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सबका संदेश न्यूज़
ओडिशा के तटीय जिलो में शुक्रवार को फैनी तूफान ने अपना कहर बरपाया लेकिन भारतीय मौसम विभाग की चेतावनी प्रणाली में आए सुधार की वजह से लाखों लोगों को समय रहते सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया गया। केंद्र-राज्य के बीच बेहतर समन्वय और भारी मात्रा में एनडीआरएफ की तैनाती ने मृतकों की संख्या को काफी सीमित कर दिया।
सरकार ने आधिकारिक तौर पर मृतकों की संख्या छह बताई है जबकि कई रिपोर्ट में यह संख्या आठ बताई जा रही है। यदि तूफान की गंभीरता को देखें तो मरने वालों की संख्या काफी कम है। जबकि इससे पहले के तूफान में मरने वालों का आंकड़ा ज्यादा रहता था। ऐसा नहीं था कि फैनी तूफान के रास्ते में आने वाले क्षेत्र इससे अनछुए रहे।
पुरी में कच्चे घरों को काफी नुकसान पहुंचा है। 160 लोगों को अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है। एसपी और डीएम के आवास को बुरी तरह क्षति पहुंची है और बिजली आपूर्ति गंभीर रूप से बाधित रही। हालांकि मौसम विभाग के नए क्षेत्रीय तूफान मॉडल (रीजनल हरिकेन मॉडल) जो भारत की चक्रवातों में जीरो कैजुएलिटी (हादसा शून्य) का हिस्सा है उसकी मदद से हजारों लोगों की जान बचाने में मदद मिली।
इसने दिखाया है कि कैसे 1999 से अब सटीक ट्रैकिंग और पूर्वानुमान लगाने की दिशा में प्रगति हुई है। 1999 में आए सुपर साइक्लोन ने 10,000 लोगों की जान ली थी। हजारों लोगों को बेघर कर दिया था और हजारों स्कवायर फीट में तबाही का मंजर देखने को मिला था।
तीन महीने पहले शुरू हो गई थी तैयारी
जनवरी में बांग्लादेश ने इस तूफान का नामकरण किया था। तभी से मौसम विभाग स्वयंसेवी संस्थाओं के जरिए लोगों को इसके लिए जागरूक कर रहा था। फरवरी से रेडक्रॉस और क्रीसेंट सोसाइटी तटीय क्षेत्रों में बसे लोगों को प्लास्टिक और बांस से घर बनाने की सलाह दे रहे थे।
20 साल की तैयारी
ओडिशा में संपत्ति का नुकसान तो हुआ पर लोगों पर इसका असर नहीं हुआ। इसकी बड़ी वजह थी ओडिशा सरकार की पहले से तैयारी। ओडिशा के स्पेशल रिलीफ कमिश्नर विष्णु पद सेठी ने बताया कि 1999 में रेड क्रॉस के 23 साइक्लोन शेल्टर थे जिनमें 42 हजार लोगों को आश्रय मिला था। उससे हमें साइक्लोन शेल्टर निर्मित करने की प्रेरणा मिली। यह ध्यान रखा गया कि गांववालों को शेल्टर तक पहुंचने के लिए सवा दो किमी से ज्यादा न चलना पड़े। आज राज्य में 879 मल्टीपरपज साइक्लोन शेल्टर हैं। ये शेल्टर गोल खंभों पर खड़े हैं। भूतल खाली रहता है ताकि तेज हवा आसानी से निकल जाए और खंभे जमीन के नीचे भी 40 फीट तक गहरे होते हैं। यह भवन 300 किमी प्रति घंटे की हवा झेल सकता है।
एनडीआरएफ के जवानों ने तीन दिन में खाली करवाया गांव
तटीय क्षेत्रों में एनडीआरएफ के जवान तीन पहले ही पहुंच गए थे और लोगों से सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील कर रहे थे। मौसम विभाग रेडियो और सोशल मीडिया के जरिए लोगों को चक्रवात की चेतावनी और जरूरी सावधानियों के बारे में बता रहे थे।
दो दिन पहले केंद्र सरकार ने जारी किए 1400 करोड़ रुपये
तूफान से पहले तटीय इलाकों के लिए केंद्र सरकार ने आपदा फंड से लगभग 1400 करोड़ रुपये जारी किए थे। भारतीय नौसेना, भारतीय वायुसेना और तटरक्षक बल की स्थानीय टुकड़ियों को पांच दिन पहले से अलर्ट कर दिया गया था। तटीय राज्यों में नौसेना ने 10 से ज्यादा जहाजों की तैनाती की थी।