कोरोना के टीके के लिए अभी करना पड़ेगा और इंतजार, वैक्सीन कंपनियों के आंकड़ों की पड़ताल शुरू
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कोरोना के एक या उससे अधिक टीकों को यदि आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिलती है तो उनका इस्तेमाल बेहद सीमित होगा। बड़े पैमाने पर टीकाकरण के लिए टीके को अंतिम मंजूरी तक इंतजार करना होगा। तीन कंपनियों ने ड्रग कंट्रोलर से टीकों के आपात इस्तेमाल की मंजूरी मांगी है। दवा नियामक ने कंपनियों द्वारा पेश आंकड़ों की पड़ताल शुरू कर दी है।
आमतौर पर महामारी या महामारी जैसी परिस्थितियों में किसी दवा या टीके को आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी जाती है। यह पहला मौका है जब किसी टीके के लिए आपात मंजूरी दी जा रही है, जबकि दवाओं के मामले में ऐसा कई बार हो चुका है। बर्ड फ्लू के समय में टेमिफ्लू दवा के आपात इस्तेमाल की मंजूरी भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में दी गई थी।
दवा विशेषज्ञ एवं मिम्स जर्नल के संपादक डॉ. सीएम गुलाटी ने कहा कि आपात मंजूरी तत्काल इस्तेमाल के लिए होती है, लेकिन ऐसी दवा या टीके का सीमित इस्तेमाल ही किया जाता है। जैसे सरकार ने स्वास्थ्यकर्मियों को प्राथमिकता के आधार पर कोरोना टीकाकरण की बात कही है और सबसे पहले एक करोड़ स्वास्थ्यकर्मियों को टीका लगना है, लेकिन आपात मंजूरी के तहत इतने बड़े पैमाने पर टीकाकरण नहीं होगा बल्कि कुछ हजार लोगों में इसकी शुरुआत कर आंकड़ों को देखा जाएगा।
सीरम के आंकड़े अभी आने हैं
सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक के परीक्षण देश में हुए हैं, लेकिन सीरम के तीसरे चरण के आंकड़े अभी आने हैं, जबकि भारत में बायोटेक का तीसरा चरण अभी पूरा होने को है। भारत बायोटेक के तीसरे चरण के परीक्षण 26000 लोगों पर हो रहे हैं, लेकिन सीरम इंस्टीट्यूट के परीक्षण 1600 लोगों पर हुए हैं। सीरम के टीके कोविशील्ड जो आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी का टीका है, उसके ब्रिटेन एवं ब्राजील में 11636 लोगों पर परीक्षण हुए हैं। इसमें उसकी प्रभावकारिता एक डोज में 90 तथा दो डोज में 70 फीसदी दर्ज की गई है। भारत के आंकड़े अभी सार्वजनिक नहीं हुए हैं।
फाइजर के टीके दावेदारी में ज्यादा मजूबत
फिलहाल, मौजूदा स्थिति में आपात मंजूरी को लेकर फाइजर टीके की दावेदारी ज्यादा मजूबत है। उसके छह देशों में 43 हजार से अधिक लोगों पर परीक्षण हुए हैं और प्रभावकारिता 95 फीसदी रही है। हालांकि उसके भंडारण को लेकर चुनौतियां हैं। इस मामले में वैज्ञानिकों के समक्ष एक चुनौती यह भी है कि अभी तक आपात मंजूरी दवाओं को दी जाती थी, लेकिन पहली बार टीके को दी जा रही है। दवा बीमार व्यक्ति को दी जाती है और एक बार में ऐसे मरीजों की संख्या सीमित होती है, जबकि टीका स्वस्थ व्यक्ति को दिया जाता है। इसलिए नियामक आंकड़ों की गहन पड़ताल करेगा।
ऐसे मिलती है मंजूरी
आपात मंजूरी के लिए भी दवा नियामक यह देखता है कि तीन चरणों के परीक्षण में टीके के परिणाम क्या रहे हैं। इसकी प्रभावकारिता क्या है। यदि टीका का असर 50 फीसदी से ज्यादा है उसके कोई बड़े दुष्प्रभाव नहीं हुए हैं तथा पर्याप्त संख्या में लोगों पर परीक्षण हुए हैं तो आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी जा सकती है।
दवा विशेषज्ञ एवं मिम्स जर्नल के संपादक डॉ. सीएम गुलाटी ने कहा कि आपात मंजूरी तत्काल इस्तेमाल के लिए होती है, लेकिन ऐसी दवा या टीके का सीमित इस्तेमाल ही किया जाता है। जैसे सरकार ने स्वास्थ्यकर्मियों को प्राथमिकता के आधार पर कोरोना टीकाकरण की बात कही है और सबसे पहले एक करोड़ स्वास्थ्यकर्मियों को टीका लगना है, लेकिन आपात मंजूरी के तहत इतने बड़े पैमाने पर टीकाकरण नहीं होगा बल्कि कुछ हजार लोगों में इसकी शुरुआत कर आंकड़ों को देखा जाएगा।
सीरम के आंकड़े अभी आने हैं
सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक के परीक्षण देश में हुए हैं, लेकिन सीरम के तीसरे चरण के आंकड़े अभी आने हैं, जबकि भारत में बायोटेक का तीसरा चरण अभी पूरा होने को है। भारत बायोटेक के तीसरे चरण के परीक्षण 26000 लोगों पर हो रहे हैं, लेकिन सीरम इंस्टीट्यूट के परीक्षण 1600 लोगों पर हुए हैं। सीरम के टीके कोविशील्ड जो आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी का टीका है, उसके ब्रिटेन एवं ब्राजील में 11636 लोगों पर परीक्षण हुए हैं। इसमें उसकी प्रभावकारिता एक डोज में 90 तथा दो डोज में 70 फीसदी दर्ज की गई है। भारत के आंकड़े अभी सार्वजनिक नहीं हुए हैं।
फाइजर के टीके दावेदारी में ज्यादा मजूबत
फिलहाल, मौजूदा स्थिति में आपात मंजूरी को लेकर फाइजर टीके की दावेदारी ज्यादा मजूबत है। उसके छह देशों में 43 हजार से अधिक लोगों पर परीक्षण हुए हैं और प्रभावकारिता 95 फीसदी रही है। हालांकि उसके भंडारण को लेकर चुनौतियां हैं। इस मामले में वैज्ञानिकों के समक्ष एक चुनौती यह भी है कि अभी तक आपात मंजूरी दवाओं को दी जाती थी, लेकिन पहली बार टीके को दी जा रही है। दवा बीमार व्यक्ति को दी
जाती है और एक बार में ऐसे मरीजों की संख्या सीमित होती है, जबकि टीका स्वस्थ व्यक्ति को दिया जाता है। इसलिए नियामक आंकड़ों की गहन पड़ताल करेगा।
ऐसे मिलती है मंजूरी
आपात मंजूरी के लिए भी दवा नियामक यह देखता है कि तीन चरणों के परीक्षण में टीके के परिणाम क्या रहे हैं। इसकी प्रभावकारिता क्या है। यदि टीका का असर 50 फीसदी से ज्यादा है उसके कोई बड़े दुष्प्रभाव नहीं हुए हैं तथा पर्याप्त संख्या में लोगों पर परीक्षण हुए हैं तो आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी जा सकती है।क्या है प्रावधान
मूलत: आपात इस्तेमाल का प्रावधान इस बात को ध्यान में रखकर बनाया गया है कि मान लीजिए कोई दवा या टीका किसी अन्य देश में बनता है और वहां की सरकार उसे मंजूर कर देती हैं और वहां पर वह दवा इस्तेमाल भी हो रही है। ऐसे में वह कंपनी उसे भारत में बेचना चाहती है तो ड्रग एवं कास्मेटिक एक्ट के प्रावधानों के तहत उसे देश में क्लिनिकल ट्रायल करने होंगे। लेकिन यदि कोई बीमारी फैली है और तत्काल उस पर काबू पाने की जरूरत है तो ऐसी स्थिति में ड्रग कंट्रोलर उस टीके को दूसरे देश में हुए परीक्षणों के आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद मंजूरी दे सकता है। मूलत आपात मंजूरी में क्लिनिकल ट्रायल से छूट दी जाती है। फाइजर ने इसी आधार पर मंजूरी मांगी है।