दीवाली में मिट्टी के दीए की अच्छी बिक्री की आश में मुंगेली के कुम्हार
दीवाली में मिट्टी के दीए की अच्छी बिक्री की आश में मुंगेली के कुम्हार
दीवाली में मिट्टी के दीए की अच्छी बिक्री की आश में मुंगेली के कुम्हार
दिवाली नजदीक आते ही कुम्हार लोगो की महीनों भर पहले से मिट्टी के दीयों की तैयारियां चालू हो जाती दिन रात एक करके मिट्टी के दिये मिट्टी की मूर्ति बनाने के लिए लग जाते हे
बनाने की विधि बताते हुए कहते हे की इसको बनाने में कई दिन लग जाते हे कच्ची मिट्टी से बना कर सुखाया जाता है फिर । आग की भट्टी से पकाया जाता है पकने के बाद मूर्तियों में कलर किया जाता है उसके बाद ही बाजारों में लाया जाता है बिक्री के लिए
भारत की परम्परा के अनुसार दिवाली में मिट्टी के दिए से हर घरो में दियो से रोशन किया जाता है चली आ रही हमारी सदियों को परम्परा आज भी हे कुम्हार लोग के बनाए दिए में चली आ रही है
बनाए हुए दिए बेच कर वह अपने परिवार वालों का पालन पोसढ़ करते हे जिससे उनकी जीविका चली आ रही है लेकिन पिछले कई सालो से चाईनीज दिए और लाइट के आ जाने से मिट्टी के दिए की बिक्री में कुछ कमी आई थी लेकिन इस बार पूरे देश इस चाईनीज सामानों का बहिष्कार कर दिया हे जिससे कुम्हार लोगो का कहना है कि इस बार हमारे बनाए हुए दिए अच्छे से बिक जाय जिससे हमारी जीविका में कोई असर ना पड़े और इस बार कोरोना के चलते पिछले कई महीनों से मिट्टी के कोई भी समान की अच्छे से बिक्री नहीं कर पाए हे
मनीष नामदेव मुंगेली