Kondagaon_ सीपीआई ने कृषि अध्यादेश के विरोध में प्रदर्शन कर जलायीं अध्यादेश की प्रतियां, दिया ज्ञापन
कोंडागांव। केन्द्र सरकार द्वारा पारित कृषि संबंधी तीनों अध्यादेष को किसान हित में तत्काल वापस लिए जाने हेतु महामहीम राष्ट्रपति व राज्यपाल के नाम प्रेशित ज्ञापन को लेने किसी भी अधिकारी के सामने नहीं आने पर कलेक्टर कार्यालय कोण्डागांव के आवक-जावक शाखा में मंगलवार 08 दिसम्बर 2020 को तिलक पाण्डे जिला सचिव सीपीआई के नेतृत्व में दिया गया।
ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि भारत एक कृषि प्रधान देश है और वहीं केन्द्र की भाजपा सरकार द्वारा किसान हितों के खिलाफ तीन अध्यादेष पारित कर देश के किसानों को गुलाम बनाकर निजीकरण का रास्ता खोला जा रहा है। केन्द्र सरकार का ‘एक राष्ट्र एक बाजार अध्यादेष‘ किसानों के हित में नहीं है। इससे मण्डी का ढांचा समाप्त हो जाएगा, जो किसानों, छोटे एवं मंझोले व्यापारियों दोनों के लिए लाभप्रद नहीं है। किसानों को उनकी उपज का न्यूनतम समर्थन मुल्य भी नहीं मिल सकेगा। केन्द्र सरकार ने इस बात की कोई गारण्टी नहीं दी है कि कम्पनियों द्वारा किसानों के उपज की खरीद समर्थन मुल्य पर किया जाएगा। केन्द्र सरकार ने आवष्यक वस्तु अधिनियम 1955 में संषोधन कर आलु, प्याज, दलहन, तिलहन व तेल के भण्डारण पर लगी रोक को हटा लिया है। देश के 85 प्रतिषत किसानों के पास लम्बे समय तक भण्डारण की व्यवस्था नहीं है, यानि यह कानुन बड़ी कम्पनियों द्वारा कृषि उत्पादों की कालाबाजारी के लिये लाया गया है, ये कम्पनियां अपने बड़े-बड़े गोदामों में कृशि उत्पादों का भण्डारण करेंगे एवं बाद में उंचे दामों पर ग्राहकों को बेचेंगे। तीसरा अध्यादेष सरकार द्वारा काॅन्ट्रेक्ट फार्मिंग के विषय में लागु किया गया है, जिसके तहत काॅन्ट्रेक्ट फार्मिंग को बढ़ावा दिया जाएगा, जिसमें बड़ी-बड़ी कम्पनियां खेती करेंगी एवं किसान उसमें सिर्फ मजदूरी करेंगे। इस अध्यादेष के तहत किसान अपने खेत में सिर्फ मजदूर बनकर रह जाएंगे।
इसलिए भाकपा, अभा. किसान सभा, अभा. नौजवान सभा, अभा. छात्र संघ, अम्बेडकर सेवा संस्थान कोण्डागांव, अ.भा.आदि. महासभा के द्वारा राष्ट्रपति एवं राज्यपाल को जिला प्रषासन कोण्डागांव के माध्यम से एक ज्ञापन प्रेषित कर देष भर में किसानों के हित में एम.एस.पी. (न्युनतम समर्थन मूल्य) गारण्टी कानुन लागू किए जाने तथा एम.एस.पी. के नीचे किसानों से फसल क्रय करने वाले व्यापारियों के खिलाफ प्रथम सूचना लेखबद्ध किए जाने, किसानों के हित में स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागु किए जाने, किसान हित में तीनों कृषि अध्यादेष तत्काल वापस लिए जाने, बस्तर जिले के सभी किसान जो वर्ष 2005 के पूर्व से वनभूमि पर काबिज हैं, उन्हें वनाधिकार पट्टा प्रदाए किए जाने जैसी प्रमुख मांग की जाकर उक्त चार सूत्रीय मांगों को किसानों के न्याय हेतु केन्द्र सरकार व राज्य को तत्काल प्रभाव से मानने का आदेष प्रदान करें। दुपहियाओं में सवार होकर जिला कार्यालय पहुंचकर ज्ञापन देने एवं विरोध प्रदर्षन हेतु प्रतिकात्मक अध्यादेष की प्रतियों को दहन किए जाने के दौरान बिरज नाग, जयप्रकाष नेताम, शैलेष शुक्ला, दिनेश कुमार मरकाम, बिसंभर मरकाम, मुकेश मंडावी लखन कोराम राम पांडे रामचंद नाग, श्रीमती सुखबती नेताम, श्यामलाल पोयाम, लक्ष्मण महावीर, राम नेताम, लीलाराम, प्रदीप मौर्य आदि कम्युनिस्ट सहित अन्य किसान बडी संख्या में उपस्थित रहे।
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