छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

सीए भिलाई ब्रांच के जीएसटी ऑडिट के प्रावधानों की जानकारी के लिए किया आयोजन

दिल्ली से आए विशेषज्ञों ने कार्यशाला में बताई ई वे बिल और जीएसटी ऑडिट के प्रावधानों के विषय में

भिलाई । सीए भिलाई ब्रांच के जीएसटी ऑडिट के  प्रावधानों की जानकारी के लिए कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला में दिल्ली से आये विशेषज्ञों ने ई वे बिल और जीएसटी ऑडिट के प्रावधानों की एक एक बारीकियों की जानकारी दी। कार्यशाला में प्रमुख वक्ता के रूप में नई दिल्ली से आए सीए सौरभ सिंघल एवं सीए आशीष चौधरी उपस्थित थे। जिन्होंने रियल एस्टेट सेक्टर और जीएसटी ऑडिट से संबंधित हाल के संशोधनों एवं जीएसटी के तहत ई वे बिल से संबंधित प्रावधानों की जानकारी उपस्थितजनों को दी। कार्यशाला की शुरूआत मां सरस्वती के तैलचित्र पर दीप प्रज्जवलन कर की गई।

कार्यशाला के प्रथम सत्र में सीए सौरभ सिंघल ने जीएसटी के तहत ई वे बिल से संबंधित प्रावधान की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जीएसटी के तहत वाहन से माल भेजने पर ई वे बिल प्रणाली की शुरुआत पूरे देश में हो चुकी है। यह एक प्रकार का इलेक्ट्रानिक दस्तावेज होता है, जो अब भारत में कहीं भी माल परिवहन (मोटर वाहन से माल भेजने पर) के लिए अनिवार्य है। ई वे बिल इस बात का प्रमाण है कि जो माल ट्रांसपोर्ट से भेजा जा रहा है, वह नियमपूर्वक भेजा जा रहा और उसकी टैक्स देनदारी वगैरह ठीक तरह से निपटाई जा चुकी है। इस लेख में हम बता रहे हैं कि ई-वे बिल प्रणाली के नए नियम क्या हैं और उनका पालन न होने पर क्या कार्रवाई हो सकती है? उन्होंने बताया कि राज्य के बाहर या अंदर माल भेजने पर ई वे बिल काटना जरूरी है। भेजे जाने वाले माल की कीमत निर्धारित न्यूनतम कीमत से अधिक है और उसे मोटर वाहन से भेजा जा रहा है तो उसके लिए ई वे बिल जारी करना आवश्यक है। चाहे वह माल राज्य के बाहर भेजा जा रहा हो  या राज्य के भीतर भेजा जा रहा हो। ई-वे बिल जारी होने के बाद, उसकी एक कॉपी या ई वे बिल नंबर, माल ले जाने वाले के पास होना मौजूद होना चाहिए, ताकि माल चेक होने की स्थिति में, उसकी वैधता प्रमाणित की जा सके। टैक्स अधिकारी द्वारा द्वारा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण  के माध्यम से इस बिल को कहीं भी सत्यापित किया जा सकता है।

सीए श्री सिंघल ने बताया कि 50 हजार से ऊपर का माल है तो ई वे बिल जारी करना अनिवार्य है। 50 हजार रुपए से अधिक (भी प्रकार के टैक्सों को मिलाकर) के माल की वाहन से सप्लाई पर ई वे बिल जारी करना अनिवार्य है। चाहे वह सिर्फ एक रसीद या एक व्यक्ति से संबंधित माल हो या फिर कई रसीदों और कई व्यक्तियों से संबंधित माल हो। इसी तरह हैंडीक्रॉफ्ट व जॉब वर्क में 50 हजार से कम पर भी ई वे बिल जरूरी है। उन्होंने बताया कि सामान भेजने वाला, मंगाने वाला या ट्रांसपोर्टर भी ई वे बिल जारी कर सकता है। जो भी व्यापारी 50 हजार रुपए से अधिक का माल कहीं भेज रहा है, उसे उस खेप के लिए ई वे बिल बनाना होगा। अगर माल भेजने वाला व्यापारी जीएसटी में पंजीकृत नहीं है तो माल मंगाने वाला व्यापारी  ई वे बिल जारी कर सकता है। अगर माल भेजने वाला और माल मंगाने वाला, दोनों के दोनों जीएसटी में रजिस्टर्ड नहीं हैं तो फिर उस माल को ले जाने वाला यानी कि ट्रांसपोर्टर को ई वे बिल जारी करना होगा।

कार्यशाला के व्दितीय सत्र में सीए आशीष चौधरी ने रियल एस्टेट सेक्टर और जीएसटी ऑडिट से संबंधित हाल के संशोधनों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि रियल एस्टेट कारोबार के लिए जीएसटी कानून में कई बदलाव हुए जो 1 अप्रैल 2019 से प्रभावी हो गए हैं। जिसके तहत अफोर्डेबल हाउसिंग प्रॉपर्टी के आईटीसी  की छूट के बिना जीएसटी का रेट 1त्न (0.5त्न सीजीएसटी और 0.5त्न एसजीएसटी) अन्य हाउसिंग प्रोपर्टी पर आईटीसी की छूट के बिना जीएसटी का रेट 5त्न (2.5त्न सीजीएसटी और 2.5त्न एसजीएसटी) होगा। वहीं कमर्शियल प्रोपर्टी पर नियम में कोई बदलाव नही किया गया है। उन्होंने बताया कि अफोर्डेबल हाउसिंग प्रॉपर्टी का मतलब मेट्रोपोलिटन शहर में 60 वर्ग मीटर यानी 645.835 वर्गफीट तक के कारपेट एरिया वाली सभी मकान या फ्लैट और अन्य शहरों में 90 वर्ग मीटर यानी 968.752 वर्ग फीट तक के कारपेट एरिया वाली सभी मकान या फ्लैट शामिल होंगे।

100 किलोमीटर के लिए ई वे बिल एक दिन के लिए ही वैध

सीए सौरभ सिंघल ने बताया कि 100 किलोमीटर तक माल भेजने के लिए ई वे बिल की 1 दिन की समय सीमा तय है। इससे अधिक प्रत्येक 100 किलोमीटर के लिए 1 दिन अलग से मान्य होगा। हालांकि, कुछ विशेष श्रेणियों  के की खेप के संबंध में कमिश्नर स्तर के अधिकारी को ई वे बिल  की वैधता अवधि बढ़ाने का अधिकार है। इसी तरह 100 से 300 किमी के लिए 3 दिन, 300 से 500 किमी के लिए 5 दिन, 500 से 1000 दिन के लिए 10 दिन व 1000 से अधिक दूरी के लिए 15 दिन की समयसीमा तय की गई है।

ई वे बिल नहीं होने पर ट्रांसपोर्टर पर कम से कम 10 हजार जुर्माना

ऐसी सप्लाई, जिसके साथ ई वे बिल होना आवश्यक है, अगर उसकी चेकिंग के दौरान उपयुक्त ई वे बिल प्रस्तुत नहीं किया जाता है तो जुर्माना या कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि बिना ई वे बिल के माल पकड़ा जाने पर 10 हजार रुपए या उस पर देय टैक्स की पूरी रकम वसूल की जाएगी। दोनों में जो भी रकम अधिक होगी, उसे चुकाना होगा। यानी कि कम से कम 10 हजार रुपए तो चुकाने ही पड़ेंगे। इसी तरह जिस वाहन पर बिना ई वे बिल के माल लदा है, उसे पकड़ा या सीज भी किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में वाहन तभी छोड़ा जाएगा, जबकि माल पर बन रहा पूरा टैक्स (100 प्रतिशत) चुकता कर दिया जाए। या फिर उस पर लदे माल की आधी कीमत (कुल कीमत का 50 प्रतिशत) चुकता करना होगा।

कार्यशाला में स्वागत भाषण ब्रांच अध्यक्ष सीए नितिन रूंगटा व आभार प्रदर्शन ब्रांच सचिव सीए दीपक जैन द्वारा किया गया। कार्यशाला में प्रमुख रूप से सीए श्रीचंद लेखवानी, सीए अरविंद सुराना, सीए आनंद दीक्षित, सीए मिनेश जैन सहित सीए सदस्य एवं छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

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