आरक्षण रिसाली नगर निगम:
जिन लोगों की आबादी के आधार पर वार्डोँ को किया गया आरक्षित, वे नही लड़ पायेंगे चुनाव
भिलाई। नगर निगम रिसाली के पुरैना में आने वाले तीनों वार्ड के आरक्षण में एक बार फिर अजीब विसंगति नजर सामने आई है। यहां के वार्ड क्रमांक 38, 39 और 40 अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हुआ है। जिनकी बदौलत इन तीनों वार्ड को जातिगत आरक्षण के दायरे में रखा गया है उनकी यहां होने वाले चुनाव में बतौर प्रत्याशी कोई भागीदारी नहीं रहेगी। इसके लिए आंध्रप्रदेश व ओडिशा मूल के स्थानीय लोगों को अनुसूचित जाति के होने के बावजूद आरक्षण का लाभ नहीं मिलना असल कारण है।
नवगठित नगर निगम रिसाली में आगामी चुनाव के लिहाज से 40 वार्डों का आरक्षण शनिवार को हो गया। इस प्रक्रिया में पुरैना के तीनों वार्ड अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित किया गया है। वार्ड क्रमांक 38 स्टोरपारा पुरैना और वार्ड क्रमांक 40 पुरैना बस्ती अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित हुआ है। वहीं वार्ड क्रमांक 39 एनएसपीसीएल पुरैना को अनुसूचित जाति मुक्त रखा गया है। किसी भी निकाय में अनुसूचित जाति वर्ग के लिए वहां के कुल आबादी के औसत के आधार पर आरक्षण नियमों का पालन करते हुए किया जाता है। इसमें वार्डों की संख्या तय कर अनुसूचित जाति वर्ग के बहुलता का वरीयता क्रम के अनुसार आरक्षित किया जाता है। रिसाली निगम में अनुसूचित जाति वर्ग के लिए 40 में से 7 वार्ड आरक्षित हुए हैं। जिसमें से पुरैना के तीनों वार्ड शामिल है। विडंबना यह है कि अनुसूचित जाति के लिए जिन लोगों की आबादी के आधार पर इन तीनों वार्ड को आरक्षित किया गया है। उनको निगम चुनाव में प्रत्याशी बनने का मौका नहीं मिल पाएगा।
दरअसल, पुरैना में आंध्रप्रदेश और ओडिशा मूल के लोगों की बहुलता है। इनमें से ज्यादातर अनुसूचित जाति वर्ग से ताल्लुक रखते हैं। आंध्रप्रदेश मूल के अनुसूचित जाति में आने वाले अपना जाति माला लिखते हैं। वहीं इसी वर्ग के ओडिशा मूल के लोग अपने जाति वाले कालम में गाड़ा अथवा डोम दर्ज कराते हैं। छत्तीसगढ़ के मान्यता पात्र अनुसूचित जाति की सूची में माला जाति का कोई उल्लेख नहीं है। वहीं गाड़ा जाति का उल्लेख होने के बावजूद ओडिशा मूल के लोग 1950 से पहले छत्तीसगढ़ में निवासरत रहने के प्रमाण न होने से जाति प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं कर पाते। सक्षम अधिकारी से जारी अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र नहीं होने से पुरैना में रहने वाले आंध्र मूल के माला व ओडिशा मूल के गाड़ा अथवा डोम जाति से ताल्लुक रखने वालों को पार्षद चुनाव लडऩे की पात्रता नहीं मिल सकेगी।
यहां पर यह बताना भी लाजिमी होगा कि जनगणना के दौरान पुरैनावासी आंध्र व ओडिशा मूल के लोग अपनी जाति को अनुसूचित जाति होने की जानकारी उपलब्ध कराते हैं। इसी आधार पर पुरैना के तीनों वार्ड अनुसूचित जाति वर्ग की बहुलता वाले बन गए हैं। यही बहुलता इन वार्डो को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किए जाने का मापदंड बनी है। लेकिन जिन जातियों के लिए ये तीनों वार्ड अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किए गए हैं उन्हीं को पार्षद बनने का मौका नहीं मिल सकेगा।
सामान्य और ओबीसी वर्ग में छायी मायूसी
20 वर्षों में चार चुनाव के लिए पुरैना वार्ड अनुसूचित जाति के खाते में बना रहा। भिलाई से अलग होकर रिसाली निगम में शामिल होने के बाद तीन वार्ड बन जाने से पुरैना के सामान्य तथा अन्य पिछड़ा वर्ग से ताल्लुक रखने वालों में पार्षद बनने की उम्मीद जागी थी। लोगों को लगा था कि तीन में से कोई न कोई वार्ड अनुसूचित जाति से मुक्त जरुर हो जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और तीनों वार्ड अनुसूचित जाति के लिए आबादी के लिहाज से आरक्षित हो गए। इसके बाद बरसों से राजनीति करने वाले कांग्रेस और भाजपा के सामान्य व पिछड़ा वर्ग के नेताओं में मायूसी छा गई है।
छिन गया था पार्षद पद
भिलाई निगम में रहने के दौरान संपूर्ण पुरैना एक वार्ड में समाहित था। उस दौरान भी यह वार्ड अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रहा। यहां वर्ष 2000 के पहले चुनाव में स्थानीय सतनामी समाज से ताल्लुक रखने वाले दशरथ भारद्वाज कांग्रेस की टिकट पर पार्षद चुने गए। वर्ष 2005 के दूसरे चनाव में भाजपा के धन्नू नाग पार्षद चुने गए। धन्नू का ताल्लुक ओडिशा मूल के अनुसूचित जाति वर्ग से था। लेकिन उनके जाति प्रमाण पत्र को लेकर किसी प्रकार की चुनौती नहीं मिलने से वे अपना पंचवर्षीय कार्यकाल पूरा करने में सफल रहे। इसी चुनाव में भाजपा ने पहले ओनादीन को अपना प्रत्याशी घोषित किया था। लेकिन ओडिशा मूल के ओनादीन का जाति प्रमाण पत्र नामांकन के दौरान अमान्य कर दिया गया। वर्ष 2010 के तीसरे चुनाव में धन्नू नाग की पत्नी पूर्णिमा नाग बतौर निर्दलीय पार्षद चुनी गई। लेकिन हाईकोर्ट में दी गई चुनौती के बाद छानबीन समिति के द्वारा पूर्णिमा नाग के जाति प्रमाण पत्र को निरस्त किए जाने से उनकी पार्षदी छिन गई। बाद में उपचुनाव हुआ तो भाजपा की मधु लहरे, पार्षद चुनी गई। वर्ष 2015 के पिछले चुनाव मेेंं भाजपा व कांग्रेस ने सतनामी समाज के प्रत्याशी उतारने में भलाई समझी। इसमें कांग्रेस के भावसिंह सोनवानी ने भाजपा की रीतू कोसरे को पराजित किया।