छत्तीसगढ़

देवउठनी एकादशी के साथ ग्रामीण अंचलों में प्रारंभ हुआ विवाह

।। देवउठनी एकादशी के साथ ग्रामीण अंचलों में प्रारंभ हुआ विवाह ।।

कवर्धा

सन 2020 एक तरफ वैश्विक महामारी कोरोना वायरस संक्रमण काल के दरमियान जहां एक तरफ महानगर नगर, बड़े-बड़े शहरों से लेकर के ग्रामीण अंचलों एवं पहाडी एवं जंगली इलाकों में भी कोविड-19 का खौफ देखा गया। यह वैश्विक महामारी अपने चपेट में लेने के लिए गांव शहर ऊंच-नीच छोटे बड़े उम्र का लिहाज नहीं किया वहीं पर लगभग पर्वतीय एवं जंगली इलाकों से लेकर नगर ,महानगरों, कस्बाई व ग्रामीण इलाकों तक इसका असर देखा गया । शासन के द्वारा जारी दिशा निर्देश का पालन कर कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम हेतु सैनिटाइजर सामाजिक दूरी एवं मास्क लगाकर इस दरमियान सामाजिक एवं परिवारिक शुभ मुहूर्त में किए जाने वाले कार्यों को भी लोग विराम देकर रखे हुए थे । लेकिन जो कार्य अनिवार्य सामाजिक रूप में या प्राकृतिक आपदा या प्रकृति द्वारा दिए गए कार्य व्यवहार को लोग सेनेटाइजर, मास्क एवं समाजिक दूरी का पालन करते हुए पूर्ण करते रहे । इस वर्ष वैदिक धर्म अनुसार 25 नवंबर बुधवार कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी को देवउठनी एकादशी के पश्चात ही ग्रामीण अंचलों में यदा-कदा विवाह जैसे शुभ मुहूर्त वाली वैदिक कार्य को ग्राम के लोग बहुत ही कम खर्च में सामाजिक दूरी सैनिटाइजर और मास्क का प्रयोग करते हुए शासन प्रशासन से अनुमति लेकर बहुत ही कम तामझाम में करना शुरू कर दिए हैं । एक ओर जहां देवउठनी एकादशी होने के पश्चात वैदिक धर्मावलंबियों के द्वारा विवाह जैसे शुभ मुहूर्त वाली कार्य करना प्रारंभ किए हैं वहीं दूसरी ओर कुछ लोग वास्तु पूजा करा कर भवन एवं दुकान निर्माण में भी लग चुके हैं । गांव के लोग प्रायः खेती किसानी से जुड़े होते हैं और इस समय खेती किसानी का काम कुछ दिनों के लिए थम सा गया रहता है। इन्हीं दिनों में लोग कोरोना वायरस जैसे वैश्विक महामारी के बीच भी अपने घरों में, गांव में, परिवारों में शुभ कार्य को मूर्त रूप देते हुए देखे जा रहे हैं। यह वैवाहिक कार्यक्रम नगर कवर्धा के साथ-साथ विकासखंड पंडरिया, लोहारा, बोड़ला एवं इनके क्षेत्र अंतर्गत बसे ग्रामीण इलाकों के बीच देखा जा रहा है । जहाँ लोग रीति रिवाज़ के साथ शुभ कार्यो में संलग्न है।।

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