छत्तीसगढ़

पटवारी की हड़ताल से कई काम अटके, तहसील कार्यालय के चक्कर काट रहे लोग

कबीरधाम जिले के 175 पटवारी हड़ताल पर हैं।13 दिसंबर से चल रहे इस हड़ताल का असर जिले के सभी प्रकार के राजस्व के कार्यों पर पड़ रहा है। आम जन व किसान तहसील कार्यालय के चक्कर काटने को मजबूर हैं। वर्तमान में गिरदावरी रिपोर्ट में त्रुटि सुधार का काम चल रहा, जो बेहद प्रभावित है।

यहां बताना लाजमी है कि राजस्व पटवारी संघ छत्तीसगढ़ का तृतीय चरण का आंदोलन दिनांक 14 दिसंबर से प्रारंभ हुआ है। ज्ञात हो कि राजस्व पटवारी संघ छत्तीसगढ़ अपने नौ सूत्रीय मांगों को लेकर तीन चरणों में आंदोलन करने के लिए राज्य शासन को पत्र लिखा था, प्रथम चरण एक दिसंबर को एकदिवसीय सांकेतिक धरना प्रदर्शन, द्वितीय चरण दो दिसंबर से 13 दिसंबर काली पट्टी के साथ कार्य और तृतीय चरण में अनिश्चितकालीन हड़ताल शामिल हैं। संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि तृतीय चरण के प्रथम दिवस ही राजस्व सचिव द्वारा हड़ताल को दबाने के लिए दंडात्मक कार्रवाई के लिए जिला कलेक्टर को पत्र जारी किया गया है ।

पटवारियों की यह है मांग

वर्तमान में हर कार्य आनलाइन हो चुका है। हर कार्य के लिए न सिर्फ कंप्यूटर-लैपटाप बल्कि उसमें इंटरनेट की भी आवश्यकता होती है, लेकिन आज तक पटवारियों को संसाधन उपलब्ध नहीं कराया है। भुइयां साफ्टवेयर में नित बदलाव किया जाता है, जिसका प्रशिक्षण देना तो दूर सूचना भी देना उचित नहीं समझा जाता है। ऐसे में इन समस्याओं को दूर करने की बजाय पत्र जारी करना सिर्फ पटवारियों को नहीं अपितु भूमिस्वामियों, किसानों को भी परेशान करने की नीति है, क्योंकि किसानों का कार्य संसाधन की उपलब्धता पर निर्भर करता है। गिरदावरी, कृषि संगणना, लघु सिंचाई संगणना, ऑनलाइन फसल एंट्री, अभिलेख सुधार आदि कार्य के लिए समय निर्धारित किया जाता है, लेकिन यह निर्धारण एक हल्के के पटवारी और दो या तीन हल्के के पटवारियों के लिए समान रहता है। निर्धारित समय में अतिरिक्त हल्के का कार्य भी दबावपूर्वक कराया जाता है

अलग बाक्स

पंचायत सचिव भी हड़ताल की तैयारी में

इधर जिले के भी पंचायत सचिव हड़ताल की तैयारी में है। सोमवार को सचिव जिला स्तर पर ज्ञापन सौपेंगे। प्रदेश पंचायत सचिव संघ के प्रांतीय आह्वान पर पंचायत सचिव संघ पंचायत सचिव को दो वर्ष परीवीक्षा अवधि पश्चात शासकीय करण करने संबंधित मांग को लेकर जिला मुख्यालयों में प्रांत अध्यक्ष तुलसी साहू के आह्वान पर धरना प्रदर्शन कर रैली निकाली जाएंगी। इन लोगों का कहना है कि पंचायत सचिव के साथ नियुक्त कर्मचारी जैसे शिक्षाकर्मी को शासन द्वारा शासकीयकरण कर दिया गया है, केवल पंचायत सचिव शासकीयकरण से वंचित है। ज्ञात हो कि पंचायत सचिवों की नियुक्ति 1995 में हुई थी और 500 रुपये से कार्य करते आ रहे हैं । 25 वर्षों से शासन-प्रशासन से उपेक्षित हैं।

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