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कैसे खत्म हो आंदोलन? किसानों को सड़क से बातचीत की टेबल पर लाने की सरकार कर रही कोशिश

नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की घेराबंदी कर रहे किसान आंदोलनकारियों से सरकार बातचीत कर रास्ता निकालने की कोशिश तो कर रही है, लेकिन ढेर सारे संगठनों के साथ बात करने में कई अड़चनें भी हैं। गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा खुद इस मसले के समाधान में जुटे हुए हैं। गुरुवार को होने वाली बैठक में सरकार बातचीत का सिलसिला सकारात्मक ढंग से आगे बढ़ाने की कोशिश करेगी। उसकी कोशिश होगी कि सीमित संख्या में किसान संगठनों के प्रतिनिधि वार्ता के मंच पर आएं ताकि बातचीत करने में आसानी हो सके।

पहले तीन दौर में सरकार ने विभिन्न 32 किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों से चर्चा की है, लेकिन अब आंदोलन में और कई संगठनों के आ जाने से दिक्कतें बढ़ी हैं। इन संगठनों में भी एक राय नहीं है और उनके अंतर्विरोध सरकार के साथ बातचीत को प्रभावित कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, सरकार को अपने खुफिया सूत्रों से यह जानकारी भी मिली है कि इस किसान आंदोलन के पीछे विभिन्न राजनीतिक दल तो हैं ही लेकिन कुछ ऐसे संगठन भी हैं जो आंदोलन की आड़ में अराजकता पैदा करने की कोशिश में जुटे हैं। इसे देखते हुए काफी सतर्कता भी बरती जा रही है।

सरकार की एक बड़ी दिक्कत यह भी है कि वह कृषि कानूनों को लेकर अपनी बात किसानों को पूरी तरह समझा नहीं पाई है। हालांकि, उसने कई स्तर पर इसकी कोशिश की है। सरकार का मानना है कि नए कानून किसी भी तरह से किसानों के खिलाफ नहीं हैं। वह बार-बार कह रही है कि एमएसपी खत्म नहीं हुआ है और ना ही उसे खत्म किया जाएगा। यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर किसान सबसे ज्यादा आंदोलित हैं।

अब दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलनकारियों के डटने के बाद समस्याएं बढ़ गई हैं। पूरे मामले को सरकार बेहद सतर्कता और संजीदगी से ले रही है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर लगातार किसानों से अपील कर रहे हैं और बातचीत की बात कर रहे हैं। तोमर ने गुरुवार की बैठक के पहले कहा कि किसान संगठन और किसानों से बात करना सरकार का धर्म है और वह इस काम को जारी रखेगी। 

गौरतलब है कि सरकार ने पहले कृषि सचिव के स्तर पर और उसके बाद कृषि मंत्री के स्तर पर विभिन्न किसान यूनियनों से बात कर मुद्दा हल करने की कोशिश की थी। लेकिन जब इसमें राजनीतिक दलों की भूमिका भी देखी और कुछ ऐसे संगठन भी जुड़े जो किसानों से संबंधित नहीं हैं तब गृह मंत्री और रक्षा मंत्री ने भी मोर्चा संभाला है। बीते एक-डेढ़ साल में दिल्ली में दो ऐसे आंदोलन हो चुके हैं, जिनके चलते सरकार को और लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था।

 

 

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