कोरोना वैक्सीन ‘रामबाण’ नहीं, टीका आपको तो बचाएगा, लेकिन आपके अपनों की सुरक्षा की गारंटी नहीं

कोरोना वायरस का टीका आपको तो संक्रमण से बचाता है मगर लापरवाही बरतने पर आप दूसरों तक संक्रमण फैलाने के वाहक बन सकते हैं। जॉर्ज वॉशिंगटन विश्वविद्यालय की महामारी विशेषज्ञ प्रो. लीना वेन ने यह दावा किया है। उनका कहना है कि लोगों को यह बात समझनी होगी कि कोरोना का टीका उन्हें तो बचाएगा पर यह आपके अपनों की सुरक्षा की गारंटी नहीं है। अगर लोग टीका लगवाने के बाद बचाव के तरीकों का पालन नहीं करेंगे तो वे अपनों के लिए खतरा बन जाएंगे।
लीना ने बताया कि फाइजर के टीके के बारे में अभी तक हम यही जानते हैं कि यह कोरोना संक्रमण के लक्षणों को पैदा होने से बचाने में असरदार है। इसके साथ ही टीका लगवाने से मरीज गंभीर रूप से बीमार नहीं होता यानी उसे अस्पताल में भर्ती कराने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
उन्होंने कहा कि अभी हम इस बारे में नहीं जानते कि क्या यह टीका हमारे शरीर में बिना लक्षण वाला कोरोना संक्रमण पैदा कर सकता है? इस बारे में अभी तक अध्ययन नहीं हुआ है। पर इस बात की संभावना है कि वैक्सीन लगवाने वाला व्यक्ति एसिम्प्टोमैटिक कोरोना संक्रमण का वाहक हो सकता है। उस व्यक्ति के नासिका मार्ग में वायरस हो सकता है, जो उसके बोलने, सांस लेने, छींकने पर दूसरे लोगों तक पहुंच सकता है। इसलिए जरूरी है कि टीका लगवाने के बाद भी सभी मास्क पहनें और शारीरिक दूरी का पालन करें।
हर्ड इम्युनिटी पैदा होने तक सतर्कता जरूरी
लीना ने अमेरिका के संदर्भ में कहा कि यहां संक्रमण के खिलाफ झुंड की प्रतिरक्षा या हर्ड इम्युनिटी पैदा होने के लिए जरूरी है कि 70 फीसदी अमेरिकियों को टीका दिया जाए। अभी यहां सीमित मात्रा में ही टीका उपलब्ध है, ऐसे में अगले साल गर्मी तक ही इस लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। इसलिए जरूरी है कि जो लोग टीका पा रहे हैं, वे बचाव के तरीकों का पालन दूसरों की तरह करें।
टीका सुरक्षा की शत-प्रतिशत गारंटी नहीं
लीना ने कहा कि हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि टीका प्रभावी तो है पर यह शत प्रतिशत प्रभावी नहीं साबित हुआ है। यानी इस बात की संभावना है कि टीका लगवाने वाला भी संक्रमण फैला सके या संक्रमित हो जाए।
संक्रमण से बचाव पर रहा ज्यादा जोर
फाइजर के टीका निर्माण की प्रक्रिया की स्वतंत्र जांच पड़ताल करने वाले गैर लाभकारी संगठन एलर्जी एंड अस्थमा नेटवर्क की डॉ. पूर्वी पारिख का कहना है कि इन टीकों के निर्माण में संक्रमण के फैलाव से ज्यादा इसके बचाव पर जोर दिया गया है। वैज्ञानिकों के पास टीका बनाने का बहुत ही कम समय था, ऐसे में उन्होंने संक्रमण से बचाव, संचरण व फैलाव यानी तीनों पक्षों पर गहरायी से काम नहीं किया। इसलिए संभावना है कि टीका लगवाने के बाद भी लोग संक्रमण के वाहक बन जाएं।