चक्की पीसने के लिए आपने संसार में जन्म नहीं लिया था- ज्योतिष
*चक्की पीसने के लिए आपने संसार में जन्म नहीं लिया था- ज्योतिष*
आनंद देने वाले कार्यों के लिए समय अवश्य निकालें। सिर्फ
। उचित समय पर जीवन का आनंद भी लेना चाहिए।
कुछ कार्य हमें प्रतिदिन करने चाहिएँ। और कुछ कार्य, जब अनुकूलता हो, तब करने चाहिएं। स्वास्थ्य रक्षा और आनन्द प्राप्त करने के लिए, जो आवश्यक कार्य हैं, उनके लिए सबको निश्चित रूप से समय निकालना ही चाहिए।
यूं तो सभी के पास अपने-अपने काम हैं। फालतू समय किसी के पास भी नहीं है। फिर भी जो आवश्यक कार्य होते हैं, उसके लिए समय निकालना ही पड़ता है। जैसे कहीं शादी विवाह में जाना होता है, किसी रोगी की सेवा करने के लिए जाना पड़ता है, शॉपिंग के लिए जाना पड़ता है, आदि आदि।
जिन कार्यों को आप आवश्यक समझते हैं, उनके लिए आप समय निकालते हैं। तथा जिन कार्यों को आप आवश्यक नहीं मानते, उनके लिए समय नहीं निकालते, और टालते रहते हैं, कि *चलो फिर कभी देखा जाएगा। कभी समय मिलेगा, तो कर लेंगे। इस प्रकार से टालते रहते हैं।
केवल नौकरी व्यवसाय व्यापार करने के लिए, घर की चक्की चलाने के लिए ही आपका जन्म नहीं हुआ। नौकरी व्यापार आदि भी आवश्यक है, और इसे आप करते भी हैं। परंतु जीवन के आनंद के लिए कुछ और कार्य भी हैं, जिनको करना आवश्यक है। उन कार्यों के लिए भी समय निकालना चाहिए।
जैसे — अपनी उम्र और शक्ति के अनुसार प्रतिदिन व्यायाम करना, तथा अपने घर में यज्ञ हवन करना, स्वास्थ्य रक्षा तथा दीर्घायु होने के लिए बहुत आवश्यक है। प्रतिदिन थोड़ा-थोड़ा गाय आदि प्राणियों को भी चारा भोजन देना चाहिए। इससे उनकी रक्षा भी होगी और हमें भी दूध घी आदि अनेक वस्तुएं प्राप्त होंगी। मन की शांति, एवं तनाव को दूर करने के लिए कुछ समय प्रतिदिन ईश्वर का ध्यान करना भी आवश्यक है। इसी प्रकार से मन की स्वस्थता और उत्साह आदि की प्राप्ति के लिए कभी कभी अपने बच्चों के साथ खेलना, उनके साथ हंसना गाना मनोरंजन करना भी आवश्यक है।
प्रतिदिन थोड़ा समय बच्चों को अच्छी बातें सिखाना, उन्हें महापुरुषों की कथाएं सुनाना, अच्छाइयों तथा बुराइयों के बारे में समझाना, और बुराइयों से सावधान करना भी आवश्यक है। यदि आप अपने बच्चों को अच्छाई एवं बुराई का अंंतर नहीं समझाएंगे, तो वे जाने अनजाने में बुराइयों को अपने जीवन में अपना लेंगे, और सबकी हानि करेंगे। बच्चों की उम्र के अनुसार उन्हें व्यावहारिक प्रशिक्षण देवें।
एक दिन में कम से कम एक बार तो अवश्य ही परिवार के साथ बैठकर भोजन खाएं। इससे परिवार में प्रेम बढ़ता है। कुछ बातचीत भी हो जाती है, तथा आपस में संगठन और अनुशासन भी बढ़ता है, आदि आदि लाभ होते हैं।
कभी-कभी परिवार के साथ बाहर घूमने फिरने सैर सपाटे पर भी जाएं। कभी-कभी अपने मित्रों के साथ बैठकर भी खाना पीना, चर्चा करना आदि के लिए समय निकालना चाहिए। इससे सामाजिक संगठन भी बढ़ता है, आपत्तिकाल में लोग एक दूसरे की सहायता भी करते हैं , और मिलकर दुष्ट लोगों से अपनी रक्षा भी कर लेते हैं। इस प्रकार से इन सब आवश्यक कार्यों के लिए प्रतिदिन अथवा जब अनुकूलता हो, तब समय निकालें। तभी जीवन का कुछ आनंद मिलेगा।