छत्तीसगढ़

एआरटी शुरू करने से एचआईव्ही पीड़ित दिखते हैं स्वस्थ, लक्षण धीरे-धीरे हो जाते हैं गायब एचआईव्ही पेंसेट का करें सपोर्ट और खुल कर करें बात- श्रीमती प्रीति चांडक, साइकोलॉजिस्ट जिला अस्पताल 

एआरटी शुरू करने से एचआईव्ही पीड़ित दिखते हैं स्वस्थ, लक्षण धीरे-धीरे हो जाते हैं गायब
एचआईव्ही पेंसेट का करें सपोर्ट और खुल कर करें बात- श्रीमती प्रीति चांडक, साइकोलॉजिस्ट जिला अस्पताल 
नारायणपुर 30 नवम्बर 2020-भारतीय समाज में एक एचआईवी पॉजिटिव मरीज की कई समस्याओं में से सबसे बड़ी समस्या है, कलंक और भेदभाव। यह कलंक और भेदभाव अपने परिवार में स्कूल में कॉलेज में ऑफिस सोसाइटी यहां तक कि मेडिकल सेटिंग में भी हो सकता है। एचआईवी पॉजिटिव पेशेंट को इसे  झेलना और भी कठिन हो जाता है, जब हम उनके दोस्तों को परिवार को यह बताते हैं कि यह इंफेक्शन सिर्फ घनिष्ठ संपर्क से जैसे कि संक्रमित यौन संबंध, संक्रमित रक्त चढ़ाने, संक्रमित मां से होने वाले बच्चे में और संक्रमित सीरींज से फैलता है ना कि सामान्य संपर्क से जैसे कि एक ही घर में रहने से ही बर्तन में खाने से एक ही बाथरूम का उपयोग करने से नहीं फैलता, तब जाकर वह बात समझते हैं। 
      श्रीमती प्रीति चांडक, क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, जिला अस्पताल नारायणपुर ने बताया कि पीएलएचए नेटवर्क जो कि हर राज्य हर जिला में एचआईवी पॉजिटिव लोगों को इस नेटवर्क में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करते हैं ताकि वह पहचाने कि उन जैसे और भी लोग हैं। एक और चीज है जो स्टिग्मा को कम करने में मदद करता है और वह है एंट्री रिट्रो वायरल थेरेपी की उपलब्धता। पहले लोग एड्स का इलाज ना मिलने से मर रहे थे। उनका वजन कम हो जाता था कुपोषित एवं बीमार दिखते थे लेकिन एआरटी शुरू करने के बाद वह स्वस्थ दिखते हैं। उनके लक्षण धीरे-धीरे गायब हो जाते हैं, वे काम पर भी जा सकते हैं और समाज के अविभाज्य अंग फिर से बन सकते हैं। इससे यह कलंक कम हो रहा है और लोग कह रहे हैं बीमारी इतनी बुरी नहीं है जितना हम समझते थ। लोग ठीक हो रहे हैं और समुदाय के अंग बन रहे हैं।
      कई बार लोग पूछते हैं कि अगर परिवार में या समुदाय में कोई एचआईवी पॉजिटिव हो गया है, तो हम उनके लिए क्या कर सकते हैं। इस संबंध में आप उनको यह खुल कर बताएं कि उनका सपोर्ट करेंगे आप उनके लिए हमेशा उपलब्ध रहेंगे। क्योंकि वे उदास रहेंगे साफ्ट रहेंगे, कई बार वे सुसाइडल भी हो सकते हैं। इसलिए हमेशा किसी का साथ पाना किसी का सपोर्ट मिलना उस इंसान के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। डॉक्टर के पास यह जो सपोर्ट सिस्टम है जैसे काउंसलिंग नेटवर्क और ट्रीटमेंट के टाइम में भी आ सकते हैं आप समझ कर और लोगों को यह जानकारी पहुंचाने में भी मदद करएआरटी शुरू करने से एचआईव्ही पीड़ित दिखते हैं स्वस्थ, लक्षण धीरे-धीरे हो जाते हैं गायब
एचआईव्ही पेंसेट का करें सपोर्ट और खुल कर करें बात- श्रीमती प्रीति चांडक, साइकोलॉजिस्ट जिला अस्पताल

नारायणपुर 30 नवम्बर 2020-भारतीय समाज में एक एचआईवी पॉजिटिव मरीज की कई समस्याओं में से सबसे बड़ी समस्या है, कलंक और भेदभाव। यह कलंक और भेदभाव अपने परिवार में स्कूल में कॉलेज में ऑफिस सोसाइटी यहां तक कि मेडिकल सेटिंग में भी हो सकता है। एचआईवी पॉजिटिव पेशेंट को इसे झेलना और भी कठिन हो जाता है, जब हम उनके दोस्तों को परिवार को यह बताते हैं कि यह इंफेक्शन सिर्फ घनिष्ठ संपर्क से जैसे कि संक्रमित यौन संबंध, संक्रमित रक्त चढ़ाने, संक्रमित मां से होने वाले बच्चे में और संक्रमित सीरींज से फैलता है ना कि सामान्य संपर्क से जैसे कि एक ही घर में रहने से ही बर्तन में खाने से एक ही बाथरूम का उपयोग करने से नहीं फैलता, तब जाकर वह बात समझते हैं।

श्रीमती प्रीति चांडक, क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, जिला अस्पताल नारायणपुर ने बताया कि पीएलएचए नेटवर्क जो कि हर राज्य हर जिला में एचआईवी पॉजिटिव लोगों को इस नेटवर्क में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करते हैं ताकि वह पहचाने कि उन जैसे और भी लोग हैं। एक और चीज है जो स्टिग्मा को कम करने में मदद करता है और वह है एंट्री रिट्रो वायरल थेरेपी की उपलब्धता। पहले लोग एड्स का इलाज ना मिलने से मर रहे थे। उनका वजन कम हो जाता था कुपोषित एवं बीमार दिखते थे लेकिन एआरटी शुरू करने के बाद वह स्वस्थ दिखते हैं। उनके लक्षण धीरे-धीरे गायब हो जाते हैं, वे काम पर भी जा सकते हैं और समाज के अविभाज्य अंग फिर से बन सकते हैं। इससे यह कलंक कम हो रहा है और लोग कह रहे हैं बीमारी इतनी बुरी नहीं है जितना हम समझते थ। लोग ठीक हो रहे हैं और समुदाय के अंग बन रहे हैं।

कई बार लोग पूछते हैं कि अगर परिवार में या समुदाय में कोई एचआईवी पॉजिटिव हो गया है, तो हम उनके लिए क्या कर सकते हैं। इस संबंध में आप उनको यह खुल कर बताएं कि उनका सपोर्ट करेंगे आप उनके लिए हमेशा उपलब्ध रहेंगे। क्योंकि वे उदास रहेंगे साफ्ट रहेंगे, कई बार वे सुसाइडल भी हो सकते हैं। इसलिए हमेशा किसी का साथ पाना किसी का सपोर्ट मिलना उस इंसान के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। डॉक्टर के पास यह जो सपोर्ट सिस्टम है जैसे काउंसलिंग नेटवर्क और ट्रीटमेंट के टाइम में भी आ सकते हैं आप समझ कर और लोगों को यह जानकारी पहुंचाने में भी मदद कर सकते हैं। व्यक्तिगत अनुभव के बारे में भी खुलकर बात कर सकते है। खास करके तब जब आप जानते हैं कि वह इंसान एचआईवी पॉजिटिव है। जैसा कि बीपी होता है शुगर होता है उनका इलाज जिंदगी भर चलता रहता है वैसे ही एड्स है तो अगर हम शुगर और बीपी को इतनी गंदी बीमारी नहीं मानते तो एड्स को क्यों इतनी गंदी नजर से देखते हैं। दोस्तों जरूरत है कुछ सावधानियों की जरूरत है कुछ सपोर्ट की ताकि एचआईवी पॉजिटिव पेशेंट भी एक सामान्य और सम्मानजनक जिंदगी जी सके।

सकते हैं। व्यक्तिगत अनुभव के बारे में भी खुलकर बात कर सकते है। खास करके तब जब आप जानते हैं कि वह इंसान एचआईवी पॉजिटिव है। जैसा कि बीपी होता है शुगर होता है उनका इलाज जिंदगी भर चलता रहता है वैसे ही एड्स है तो अगर हम शुगर और बीपी को इतनी गंदी बीमारी नहीं मानते तो एड्स को क्यों इतनी गंदी नजर से देखते हैं। दोस्तों जरूरत है कुछ सावधानियों की जरूरत है कुछ सपोर्ट की ताकि एचआईवी पॉजिटिव पेशेंट भी एक सामान्य और सम्मानजनक जिंदगी जी सके।

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