छत्तीसगढ़

वन अधिकार पत्र प्राप्त शिव प्रसाद के लिये खेती हो गयी आसान : मनरेगा से मिल रही कृषि कार्यों को मजबूती

मनरेगा से लोगों के लिये न केवल प्रत्यक्ष रोजगार का माध्यम बन रहा है बल्कि जीविकापार्जन के अन्य साधनों के संवर्धन में भी उपयोगी सिद्ध हो रहा है। मनरेगा के अंतर्गत भूमि समतलीकरण से लेकर कुंआ निर्माण कार्यों से खेती-किसानी को मजबूती मिल रही है।
सारंगढ़ विकासखण्ड के ग्राम-तेंदुवा के श्री शिव प्रसाद कोंध को 0.202 हेक्टेयर का वन अधिकार पत्र मिला हुआ है। जिसका भूमि समतलीकरण मनरेगा के तहत किया गया। इस कार्य में कुल 390 मानव दिवस कार्य सृजित हुये। जिससे गांव के श्रमिकों को रोजगार तो प्राप्त हुआ ही और समतलीकरण के पश्चात उक्त भूमि पर शिव प्रसाद कोंध ने खेती कर मिर्ची की फसल ली। बढिय़ा उपज मिलने से उनकी आय में वृद्धि हुई। उन्होंने अपने लिये एक गाय भी खरीद ली है। शिव प्रसाद कहते है वन अधिकार पत्र मिलने से न केवल जमीन का स्वामित्व मिला बल्कि शासन के अन्य योजनाओं का लाभ भी अब मिल रहा है। उन्होंने कहा कि पहले सरकार ने वन अधिकार पत्र देकर जमीन को मेरे नाम से शासकीय दस्तावेजों में दर्ज किया फिर मनरेगा योजना से भूमि का समतलीकरण कर खेत के रूप में तैयार किया। इससे मेरी आजीविका पहले से सुदृढ़ हुई है तथा परिवार के साथ अब बेहतर जीवन-यापन कर पा रहा हूं। उन्होंने इसके लिये शासन-प्रशासन का बहुत आभार जताया है।
मनरेगा से बने कुयें से मिली सिंचाई सुविधा
रायगढ़ के ग्राम पंचायत डोंगीतराई के आश्रित गांव हरदीझरिया में रहने वाले प्रेम सिदार ने मनरेगा अंतर्गत कुंआ निर्माण करवाया। जिससे उन्हें अपनी फसल के लिये बेहतर सिंचाई सुविधा मिली और उनकी उपज बढऩे के साथ आय में भी वृद्धि हुई। प्रेम सिदार ने बताया कि उनके पास कुल दो एकड़ जमीन है, जिसमें वह सब्जी उगाते है। उन्होंने अपने खेत के चारो ओर मेढ़ में फलदार वृक्ष जैसे आम, मुनगा, नींबू भी उगाया है। कुंआ निर्माण होने से उन्हें अपनी जमीन पर ही सिंचाई का साधन मिला। जिससे उनकी उपज को बढ़ाते हुये उनकी आमदनी लगभग दोगुनी कर दी। ग्राम पंचायत डोंगीतराई में जल का स्तर बहुत अच्छा है। इससे उन्हें 15 से 20 फीट में ही पानी मिल गया। गर्मी के दिनों में भी जल स्तर में ज्यादा गिरावट नहीं होती। कुंआ निर्माण से सब्जी की पैदावार को बढ़ाते हुये किसान प्रेम सिदार ने एक से डेढ़ लाख रुपये तक की आमदनी इस बार की है।

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