महिला सुरक्षाः अपने अधिकारो को जानें, समझे और हक से मांगें- डॉ किरणमयी नायक
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रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक ने रायपुर जिले के पंजीकृत प्रकरणों की आज आयोग कार्यालय रायपुर मुख्यालय में सुनवाई की। मंगलवार के एक प्रकरण में पत्रकार अनावेदक द्वारा आवेदिका महिला के संबंध में कांकेर के साप्ताहिक समाचार पत्र में महिला के लिए अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करने को सही पाए जाने पर आयोग के अध्यक्ष ने अनावेदक कोे निरुद्ध कर जेल भेजने के निर्देश दिए। पत्रकार द्वारा पेपर में हर 15 दिन में महिला को अपमानित और बदनाम करने के नियत से समाचार प्रकाशित करता था और महिला के निवास स्थान के मोहल्ले में समाचार पत्र का वितरण भी करवाता था। इससे एक महिला के सम्मान को ठेस पहुॅची है। आयोग द्वारा दोनो पक्षों को सुना गया। इस सुनवाई की विडियोग्राफी भी की गई। सुनवाई के बाद समाचार पत्र का पंजीयन निरस्त करने प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) को अनुशंसा तथा बार बार महिला को अपमानित करने, जितनी बार समाचार प्रकाशित किया गया है उतनी बार एफआईआर करने के निर्देश दिए गए।
इसी तरह एक मामला राशि ना लौटाने का है। इसमें महिला के पति ने अपनी सेवानिवृत्त के बाद मिली राशि को अपनी सहकर्मी को उधार में दे दी। उक्त सहकर्मी ने जब राशि को नही लौटाई तो इतनी बड़ी राशि नही मिलने पर महिला के पति की सदमे में मौत हो गया। महिला को 8 लाख 24 हजार 261 रूपये राशि को वापस दिलाने की कार्यवाही करने के निर्देश दिए। आयोग ने पुलिस अधीक्षक दुर्ग को सम्पूर्ण प्रकरण की शिकायत की प्रति एवं नोटशीट की प्रति भेजे जाने के निर्देश दिए।
इसी तरह एक अन्य मामला लव मैरिज का था, जिसमें आवेदिका व अनावेदक उपस्थित हुए। जिसमें पति पत्नि के बीच झगड़ा होने और दोनो अलग रहना चाहतें है। पत्नी अपने पति द्वारा दस्तावेज नही देने पर एफआईआर पति करना चाहती है। अपने पति द्वारा अश्लील विडियों डाऊनलोड करके पत्नी को ब्लैक मेल करता था। आवेदिका का कहना है कि शादी के समय जाति छुपा कर शादी किया गया है। अनावेदक ने शादी का सर्टिफिकेट एवं अपने बच्ची का बर्थ सर्टिफिकेट अपने पास होना स्वीकार किया। आवेदिका चाहे तो अनावेदक के विरूद्व कार्यवाही कर सकती है आवेदिका नही रहना चाहती है तलाक चाहती है। इसी तरह एक प्रकरण की सुनवाई करते हुए अनावेदक व आवेदिका उपस्थित हुए जिसमें आवेदिका अपने पति के साथ नही रहना चाहती जिससें अनावेदक ने अपने पत्नि को हर माह 5 हजार प्रतिमाह देने का समझौता हुआ। इस मामले में 15000-/रू. प्रतिमाह एक मामले में 10000-/प्रतिमाह भरण-पोषण तय किया गया। उक्त दिवस में सुनवाई हेतु प्रकरण मुख्यतः पति पत्नि विवाद दैहिक शोषण मारपीट प्रताड़ना दहेज प्रताड़ना कार्यस्थल पर प्रताड़ना घरेलू हिंसा से संबंधित थे।
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