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कृषि कानून के खिलाफ किसानों के समर्थन में लोगों ने बजाया ताली-थाली-ढोल-नगाड़ा

किसान सभा ने सरकार को चेताया ,दमन से बाज आये सरकार

दुर्ग। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर आज पूरे देश के किसानों के साथ ही पूरे छत्तीसगढ़ के अलावा भिलाई के सिविक सेटर के अलावा अन्य स्थानों पर भी लोगों ने मोदी सरकार की कृषि विरोधी नीतियों के खिलाफ ताली-थाली-ढोल-नगाड़ा बजाकर अपना विरोध प्रकट किया और किसान विरोधी तीन कानूनों और बिजली संशोधन विधेयक को वापस लेने की मांग की।

इस दौरान लोगों ने  कहा कि मोदी को अपने मन की बात देश को सुनाने से पहले देश के जन-गण-मन की बात सुननी होगी और वह किसान विरोधी तीनों कानूनों और बिजली कानून में संशोधनों की वापसी चाहती है। पूरे देश के किसान आज अपनी खेती-किसानी को बचाने के लिए सी-2 लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य और कर्र्जमुक्ति चाहता है, जबकि मोदी सरकार के कानून कृषि अर्थव्यवस्था को कार्पोरेटों के हाथों में सौंपने के लिए किसानों के लिए डेथ वारंट है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार इन कानूनों को वापस नहीं लेती, तो दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसान दिल्ली कूच करने से नहीं हिचकेंगे और मोदी सरकार की लाठी-गोलियां धरी रह जाएंगी। उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि हर वर्दी के नीचे एक किसान है।

इस देशव्यापी किसान आंदोलन के खिलाफ संघी सरकार द्वारा आधारहीन दुष्प्रचार करने की भी किसान सभा नेताओं ने निंदा की। उन्होंने कहा कि आंदोलनकारी किसान संगठनों से उनके मुद्दों पर बातचीत करने के बजाए सरकार उन पर अपना एजेंडा थोपना चाह रही है। उन्होंने कहा कि इन कानूनों में संशोधनों से इसका कॉर्पोरेटपरस्त चरित्र नहीं बदलने वाला है, इसलिए इसमें संशोधन की कोई गुंजाइश नहीं है। 29 दिसम्बर की वार्ता में सरकार को स्पष्ट करना होगा कि क्या वह इन कानूनों को वापस लेकर न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने का कानून बनाना चाहती है या नहीं। सरकार के इस जवाब पर ही किसान आंदोलन के आगे के कार्यक्रम तय किये जायेंगे।

उल्लेखनीय है कि आज रेडियो और टीवी में मोदी ने मन की बात का प्रसारण किया है, तो किसान संगठनों ने भी इन तीन काले कानूनों के खिलाफ अपनी बात सुनाने के लिए पूरे देश में थालियां बजाने का फैसला किया था।

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