो.रामयत्न शुक्ल का सम्मान किया । डा.अशोक पांडेय,,डा.गोविंद मिश्र,डा. शेषनारायण मिश्र,डा. अशोक ओझा,सतीश तिवारी, डा.राजेश त्रिपाठी, उमेश चंद्र तिवारी, पवन शुक्ला,डा. उमाकांत शुक्ल,डा. राधारानी,श्री प्रशांत कुमार मौर्य, डॉ०लक्ष्मी नारायण दत्त शुक्ल, अशेष नारायण द्विवेदी आदि उपस्थित थे ।

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