छत्तीसगढ़

कामठी में आदिवासी समाज ने रचाया 20 जोड़ों का सामूहिक विवाह

कामठी में आदिवासी समाज ने रचाया 20 जोड़ों का सामूहिक विवाह

 सबका संदेस न्यूज़ छत्तीसगढ़ कवर्धा-  विकासखण्ड पंडरिया के बड़ादेव ठाना प्रतापगढ़ कामठी में दो दिवसीय गोंडवाना दुल्हीपेन-दुल्हापेन शक्ति प्रतिस्थापना महोत्सव 2019 का भव्य आयोजन कि गया। जिसमें गोंड़वाना आदर्श समूहिक विवाह समीति प्रतापगढ़ कामठी द्वारा समाजिक रीति रिवाज से 160 जोड़ों का सामूहिक विवाह धूमधाम एवं हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न कराया गया। 6 मई से 7 मई तक आयोजित इस महोत्सव के प्रथम चरण में दीपप्रज्जवलक के रूप में तिरूमाल राजा खडग़राज सिंह अध्यक्ष नगर पंचायत स. लोहारा उपस्थित थे। वहीं मुख्य अतिथि के रूप में तिरूमाल कवासी लखमा मंत्री छत्तीसगढ़ शासन उपस्थित थे। अध्यक्षता तिरूमाल शीशुपाल सिंह सेानी विधायक कांकेर ने की। इसी प्रकार द्धितीय चरण के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में तिरूमाल दादा हीरा सिंह मरकाम राष्ट्रीय अध्यक्ष गोंगपा उपस्थित थे। अध्यक्षता तिरूमाल राजा योगेश्वरराज सिंह पूर्व विधायक ने की। कार्यक्रम के प्रथम चरण का शुभारंभ राजा खडग़राज सिंह ने बकायदा बड़ादेव की पूजा अर्चना कर तथा दीप प्रज्जवलित कर किया। इस अवसर पर उन्होंने उपस्थित समाज के लोगों को जागरूक करते हुए कहा कि यह बेहद प्रशन्नता का विषय है कि गोंड़वाना आदर्श समूहिक विवाह समीति प्रतापगढ़ कामठी ने इस दो दिवसीय महोत्सव के दौरान समाज के 20 जोड़ों को समूहिक विवाह सम्पन्न कराया है। उन्होंने नवविवाहित जोड़ों को नवदाम्पत्य जीवन की बधाई व शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आज से आपका नवजीवन प्रारंभ हो रहा है और इस नवजीवन में आप यहां से एक संकल्प लेकर जाएं कि आप अपनी आने वाली संतान को पहली दूसरी या आठवीं, दसवीं, बारहवीं तक नहीं बल्कि कॉलेज तक की पढ़ाई कराएं। उन्होंने समाज के लोगों को जानकारी देते हुए कहा कि 2001 की जनगणना के मुताबिक हमारे देश में आदिवासी भाई-बहनो की जनसंख्या 9 करोड़ के आसपास है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी की कि इसमें से मात्र 30 प्रतिशत आदिवासी समाज ही साक्षर अथवा शिक्षित है उसमें भी अगर महिलाओं की बात की जाए तो महिलाओं की साक्षरता दर मात्र 1 प्रतिशत है। मतलब आदिवासी समाज के 70 प्रतिशत लोग अशिक्षित हैं। उन्होंने कहा कि इस स्थिति में हम समाज के विकास की कल्पना कैसे कर सकते हैं? इसके लिए हमें और समाज के तमाम संगठनो को आगे आना होगा तथा समाज में शिक्षा की अलख जगानी होगी, क्योंकि शिक्षा के आभाव में ही हमारा समाज पहले भी पिछड़ा था और आज भी पिछड़ा है। इस कार्यकम को अन्य अतिथियों ने भी संबोंधित किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से चैतराम राज, ललित सिंह धुर्वे, विश्वनाथ पोर्ते, हॉटल सिंह धुर्वे, करम सिंह, निर्मला मण्डावी, संतराम धुर्वे नीलू मरावी सहित सैकड़ों की संख्या में आदिवासी समाज के लोग उपस्थित थे।

 

 

 

 

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