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चिल्फी घाटी: वनांचल ग्राम से लगे ग्राम पंचायत लूप में मांदर की थाप और हाथ पर हाथ पकड़कर करमा नाच करती युवतियां देखिए हमारी खास रिपोर्ट….



कवर्धा जीवन यादव (सबका संदेश) मांदर की थाप और हाथ पर हाथ पकड़कर करमा नाच करती युवतियां ये किसी त्यौहार या सांस्कृतिक कार्यक्रम का नजारा नहीं है बल्कि विवाह योग्य युवक-युवतियों के लिए वर-वधु चुनने की परम्परा है। इस परम्परा का निर्वहन कबीरधाम जिले के आदिवासी बैगा समाज एवं मध्प्रदेश के द्वारा किया जाता है जानकारी के अनुसार आदिवासी बैगा समाज में विवाह के लिए युवक-युवतियों को देखने (मांगा-बरी) का दौर प्रारंभ हो चुका है। इस मांगा बारी के अंतर्गत बैगा जनजाति के लोग एक दूसरे के गांव में जाकर करमा नाच गा एक दूसरे को रिझाते हैं। मांगा-बरी का यह दौर कार्तिक पूर्णिमा के बाद से प्रारंभ हो जाता है। इसी दौरान युवक-युवती आपस में एक-दूसरे को पसंद करते हैं और यहीं से अपना जीवन साथी चुनते हैं। इसकी बानगी बोड़ला विकासखंड के अंतर्गत ग्राम पंचायत लूप में देखने को मिली। ग्राम लूप गांव से करीब 45 किमी दूर बसिनखार गांव के युवतीयां करमा नाचने के लिए पहुंचे थे। लूप में रोवन के घर मेहमानों का स्वागत सत्कार किया गया। भोजन में कोदो का चावल, दाल, सब्जी महुआ मंद परोसा गया। जिसका आगंतुक मेहमान और मेजबान दोनों ने आनंद लिया। भोजन एक साथ न बनाकर आदिवासी सब अपने-अपने घर से बना कर लाते हैं और सब एक साथ मिल बैठकर भोजन ग्रहण करते हैं। इसके बाद परंपरा अनुसार पारंपरिक वाद्य यंत्र मांदर की थाप पर युवक-युवतियों ने पारंपरिक श्रंगार कर करमा नृत्य किया। बैगा युवकों ने युवतियों की पोशाक धारण कर नृत्य किया। युवकों ने जहां युवतियों को रिझाने का प्रयास किया। वहीं युवतियों ने भी रिझाने में कोई कमी नहीं छोड़ी। अमरू सिंह मरावी ने बताया कि यह कार्यक्रम बीती रात 11बजे से प्रारंभ हुआ, जो दूसरे दिन शाम 4:00 बजे तक चलता रहा। इस करमा नाच में एक दूसरे को पसंद आने पर युवक-युवती का रिश्ता बुजुर्गों द्वारा किया जाता है। मांगा बरी का यह कार्यक्रम एक दूसरे के गांव में करमा नाच कर किया जाता है।
ग्राम पंचायत लूप में रोवन के घर आयोजित करमा नाच में रोवन सिंह, अमरू मरावी, दसरू सिंह, सहित अन्य मौजूद थे।

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