उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए नीति आयोग सीईओ ने की सराहना, कोण्डागांव को प्राप्त हुआ 03 करोड़ का अतिरिक्त आबंटन
सितम्बर से अक्टूबर 2020 के दौरान सुपोषण, सूक्ष्म सिंचाई, संस्थागत प्रसव जैसे मानकों में हुई वृद्धि
कोण्डागांव। भारत सरकार ने 115 आकांक्षी जिलों की डेल्टा रैंकिग में सितम्बर से अक्टूबर 2020 के दौरान कोण्डागांव जिले के प्रभावशाली प्रदर्शन के लिए 3 कारोड़ रूपये की अतिरिक्त सहायता राशि आबंटित की है साथ ही नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने जिले के अंतर्गत कुपोषण से मुक्ति एवं महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए किये गये कार्यो के लिए कोण्डागांव कलेक्टर पुष्पेन्द्र कुमार मीणा की सराहना की एवं गुड सर्विस एंट्री की अनुशंसा की। यह आबंटन मुख्य रूप से कुपोषण में कमी एवं स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के कारण दिया गया। जिले में चलाये जा रहे सुपोषण अभियान के अंतर्गत नंगत पिला (हल्बी में स्वस्थ बच्चा) कार्यक्रम के फल स्वरूप कुपोषण 14.60 प्रतिशत की कमी आयी है।
यह सम्मान जिले को सितम्बर से अक्टूबर 2020 के दौरान भारत सरकार द्वारा तय किये गये मापदण्डो में उत्साह वर्धक विकास के लिए दिया गया है। इसमें मुख्यतः प्रथम 3 माहों में प्रसव पूर्व जांच के लिए पंजीकृत महिलाओं के प्रतिशत में 5.2 प्रतिशत वृद्धि, गम्भीर एनीमिया से पीड़ित सभी एनीमिक गर्भवती महिलाओं का उपाचार शत् प्रतिशत हुआ जो कि पिछले माह तक केवल 67.7 प्रतिशत रहा था, जन्म के समय लिंगानुपात 980 से बढ़कर 1129 दर्ज किया गया, संस्थागत प्रसव भी 13.40 प्रतिशत बढ़कर 98.87 प्रतिशत रहा, वही 99.59 प्रतिशत नवजात शिशुओं का प्रसव उपरांत वजन भी किया गया। इसके साथ ही ई पंचायतों, पशुओं के कृत्रिम गर्भाधान सूक्ष्म सिंचाई एवं बेघरों के लिए पक्के घरों के निर्माण में भी वृद्धि हुई।
कलेक्टर श्री मीणा ने इस उपलब्धि को जिला प्रशासन एवं संबंधित सभी विभागों की संयुक्त टीम की उपलब्धि बताते हुए सभी को बधाईयां दी एवं कहा कि इसी प्रकार सभी के संयुक्त प्रयास से ही जिले के विकास को सुनिश्चित कर सभी मानकों में उत्कृष्ट प्रदर्शन द्वारा जिले को आकांक्षी जिलों में सर्वोत्कृष्ट रैंकिंग दिलाया जा सकता है, इसके लिए सभी को मिलकर प्रयास करना है।
नंगत पिला से कुपोषण में 14.60 प्रतिशत की आयी कमी
जिले में कलेक्टर के रूप में पदभार ग्रहण करने के पश्चात श्री मीणा ने जिले के ग्रामीण ईलाको में गम्भीर कुपोषण की स्थिति को देखते हुए राज्य शासन की महात्वाकांक्षी योजना सुपोषण अभियान के अंतर्गत ही नंगत पिला (स्वस्थ्य बच्चा) कार्यक्रम शुरू किया। इस कार्यक्रम के अंतर्गत जिले के 0 से 05 वर्ष तक के सभी 57 हजार बच्चों की स्वास्थ्य की जांच कर कुपोषित बच्चों की पहचान की गई चूंकि अंतिम वजन त्यौहार फरवरी 2019 में आयोजित किया गया था, अतः कुपोषित बच्चों की पहचान आवश्यक थी। अगस्त 2020 तक पूर्ण की गई जांच उपरांत कुल 19 हजार बच्चों में कुपोषण पाया गया। तत्पश्चात् इन बच्चों में कुपोषण के कारणों की पहचान के लिए उप स्वास्थ्य घरों में डाॅक्टरों द्वारा शिविर लगाकर प्रश्नावलियों के माध्यम से बच्चों से कुपोषण के मूल कारणों का पता लगाया गया। इन कारणों का आॅनलाईन डेटाबेस तैयार किया गया एवं गांव के युवाओं को ‘सुपोषण मित्र‘ के रूप में ग्रामों में सुपोषण को बढ़ावा देने का कार्य दिया गया। प्रत्येक ग्राम हेतु जिला स्तरीय नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की गई जो की अपने ग्राम में अभियान के निरीक्षण द्वारा इसकी सफलता को सुनिश्चित करते हैं। इस प्रकार 0 से 05 वर्ष के बच्चों में फरवरी 2019 के स्तर से 14.60 प्रतिशत की कमी सितम्बर 2020 में दर्ज की गई। कोरोना संक्रमण के दौर में भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सुपोषण मित्रों, डाॅक्टरों, स्वास्थ्य कर्मियों, नोडल अधिकारियों एवं प्रशासनिक टीम के सहयोग के साथ ही कलेक्टर द्वारा नियमित रूप से कार्यक्रम की माॅनिटरिंग से निरंतर कुपोषण के स्तर में कमी देखी जा रही है। नंगत पिला कार्यक्रम के माध्यम से कुपोषण को निम्न स्तर में लाने का प्रयास लगातार प्रशासन द्वारा किया जा रहा है।
जिला प्रशासन द्वारा तैयार किया जा रहा है सेक्टोरल प्लान
सुपोषण के साथ ही जिले के सभी क्षेत्रों में चहूंमुखी विकास के लिए जिला प्रशासन द्वारा सेक्टोरल प्लान तैयार किया जा रहा है, जिसके तहत् स्वास्थ्य, शिक्षा, अधोसंरचना निर्माण, गुड गर्वनेंस आदि क्षेत्रों में विकास हेतु समन्वयित प्रयास किया जाना है, इससे न सिर्फ जिले का विकास होगा अपितु नीति आयोग द्वारा निश्चित मानकों में वृद्धि से आयोग द्वारा तैयार की जाने वाली आकांक्षी जिलों की रैंकिंग में भी जिले को अव्वल स्थान प्राप्त होगा।