सेल अध्यक्ष अनिल चौधरी ने की प्रियदर्शी की पुस्तक दिल्ली बाइट्स की प्रशंसा
![](https://sabkasandesh.com/wp-content/uploads/2020/12/pustak-prashansha.jpg)
भिलाई। स्टील अथॉरिटी ऑफ इण्डिया लिमिटेड के अध्यक्ष, अनिल कुमार चौधरी ने भिलाई इस्पात संयंत्र के उप महाप्रबंधक मानव संसाधन विकास अमूल्य प्रियदर्शी द्वारा लिखित पुस्तक दिल्ली बाइट्स नॉस्टेल्जिया फ्रॉम द नाइनटीज का विमोचन होने पर उन्हें बधाई व शुभकामनाएँ दी तथा इस पुस्तक की सफलता की कामना की।
विदित हो कि बीएसपी के उप महाप्रबंधक एचआरडी अमूल्य प्रियदर्शी बचपन से ही सृजनात्मक लेखन की ओर अग्रसर रहे। यही कारण है कि बाल्यावस्था से ही लेखन और संपादन के साथ वाद-विवाद, ड्रामा, क्विज और डबिंग आदि के प्रति उनका झुकाव होता गया और उक्त विषयों से संबंधित प्रतियोगिता में वे भाग लेते रहे। अमूल्य प्रियदर्शी ने मुख्यधारा के लेखन के क्षेत्र में कदम रखा है। अमूल्य प्रियदर्शी द्वारा लिखित दिल्ली बाइट्स नॉस्टेल्जिया फ्रॉम द नाइनटीज पुस्तक को द बुक बेकर्स द्वारा लॉकस्ली हॉल पब्लिशिंग एलएलपी द्वारा फेसबुक में लॉन्च किया गया। इस पुस्तक को युवा पाठकों से अद्भुत प्रतिक्रिया मिली है। यह पुस्तक अमेजन और पुस्तक मंडी जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है।
सेल अध्यक्ष अनिल कुमार चौधरी ने लेखक अमूल्य प्रियदर्शी के पुस्तक के फेसबुक पर लॉन्च के अवसर पर श्री प्रियदर्शी को प्रशंसा पत्र भेजा है और कहा है कि मेरे लिए गर्व और खुशी का क्षण है कि सेल के एक सहकर्मी ने दिल्ली बाइट्स नामक पुस्तक लिखी है। इस पुस्तक में लिखी गई विषयवस्तु हृदय को छू लेने वाली है। इसमें केन्द्रिय चरित्र वह है जिसके साथ शहर में अपना जीवन व्यतीत करने वाला कोई भी व्यक्ति अपने आप को पहचान सकता है। इस पुस्तक की भाषा अत्यंत ही सरल है, पाठकों के लिए रूचिकर है और उन्हें आगे बढऩे के लिए प्रेरित करती है। यह व्यक्ति को उनके उदासीन अतीत में ले जाता है। सेल अध्यक्ष ने कहा कि भविष्य में ऐसे कई और साहित्यिक योगदानों की उम्मीद है। अपनी काल्पनिक पुस्तक में श्री अमूल्य प्रियदर्शी ने 1990 के दशक में दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज में राजनीति विज्ञान के छात्रनायक श्री अमित माथुर की कहानी को दर्शाया है। यह पुस्तक दिल्ली की खुली संस्कृति के साथ ही श्री माथुर के पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित और दोस्तों के साथ विलासतापूर्ण जीवन को उजागर करती है और उन्हें अपने कॉलेज जीवन में मंडल विरोधी आंदोलन का खामियाजा भुगतना पड़ा। पुस्तक पाठकों को अंत तक बांधे रखती है