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मौजूदा पार्षदों के भविष्य पर टिकी निगाहेंजिले के तीन निकायों के वार्डों के आरक्षण के एलान से बढ़ी राजनीति सरगर्मी, Eyes set on the future of current councilors Announcement of reservation of wards of three bodies of the district increased politics

भिलाई पर संशय बरकरार,रिसाली में दिख रहा उत्साह
भिलाई / दुर्ग जिले के तीन नगरीय निकायों भिलाई तीन-चरोदा, रिसाली निगम एवं जामुल नगर पालिका में वार्ड आरक्षण का एलान हो गया है लेकिन भिलाई नगर निगम में परिसीमन के मामले का हाईकोर्ट में मामला होने के कारण यहां अभी चुनाव में संशय बरकरार है। जिले के निकायों के चुनाव के लिए आरक्षण किये जाने का एलान होते ही चुनावी राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। राजनीतिक गलियारे में मौजूदा पार्षदों के भविष्य को लेकर चर्चा का दौर चल पड़ा है। इसके साथ ही भिलाई-चरोदा और रिसाली नगर निगम सहित जामुल नगर पालिका क्षेत्र में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है।
वार्डों के आरक्षण की घोषणा के साथ ही भिलाई-चरोदा, रिसाली व जामुल निकाय के चुनाव की दस्तक पड़ गई है। 22 जनवरी को भिलाई-चरोदा नगर निगम व जामुल पालिका के वार्डो का आरक्षण तय हो जाएगा। अगले दिन 23 जनवरी को नवगठित रिसाली नगर निगम के वार्ड आरक्षण की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। यह प्रक्रिया जिला कलेक्टर सभाकक्ष में संपन्न होगी। इस प्रक्रिया के पूरी होने के साथ ही पार्षद पद के दावेदारों के राजनीतिक भविष्य पर छाया कुहांसा छंट जाएगा। दरअसल, वार्ड आरक्षण की स्थिति स्पष्ट हो जाने के बाद ही दावेदारों की चुनावी पात्रता का पता चल सकेगा। मौजूदा पार्षदों में से कई को अपना परंपरागत वार्ड अनुकूल आरक्षण के अभाव में छोडऩा पड़ सकता है। यह स्थिति नये दावेदारों के साथ ही बनी हुई है। निगम व पालिका के कार्यकाल खत्म होने से पहले पिछले चुनाव में पराजित प्रत्याशी तैयारी में जुटे हुए हैं। ऐसे दावेदारों को वार्ड आरक्षण के दौरान निराशा हाथ लगने की संभावना से इंकार नहीं किया जा रहा है। यहां पर यह बताना भी लाजिमी होगा कि निकायों की आबादी के हिसाब से अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए निश्चित वार्ड रखे गए हैं। ऐसे वार्डों में जातिगत आधार पर महिला अथवा महिला पुरुष को समाहित रखते हुए आरक्षण किया जाता है। इस बार चक्रानुक्रम पद्धति के चलते जातिगत आरक्षण वाले महिला आरक्षित वार्ड को महिला, पुरुष दोनों के लिए तय किया जाएगा। वहीं जो वार्ड पिछले चुनाव की स्थिति में महिला व पुरुष दोनों के लिए पात्र थे इनको महिला के लिए आरक्षित कर दिया जाएगा। नगरीय निकाय चुनाव में सबसे अधिक राजनीतिक सरगर्मी सामान्य वार्डों में देखी जाती है। वार्ड आरक्षण की तारीखों का एलान होते ही यह साफ नजर आ रहा है। सामान्य वार्ड चक्रानुक्रम के तहत महिला व अन्य पिछड़ा वर्ग में बदल सकते हैं। ऐसे में भिलाई-चरोदा व जामुल के कई वर्तमान पार्षदों को वार्ड आरक्षण के चलते अपनी दावेदारी या तो छोडऩी पड़ेगी या फिर चुनाव लडऩे के लिए किसी दूसरे वार्ड का रुख करना पड़ सकता है। इसी बात को लेकर तीनों निकाय क्षेत्र में राजनीतिक चर्चाएं जोर पकडऩे लगी है। भिलाई को लेकर नहीं छंटा संशय भिलाई नगर निगम का कार्यकाल 21 जनवरी को खत्म होने जा रहा है। लेकिन यहां पर नये चुनाव को लेकर छाया संशय छंटने का नाम नहीं ले पा रहा है। भिलाई निगम के वार्डों का आरक्षण नहीं कराये जाने से जून में चुनाव होने को लेकर संदेह उभर आया है। इसके लिए यहां के वार्डों के परिसीमन का मामला उच्च न्यायालय में लंबित होने को जिम्मेदार माना जा रहा है। दरअसल भिलाई निगम के वार्ड परिसीमन में विसंगति का हवाला देकर उच्च न्यायालय में आपत्ति दर्ज कराई गई है। उच्च न्यायालय ने भिलाई निगम को नियमों के तहत फिर से वार्डों का परिसीमन कराने का निर्देश दिया है। लेकिन अब तक यह काम नहीं हो पाया है। लिहाजा माना जा रहा है कि परिसीमन पर न्यायालय की मुहर लगने के बाद ही वार्डों का आरक्षण कर यहां नया चुनाव कराया जाएगा। रिसाली में दिख रहा उत्साह रिसाली नगर निगम को भिलाई से अलग करके नया निकाय बनाया गया है। भिलाई में शामिल रहते हुए रिसाली निगम का वर्तमान क्षेत्र महज 13 वार्डों में विभक्त था। नया निगम बनने से यहां 40 वार्ड बनाये गए हैं। पहले जहां इस क्षेत्र में केवल 13 पार्षद हुआ करते थे। अब पार्षदों की संख्या 40 रहेगी। इससे नये जनप्रतिनिधियों को उभरने का मौका मिलेगा। पिछले बार के 13 पार्षदों को वार्ड आरक्षण के बावजूद इस लिहाज से खास दिक्कत नही पेश आएगी। क्योंकि उनके कार्यक्षेत्र में रहे वार्डों का विभाजन होने से उनके पास बेहतर विकल्प मौजूद रहेगा। इस बार पार्षदों के बहुमत से महापौर चुना जाएगा। लिहाजा क्षेत्र के अनेक दिग्गजों के भी पहली बार निगम के लिए हो रहे चुनाव में उतरने की पूरी संभावना है ।

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