छत्तीसगढ़

सफलता की कहानी- “बैंक सखी” बनके गांव में अलग पहचान बना रहीं है ग्रामीण महिलाएं

बैंक सखियों के माध्यम से लाॅकडाउन से अब तक 20 करोड़ 80 लाख का हुआ बैंकिंग लेन-देन

कोण्डागांव। बैंकिंग सेवाएं आज हर व्यक्ति के जीवन के अनिवार्य हिस्से में शामिल है और तो और बैंकिंग सेवाओं का विस्तार अब सुदूर बसे गांव-गांव में किया जा रहा है ताकि अंतिम छोर में बसे ग्रामीणों को उनके घर के नजदीक ही बैंकिंग सुविधा मुहैया कराई जा सके और इस कार्य में बैंक सखियां बखूबी अपने कार्य को अंजाम दे रहीं है।

बैंक सखी की अवधारणा

कुल मिलाकर बैंक सखी की अवधारणा मूलतः इस बात पर आधारित है कि ग्रामीणों के बीच बैंकिंग लेन-देन सरल बने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को एक नई गति प्राप्त हो सके। आर्थिक गतिविधियों को सुदृढ़ बनाना इसका प्रमुख उद्देश्य है। इसमें भी महिलाओं की भूमिका को महत्वपूर्ण बनाने के स्व-सहायता समूह को जोड़ा गया है ताकि वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनकर सक्षम बने। जिले में आज भी ऐसे दूरस्थ क्षेत्र हैं जहां ग्रामीणों को बैंक संबंधी छोटे-बड़े कार्य के लिए अक्सर मुख्यालयों में आना पड़ता है और इस आने-जाने में दिक्कत होना स्वाभाविक है। इस परिस्थिति में बैंक सखी का ‘काॅन्सेप्ट‘ ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हो रहा है। बैंक सखी के लिए ग्रामीण क्षेत्रों की न्यूनतम पढ़ी-लिखी महिलाओं का चयन किया जाता है, जिन्हें कम्प्यूटर, लैपटाॅप एवं बैंक संबंधी सामान्य जानकारी से प्रशिक्षित कर उन्हें बैंकों द्वारा एक निश्चित राशि उपलब्ध कराई जाती है और पीओएस के माध्यम से आधारकार्ड के द्वारा अपने सामान्य आर्थिक जरूरत की राशि त्वरित प्राप्त कर सकते हैं और हर ट्रान्जेक्शन पर बैंक सखियों को एक निर्धारित राशि प्राप्त होती है।

आर्थिक सम्बल साबित हुआ महिलाओं के लिए

कोण्डागांव जिले में कुल 66 बैंक सखियां ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत् है। यह ऐसी ग्रामीण महिलाओं के लिए लाभदायक सिद्ध हुआ जो शैक्षणिक योग्यता हासिल करने के बाद भी सिर्फ घर-गृहस्थी में ही व्यस्त थीं और खेती-किसानी करके परिवार का हाथ बटा रहीं थीं। विकासखण्ड बड़ेराजपुर के ग्राम भगदेवा की 35 वर्षीय चंद्रकुमारी यादव ने बताया कि उनके परिवार में सास, ससुर और पति सहित तीन साल का पुत्र है, स्नातक होने के बावजूद उन्होंनेे नौकरी के लिए प्रयास किया था अंत में वर्ष 2018 में वे ‘प्रगति‘ स्व-सहायता समूह की सदस्य बनी और छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक के माध्यम से बैंक सखी के रूप में कार्य करना शुरू किया। चूंकि वे पहले से ही कम्प्यूटर साक्षर थीं अतः इस कार्य में उन्हें कभी कोई दिक्कत नही हुई। वे कहती हैं कि बैंक सखी बनने के पश्चात् लोगो के नजरिये में परिवर्तन आया है और सब उन्हें बैंक वाली मैडम के नाम से पुकारते हैं। इसके अलावा आस-पास के रिश्तेदार और घर वाले भी उन्हें पहले कहा करते थे कि पढ़ी-लिखी होने के बावजूद वह घर तक ही सीमित रहती है। इस प्रकार बैंक सखी ने उन्हें एक नई पहचान देने में मदद की है। इस क्रम में एक अन्य बैंक सखी विकासखण्ड केशकाल के ग्राम मस्सूकोकोड़ा की रहने वाली सुश्री लता पाण्डे ने भी अपने विचार व्यक्त किये। उन्होंने बताया कि 12वीं पास होने के पश्चात् में उन्होंने कम्प्यूटर एप्लीकेशन में डिप्लोमा हासिल किया था, उनके पति एक मेकेनिक का कार्य करते हैं। उन्होंने भी ‘जय बालेश्वरी‘ स्व-सहायता समूह के माध्यम से बैंक सखी के रूप में वर्ष 2018 से अपनी सेवाएं दे रहीं है और अब तक वे हितग्राहियों के 45 बैंक खाता तथा कुल 19 करोड़ का ट्रान्जेक्शन कर चूकीं है और महिने में लगभग 04 हजार रूपये कमा लेतीं है। उनके पास लगभग प्रतिदिन 50 से 80 बैंक ग्राहक आते हैं। इस प्रकार उन्हें आमदनी का नया जरिया मिलने से उनके परिवार की आर्थिक स्थिति सुधरी है। उनका कहना है कि बैंक सखी बनने से पूर्व उन्हें गांव में कोई नहीं जानता था परन्तु आज उन्हें पूरा गांव जानता है और सभी सम्मान करते हैं। वे यह भी कहतीं है कि वे कभी भी बैंक में काम करना बंद नहीं करेंगी और यह उनका पसंदीदा कार्य है।

जैसा की सभी जानते हैं कि कोरोना संकट की वजह से लाॅकडाउन के कारण वाणिज्यक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई थीं और दूरस्थ क्षेत्रों में बैंको से नगद निकासी एक बड़ी समस्या बन गई थी, ऐसे विकट समय में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान के अंतर्गत बैंक सखियों के द्वारा न केवल वनांचल क्षेत्रों में नगद निकासी की समस्या को हल किया गया, बल्कि बुजुर्गो एवं दिव्यांगो एवं अन्य असहाय लोगों के घरों तक पहुंच कर अपनी सेवाएं दी गई। उल्लेखनीय है कि लाॅकडाउन से अब तक की अवधि में जिले में 20 करोड़ 80 लाख का वित्तीय लेन-देन बैंक सखियों द्वारा किया गया।

राजीव गुप्ता

Rajeev kumar Gupta District beuro had Dist- Kondagaon Mobile.. 9425598008

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