चारू बैगा ने वन अधिकार के जमीन पर मनरेगा से बनाई डबरी, मछली पालन कर आमदनी का रास्ता बनाया

चारू बैगा ने वन अधिकार के जमीन पर मनरेगा से बनाई डबरी, मछली पालन कर आमदनी का रास्ता बनाया
चारू बैगा के परिवार के लिए वन अधिकार पट्टा और मनरेगा से रोजगार मिलने के बाद खुला स्वरोजगार का द्वार
कवर्धा, 07 अगस्त 2020। पंडरिया विकासखण्ड के वनांचल ग्राम पंचायत डालामौहा के भैसाडबरा गांव में वन अधिकार क्षेत्र अधिनियम के तहत हुए क्लस्टर विकास से विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा समूदाय के लोगो के जीवन में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना की अमीट छाप देखने को मिलती है। इस योजना से इनके जीवन में सकारात्मक बदलाव आया है जिससे उन्हें स्वारोजगार के साथ-साथ स्वालंबन की दिशा भी मिली है।
छत्तीसगढ़ शासन कि मंशाअनुरूप वनांचल क्षेत्रों में रहने वाले वनवासियों के लिए मूलभूत सुविधाओं में विस्तार करते हुए आजीविका संर्वधन से जोड़ने के लिए वन अधिकार क्षेत्र को क्लस्टर के रूप में विकसित किया जा रहा है। ग्राम डालामौहा में बैगा समुदाय के चारू पिता अहिरा को मनरेगा योजना से लाभ मिला है। चारू की मांग पर खेती किसानी के लिए भूमि सुधार और मेढ़ बंधान का कार्य 95 हजार रूपए की लागत से किया गया। इस कार्य में कुल 552 मानव दिवस रोजगार का सृजन हुआ जिसमें 95 हजार रूपए का मजदूरी भुगतान बैगा आदिवासी को प्राप्त हुआ। जिसमें चारू के परिवार को 70 मानव दिवस रोजगार प्राप्त होकर लगभग 12 हजार से अधिक रुपये का मजदूरी भुगतान मिल है। भूमि सुधार हो जाने से चारू और उसका परिवार अब साल भर फसल ले रहा है। धान, बुट्टा, कोदो-कुटकी एंव सब्जी भाजी उत्पादन इनके आमदनी का जरिया बन गया है।
भूमि सुधार के बाद खेती किसानी के लिए सिंचाई हेतु पानी की उपलब्धता साल भर हो इसके लिए चारू को कुंआ एवं डबरी से लाभान्वित किया गया। रोजगार गारंटी योजना से 1 लाख 24 हजार रूपए की लागत से 2020 का डबरी बनाया गया। डबरी निर्माण के कार्य में चारू और उसके परिवार सहित अन्य बैगा समुदाय के लोगो को 524 मानव दिवस का रोजगार मिला जिसमें 91 हजार 3 सौ 10 रूपए का मजदूरी भुगतान प्राप्त हुआ। डबरी बनाने में चारू के परिवार से तीन लोग निरन्तर कार्य करते रहें। जिसमें 54 मानव दिवस का रोजगार उन्हें मिला है और 9 हजार 5 सौ से अधिक रूपए मजदूरी भुगतान के रूप में मिला। डबरी बन जाने से पानी कि उपलब्धता हो गयी। अब चारू और उसका परिवार डबरी में मछली पालन कर आमदनी कमा रहा है। पास के बाजार में मछली बीक जाया करता है। इसी तरह अपनी बाड़ी में चारू ने कुंआ निमार्ण भी कराया है। रोजगार गारंटी योजना से 2 लाख 13 हजार रूपए की लागत से कुआं निर्माण का कार्य स्वीकृत किया गया है। जिसमें 386 मानव दिवस रोजगार का सृजन हुआ तथा 66 हजार 4 सौ 90 रूपए का मजदूरी भुगतान बैगा परिवारों को मिला। चारू और उसके परिवार के दो लोग अपने कुआं बनाने के कार्य में लग कर 7000 रूपए से अधिक का मजदूरी प्राप्त किये है। कुआं बन जाने से पानी कि उपलब्धता अब पूरे साल होने लगी है। जिसके कारण खेती में सिंचाई कि सुविधा भी बढ़ गई है। चारू ने फसल बेच कर एक पम्प ले लिया है जिसके मदद से कुएं का पानी आसानी से निकाल कर अपने खेतो कि सिंचाई कर रहा है।
रोजगार गारंटी योजना ने बनाया मालिक-चारु बैगा
चारू बैगा बताते है कि उनके जैसे बहुत से बैगा परिवार जो शुरू से भैसाडबरा में रहते है उन्हें वन अधिकार अधिनियम के तहत संरक्षित कर प्रशासन ने प्रगति की राह से जोड़ा है। जहां पहले आजीविका का साधन सिर्फ दूसरे के खेत में काम करना हुआ करता था लेकिन अब उसकी आवश्यकता नहीं रह गई है। रोजगार गारंटी योजना ने सभी आवश्यकताएं पूरी की है। उन्होंने बताया कि रोजगार गारंटी योजना से उन्हें अब तक 4.30 लाख रूपए से अधिक का निर्माण कार्य उनके नाम से स्वीकृत हुआ हैं। जिसमें भूमि सुधार करते हुए डबरी एवं कुंआ बनाया गया। डबरी में मछली पालन कर रहें है। मछलियों को अपने भैसाडबरा गांव में ही बेच कर अब-तक लगभग 10 हजार रूपए से अधिक का आमदनी हो गया है। इसी तरह सिंचाई का साधन बढ़ने से अपने खेत में तीन फसल लगा रहें है। सालभर खाने के लिए अनाज उपलब्ध रहता है। जिसे बेच कर भी पैसा कमा लेते है और सब्जी भाजी से लाभ हो रहा है वह अलग। अपने गांव के बाजार में ही प्रत्येक सप्ताह 400 से 500 रूपये की सब्जी बेच लेता हुं।
रोजगार के साथ आत्मनिर्भर हुआ बैगा परिवार-सीईओ जिला पंचायत
जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री विजय दयाराम के. ने बताया कि शासन के निर्देश अनुसार वन क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों को वन अधिकार अधिनियम के तहत बहुत सी योजनाओं का लाभ दिया गया। इसी क्रम में पण्डरिया के भैसाडबरा गांव को वन अधिकार क्लस्टर के रूप में विकसित किया गया है। इस क्लस्टर में 67 बैगा परिवार निवासरत है जिन्हें महात्मा गांधी नरेगा योजना के द्वारा आजीविका के कार्य से जोड़ा गया। उन्होंने बताया कि चारू का परिवार वन अधिकार क्षेत्र के लाभान्वित परिवारों में से एक है। इनकी आवश्यकता अनुसार भूमि को कृषि कार्य योग्य तैयार कराया गया तथा सिंचाई का साधन निर्मित कराते हुए लाभान्वित किया गया। कार्य का परिणाम अब दिखने लगा है। चारू को बाहर किसी अन्य क्षेत्र में कार्य करने कि आवश्यकता नहीं रहीं। खेत से उत्पादन होने वाले फसल एवं डबरी से निकलने वाली मछलियां आजीविका का साधन बन गया है। साथ ही चारू के परिवार को मनरेगा योजना के तहत 100 दिवस का रोजगार भी उपलब्ध हुआ है।