छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

अगले महिने से बदलेगी निगम की राजनीतिक फिजा

अब जनप्रतिनिधियों के स्थान पर अधिकारियों का दिखेगा जलवा

भिलाई। अगले महिने से नगर निगम की फिंजां पूरी तरह से बदला बदला नजर आनेवाला है । अब यहां जनप्रतिनिधियों के बदले अधिकारियों का जलवा दिखेगा। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि नगर निगम के मौजूदा कार्य परिषद के पंचवर्षीय कार्यकाल 21 जनवरी से खत्म होने जा रहा है और नये चुनाव नहीं होने से उसके बाद यह प्रशासन के हाथ में आ जायेगा। इससे निगम परिसर और उसके कामकाज में चुने हुए जनप्रतिनिधियों के स्थान पर अधिकारियों व कर्मचारियों का जलवा देखते बनेगा।

नगर निगम भिलाई का चुनाव अपने तय समय पर हो पाना अब संभव नहीं लग पा रहा है। ऐसी स्थिति में 21 जनवरी 2021 को मौजूदा परिषद का पंचवर्षीय कार्यकाल खत्म होते ही निगम की बागडोर प्रशासन के हाथों आ जाएगी। इसके साथ ही निगम की राजनीतिक फिजा भी पूरी तरह से बदल जाएगी।

दरअसल महापौर देवेन्द्र यादव के नेतृत्व में निगम की निर्वाचित परिषद ने 21 जनवरी 2016 को अपना कार्यकाल प्रारंभ किया था। ऐसे में 21 जनवरी 2021 से पहले निगम में नवनिर्वाचित परिषद को काबिज हो जाना चाहिए। लेकिन वर्तमान स्थिति को देखते हुए ऐसा हो पाना संभव नहीं लग रहा है। वार्ड परिसीमन का मामला लंबित रहने से चुनाव को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। लिहाजा 21 जनवरी को कार्यकाल खत्म होते ही वर्तमान महापौर, उनकी परिषद और पार्षदों का अधिकार नगर निगम के कामकाज में शून्य हो जाएगा। जब तक नये चुनाव कराकर निर्वाचित परिषद अपना कार्यभार नहीं संभाल लेगी, तब तक निगम का संचालन अधिकारियों के माध्यम से होगा।

गौरतलब रहे कि भिलाई नगर निगम से अलग होकर रिसाली निगम अस्तित्व में आया है। इससे 70 वार्डों वाले भिलाई निगम में 57 वार्ड शेष रह गए थे। इसके बाद नया परिसीमन करते हुए भिलाई निगम में फिर से 70 वार्ड बना दिए गए। लेकिन इसमें नियमों की अनदेखी का हवाला देते हुए नये परिसीमन को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई। यह मामला अब तक निराकृत नहीं हो पाने से समय पर चुनाव हो पाना मुश्किल है। ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में परिसीमन संबंधी अड़चनों को दूर कर जून 2021 में निगम का नया चुनाव करा लिया जाएगा।

बढ़ जाएगी लोगों की दिक्कत

पार्षदों के अधिकार शून्य होते ही नये चुनाव होते तक लोगों को निगम संबंधी कामकाज के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। योजना विशेष के तहत मिलने वाली पेंशन, निवास, जाति व आय संबंधी प्रमाण पत्र सहित अन्य जरुरी प्रमाणीकरण के लिए लोगों को अधिकारियों पर निर्भर रहना पड़ेगा। जबकि ऐसे कार्य पार्षदों के माध्यम से लोग आसानी से निपटा लेते हैं। अधिकारियों पर निर्भर कुछ कार्यों के लिए भी लोग पार्षदों के माध्यम से निगम पहुंचते हैं। ऐसे लोगों को 21 जनवरी के बाद परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

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