छत्तीसगढ़

Kondagaon: कलेक्टर भी नही दिलावा पाये गरीबों को उनकी मजदूरी तो न्यायालय जाने की दे दी सलाह

कोण्डागांव। शासकीय स्कूल भवन के निर्माण कार्य के दौरान अपना पसीना बहाकर मजदूरी का कार्य किए मजदूरों के द्वारा अपनी बकाया मजदूरी राशि भुगतान के लिए ठेकेदार से लेकर कार्यालयों में भटकते-भटकते परेशान होकर जन चैपाल में कलेक्टर के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करने के बावजूद, मजदुरों को उनकी मजदुरी अब तक नहीं दिला सकने के बाद, अंततः कलेक्टर कोण्डागांव द्वारा उन मजदूरों को न्यायालय जाने की समझाईश दिए जाने का मामला सामने आया है। भवन निर्माण कार्य का ठेका लेकर, ठेकेदार द्वारा मजदूरों से मजदुरी कराए जाने के बाद समय पर उनकी मजदुरी न देकर मजदुरों का शोषण किए जाने का उक्त मामला ग्राम भोंगापाल व बडे ओडागांव के सरकारी स्कूल भवनों के निर्माण का है, जहां ठेकेदार द्वारा मजदुरों से काम कराने के बाद उनकी मजदूरी समय पर बल्कि सालों बित जाने पर भी नहीं देने से परेषान शोषित मजदूरों द्वारा 25 फरवरी को कलेक्टोरेट कोण्डागांव में लगने वाले जन चैपाल कार्यक्रम में देते और कलेक्टर से मुलाकात कर, ठेकेदार से मजदुरी की राशि दिलवाने की मांग की गई थी, लेकिन तत्कालीन कलेक्टर नीलकंठ टेकाम जून 2020 तक उन मजदूरों को उनकी मजदूरी नहीं दिला सके और वे स्थानांतरित होकर यहां से चले भी गए। इसके बाद उक्त मजदूरों ने नवपदस्थ कलेक्टर पुष्पेंद्र कुमार मीणा से मुलाकात कर उन्हें अपनी व्यथा बताते हुए मजदूरी दिलाने का आग्रह किया जिस पर वे भी, एक समय सीमा में मजदूरी दिलाने का आष्वासन देने के साथ ही प्रयास भी करते रहे कि मजदूरों को उनकी मजदूरी दिलाई जा सके, लेकिन अंततः उन्होंने भी मजदूरों को जवाब दे ही दिया कि वे कोर्ट जाकर अपनी मजदूरी हासिल करें। कलेक्टर से मजदूरी दिलाने की गुहार लगाने कलेक्टोरेट में पहुंचे राजमिस्त्री व मजदुरों ने प्रेस प्रतिनिधि को उपरोक्त बातों के साथ यह भी बताया कि वे सभी मजदुर जिला व तहसील कोण्डागांव के अलग-अलग ग्रामों बेतबेडा, चांगेर, बडेझुलना, झारा और कोकोडी के निवासी हैं और उनमें से अधिकांश मजदुर आदिवासी एवं कुछ पिछडा वर्ग के हैं। उन सभी मजदुरों से कोण्डागांव के एक प्रतिष्ठित ठेकदार ने जिले के ब्लाॅक फरसगांव के ग्राम भोंगापाल व बडेओडागांव में वर्ष 2018 में दो शासकीय स्कूल भवनों के निर्माण में उनसे मजदुरी तो कराया, लेकिन अब मजदुरी मांगने पर ठेकेदार कहता है कि शासन से ही भवन निर्माण की राशि नहीं दिया जा रहा है, तो वह उनकी मजदुरी कहां से देगा। ठेकेदार की उक्त बातें सुन-सुनकर परेषान हो जाने के बाद ही मजदुरों ने तय किया कि कलेक्टर कोण्डागांव को आवेदन देकर यह पूछ लिया जाए कि क्या वाकई में ठेकेदार को शासन से राशि मिल चूकी है ? यदि नहीं तो पहले शासन से ठेकेदार को राशि दिलवाई जाए, फिर ठेकेदार से हम मजदुरों को मजदुरी का भुगतान करवाया जाए। वहीं यदि शासन से ठेकेदार को राशि मिल चुकी है और ठेकेदार हमें मजदुरी के लिए बेवजह भटकाते हुए, हम आदिवासी व पिछडा वर्ग के ग्रामीण मजदुरों का शोषण कर रहा है तो, ठेकेदार से हम मजदुरों को मजदुरी दिलाने के साथ ही ठेकेदार पर उचित कानूनी कार्यवाही भी की जाए। शिकायत पत्र में हरिचंद, मनूराम, डिकेष्वर, जैतुराम, राजेश, शंकर, सुखदेव, राकेश, सुमित्रा, शिवबती, विम्लेष्वरी, सेवंती, सोमारी, बुधनी, सलिम आदि मजदुरों ने कार्य दिवसों का उल्लेख करते हुए बताया कि ठेकेदार से उन सभी मजदुरों को कुल 1 लाख 53 हजार 855 रुपए लेना बनता है। लेकिन जो बातें मजदूरों ने बताई है उससे साफ जाहिर हो गया है कि अब कोण्डागांव जिले के प्रमुख अधिकारी कलेक्टर द्वारा भी मजदूरी न दिला पाने पर खेद जाहिर करते हुए मजदूरों को कोर्ट जाने की सलाह दे दी गई। जो कि अपने आपमें एक अनोखा मामला है, क्योंकि श्रम न्यायालय में भी मजदूरी भुगतान नहीं होने के वे मामले ही लिए जाते हैं जो साल भर के अंदर के होते हैं। अब ऐसे शोषित आदिवासी व पिछडावर्ग के मजदुरों का क्या होगा ?

राजीव गुप्ता

Rajeev kumar Gupta District beuro had Dist- Kondagaon Mobile.. 9425598008

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