नियमानुसार रिसाली निगम महापौर पद होगा अजा आरक्षित
अनुसूचित जाति के जनसंख्या के आधार पर रायगढ को भी छोड़ा पीछे
रिसाली के कारण अब कोटे से मुक्त हो जाएगा चरोदा महापौर का पद
आबादी का आंकड़ा सामने आते ही बदला समीकरण
भिलाई। रिसाली नगर निगम बनने और पार्षदों के लिए वार्ड पार्षदों का आरक्षण के बाद जो रिसाली निगम में अनु. जाति की जनसंख्या सामने आई है और रिसाली निगम में 7 वार्ड जैसे अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गया है, अब इनके आबादी के कारण प्रदेश में एस सी की जनसंख्या अधिक होने के कारण आरक्षित रायगढ़ का पहला नगर निगम को भी रिसाली निगम अनु जाति के आंकडों के आधार पर पीछे छोड़ कर नंबर वन पर आ गया है। इसके कारण प्रदेश में 14 नगर निगम में दो निगम आंकड़ों के आधार पर अनु. जाति के लिए आरक्षित होगा। इस लिहाज से पहले नंबर पर आने वाले नया नगर निगम रिसाली और दूसरे नंबर पर आने वाला रायगण अब अनु. जाति के लिए आरक्षित होगा और पिछले नगर निगम चुनाव के दौरान नगर निगम भिलाई तीन चरोदा जो अनु. जाति के महापौर के लिएआरक्षित हुआ था अब वह मुक्त हो जायेगा। रिसाली निगम में अनु जाति के पद का आरक्षण होने के कारण रिसाली निगम में महापौर के प्रमुख दावेदार जितेन्द्र साहू के लिए अब संकट खड़ा हो सकता है। यदि यही स्थिति रही तो उनको यदि चुनाव लड़ाया जायेगा तो वे सभापति बन सकते हैं।
जिले के तीन निकायों के वार्ड आरक्षण की प्रक्रिया के दौरान भिलाई-चरोदा और रिसाली के आबादी का आंकड़ा सामने आने के बाद समीकरण बदल गया है।
नवगठित रिसाली नगर निगम का महापौर पद अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित होने की प्रबल संभावना उभर आई है। ऐसा इस निगम क्षेत्र में अनुसूचित जाति वर्ग की बहुलता से होने की उम्मीद है। ऐसा होने की स्थिति में जिले के भिलाई-चरोदा नगर निगम का महापौर पद अनुसूचित जाति से मुक्त हो जाएगा। हालंकि प्रदेश के सभी नगर निगमों के एक साथ किए गए माहापौर आरक्षण के दौरान भिलाई-चरोदा महापौर का पद आगामी चुनाव के लिए अनुसूचित जाति महिला पुरुष मुक्त रखा गया है। लेकिन रिसाली नगर निगम के अस्तित्व में आने और यहां के आबादी के आंकड़ों के आधार पर भिलाई-चरोदा महापौर पद का आरक्षण बदलने की पूरी संभावना बन गई है। दरअसल भिलाई-चरोदा नगर निगम क्षेत्र की कुल आबादी 2011 की जनगणना के अनुसार 98 हजार 8 है। जिसमें अनुसूचित जाति वर्ग 15 हजार 420 है। इस तरह भिलाई-चरोदा में अनुसूचित जाति वर्ग की आबादी 15.73 प्रतिशत है। दूसरी तरफ नवगठित रिसाली नगर निगम की कुल आबादी 1 लाख 8 हजार 838 में से अनुसूचित जाति की संख्या 19 हजार 73 है। जिसका प्रतिशत 17.52 होने से भिलाई-चरोदा से अधिक है। वहीं अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित रायगढ़ नगर निगम में अनुसूचित जाति वर्ग के आबादी का प्रतिशत 16.35 है। यह भिलाई-चरोदा से अधिक और रिसाली से कम है। ऐसे में प्रदेश के स्तर पर दो नगर निगम के महापौर पद को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किए जाने की स्थिति में आबादी के आंकड़े को देखते हुए वरीयता के पहले क्रम में 17.52 प्रतिशत के साथ रिसाली तथा दूसरे क्रम में 16.35 प्रतिशत के साथ रायगढ़ नगर निगम रहेगा। इस तरह अनुसूचित जाति वर्ग के आबादी की वरीयता क्रम में 15.73 प्रतिशत के साथ तीसरे क्रम में रहने से भिलाई-चरोदा महापौर का पद मौजूदा आरक्षण से मुक्त हो जाएगा।
गौरतलब है कि महापौर पद का जातिगत आरक्षण वहां उस वर्ग के आबादी के औसत अनुसार किया जाता है। पहले प्रदेश में 13 नगर निगमों में से दो का महापौर पद अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित था। इसमें वरीयता क्रम में रायगढ़ व भिलाई-चरोदा को अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित किया गया था। अब रिसाली नगर निगम के अस्तित्व में आने से प्रदेश में कुल 14 नगर निगम हो गए हैं।
बावजूद इसके नियमों के तहत प्रदेश में दो ही निगम का महापौर अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित रहेगा। इस लिहाज से रिसाली और रायगढ़ निगम का महापौर पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो जाने से भिलाई-चरोदा निगम जातिगत आरक्षण से मुक्त हो जाएगा।
रिसाली के दावेदारों का टूटेगा सपना
रिसाली नगर निगम का उदय भिलाई नगर निगम से टूटकर हुआ है। भिलाई निगम में शामिल रहने के दौरान इस क्षेत्र में 13 पार्षद हुआ करते थे। प्रदेश के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस की सरकार आने पर रिसाली को पृथक नगर निगम बनाने की घोषणा की थी। मंत्री साहू के प्रयास से रिसाली नगर निगम अस्तित्व में आया और यहां 40 वार्ड बन गए। इसके साथ ही कांग्रेस और भाजपा से सामान्य व अन्य पिछड़ा वर्ग के कई नेताओं की महापौर पद के लिए दावेदारी समय-समय पर सामने आती रही है। लेकिन वार्ड आरक्षण प्रक्रिया के दौरान अनुसूचित जाति आबादी का प्रतिशत 17.52 होने का खुलासा होते ही सामान्य व पिछड़ा वर्ग से महापौर बनने की तैयारी कर रहे नेताओं में संशय उभर आया है।
चरोदा में छटेंगे निराशा भरे बादल
पांच साल पहले नगर निगम भिलाई-चरोदा का गठन होने के बाद महापौर का पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने से सामान्य व पिछड़ा वर्ग में निराशा छा गई थी। लेकिन रिसाली नगर निगम में अनुसूचित जाति की आबादी का आंकड़ा भिलाई-चरोदा से अधिक होने का पता चलते ही निराशा भरे बादल छंटने की उम्मीद से सामान्य व पिछड़ा वर्ग के राजनीतिक शख्सियतों में खुशी छिपाये नहीं छिप रही है। भिलाई चरोदा निगम, अहिवारा विधानसभा का हिस्सा है और महापौर के साथ ही विधायक का पद भी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रहने से सामान्य व पिछड़ा वर्ग को राजनीति का बेहतर मंच नहीं मिलने से निराशा का भाव बना हुआ है। ऐसे में महापौर पद अनुसूचित जाति के आरक्षण से मुक्त हो जाने पर नया राजनीतिक समीकरण बनेगा।