छत्तीसगढ़
व्यवाहारिक पशुपालन पोषण एवं पशु स्वास्थ्य पर ऑनलाईन राष्ट्रीय कार्यशाला संपन्न
व्यवाहारिक पशुपालन पोषण एवं पशु स्वास्थ्य पर ऑनलाईन राष्ट्रीय कार्यशाला संपन्न
नारायणपुर 02 नवम्बर 2020- इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अधीनस्थ कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, नारायणपुर (छ.ग.) के द्वारा व्यवाहारिक पशुधन पालन-पोषण स्वास्थ्य एवं स्वच्छता पर दो दिवसीय ऑनलाईन राष्ट्रीय कार्यशाला बीते दिन संपन्न हुई। इस कार्यशाला का का उद्घाटन इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.एस. के. पाटिल द्वारा किया गया। उन्होंने प्रतिभागीयों को संबोधित करते हुए उन्होंने कार्यशाला के उद्देश्य को सराहते हुए बताये कि कृषकों के जीवन में पशुधन अत्याधिक महत्व रखता है तथा पशुपालन कृषि की सहायक क्रिया है। विश्व मे सबसे अधिक पशुधन भारत में है, जिससे किसानों को आय अर्जित होती है। डॉ.एस. के. पाटिल ने कहा की कृषकों को ऐसे मॉडल के बारे में बताना चाहिए जिससे उन्हें अधिक आय प्राप्त हो सके। क्योंकि आज भी बस्तर क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों मे पशुओं को डेयरी के दृष्टि से नहीं पाला जाता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ.एम. पी. ठाकुर निदेशक शिक्षण एवं परीक्षा नियंत्रक इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर (छ.ग.) ने नारायणपुर से कार्यशाला के संम्पादन को सराहते हुए कहा कि जिस उददेश्य से इसका आयोजन किया गया है। वह निश्चित विद्यार्थीयों एवं कृषकों के लिए फायदेमंद होगा। डा.ठाकुर ने कहा कि भारत पशुधन मे प्रथम स्थान पर है तथा कृषकों के आय का साधन है। उनके लिए पोषण एवं स्वास्थ्य की देख रेख करना आवश्यक है क्योंकि यह कृषकांे के आय का महत्वपूर्ण साधन है। डॉ.ठाकुर ने अवगत कराते हुए कहा कि भारत मे पशुधन प्रथम स्थान पर है तथा कृषकों के आय का मुख्य साधन है। कृषक अपने खेतों में पशुधन, सुकर, मुर्गी, गाय, भैस, बत्तख, मछली पालन आदि रखकर वर्ष भर अधिक आय प्राप्त कर सकते हैं।
अधिष्ठाता डॉ.रत्ना नशीने ने बताया कि पशुधन कृषकों के लिए आय का महत्वपूर्ण साधन है। जिससे मांस, चमड़ा, दूध, अण्डा इत्यादि प्राप्त होता है। कृषि फसल ना होने पर भी यह आय का स्त्रोत है। पोषण और स्वच्छता की जानकारी होना जरूरी है जिससे पशुओं का सही तरीके से लालन-पालन कर सके तथा अच्छी आय अर्जित कर सके। साथ हीं विद्यार्थी यह ज्ञान अर्जित कर अपने आसपास के कृषकों को बता सकतें है।
कार्यशाला में कुल 12 सत्र हुए जिसमें विभिन्न विषय पर जानकारी दी गयी पशुधन का भारत एवं ग्रामीण अर्थव्यवास्था में महत्व, डॉ.गजेन्द्र कोंडिबा लोंधे विभागाध्यक्ष पशुपालन विभाग परभणी महाराष्ट्र, डॉ. मन्जुनाथ, विभागाध्यक्ष वेटनरी कॉलेज, कर्नाटक वेटनरी पशु, मत्स्य, विज्ञान, बिदर कर्नाटक, के द्वारा मुर्गीयों एवं पशुओं में होने वाली बिमारी तथा पशुधन में होने वाली बिमारियों से बचाव, जानवरों को काबू करना तथा नियंत्रण पर डॉ. दिनेश उद्धवराव लोखण्डे, विभागाध्यक्ष मुम्बई वेटनरी कॉलेज महाराष्ट्र, डॉ. धीरेन्द्र भोसले सहप्राध्यापक, वेटनरी महाविद्यालय, डी. एस. वी. सी. कामधेनू विश्वविद्यालय दुर्ग ने दूधारू पशुओं का प्रबंधन पर विस्तार से चर्चा की, डा. गौतम राय वरिष्ट वैज्ञानिक एवं प्रमुख कृषि विज्ञान केन्द्र, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के द्वारा संधारणीय, विपणन, अग्रसर, घरेलु मुर्गी पालन, एवं भारतीय कुक्कुट उद्योग में बैक्यार्ड एवं व्यवासायिक पोल्ट्री पर विस्तृत जानकारी दी।
श्री प्रशान्त कुमार शिक्षक कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, नारायणपुर ने कुक्कूट इनक्यूबेशन पर व्याख्यान दिया। डॉ.राहुल आर्या सहायक प्राध्यापक, राजमोहनी देवी कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, अम्बिकापुर ने अपने तीन व्याख्यानों में जैविक पशुपालन, भारत में पशुओं का संकरण, तथा ग्रामीण कुक्कुट पालन आवास प्रबंधन पर जानकारी दी। इस कार्यशाला में विभिन्न वेटनरी विश्वविद्यालय से व्याख्याताओं ने विडियो व पी. पी. टी. के माध्यम से व्याख्यान दिए। कार्यशाला में 756 कृषक विद्यार्थी एवं अध्यापकगण ने पंजीयन किया था। दो दिवसीय वेबीनार के अंत में अधिष्ठाता डॉ.रत्ना नशीने ने कुलपति डॉ.एस. के. पाटिल इं. गा. कृषि वि. वि. रायपुर, डॉ.आर. के. बाजपायी, निदेशक अनुसंधान सेवाये, डा.एम. पी ठाकुर निदेशक शिक्षण एवं परीक्षा नियंत्रक इंदिरा गांधी कृ कृषि विश्वविद्यालय रायपुर (छ.ग.) एवं प्रतिभागी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के अंत में डॉ. अनिल दिव्य द्वारा आभार व्यक्त किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए श्री प्रशांत, श्री किशोर कुमार मण्डल, डॉ. दास, इंजि. फनेश कुमार, डॉ.विशाल गुप्ता श्री वत्सल श्रीवास्तव का सहरानीय योगदान रहा।
नारायणपुर 02 नवम्बर 2020- इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अधीनस्थ कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, नारायणपुर (छ.ग.) के द्वारा व्यवाहारिक पशुधन पालन-पोषण स्वास्थ्य एवं स्वच्छता पर दो दिवसीय ऑनलाईन राष्ट्रीय कार्यशाला बीते दिन संपन्न हुई। इस कार्यशाला का का उद्घाटन इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.एस. के. पाटिल द्वारा किया गया। उन्होंने प्रतिभागीयों को संबोधित करते हुए उन्होंने कार्यशाला के उद्देश्य को सराहते हुए बताये कि कृषकों के जीवन में पशुधन अत्याधिक महत्व रखता है तथा पशुपालन कृषि की सहायक क्रिया है। विश्व मे सबसे अधिक पशुधन भारत में है, जिससे किसानों को आय अर्जित होती है। डॉ.एस. के. पाटिल ने कहा की कृषकों को ऐसे मॉडल के बारे में बताना चाहिए जिससे उन्हें अधिक आय प्राप्त हो सके। क्योंकि आज भी बस्तर क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों मे पशुओं को डेयरी के दृष्टि से नहीं पाला जाता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ.एम. पी. ठाकुर निदेशक शिक्षण एवं परीक्षा नियंत्रक इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर (छ.ग.) ने नारायणपुर से कार्यशाला के संम्पादन को सराहते हुए कहा कि जिस उददेश्य से इसका आयोजन किया गया है। वह निश्चित विद्यार्थीयों एवं कृषकों के लिए फायदेमंद होगा। डा.ठाकुर ने कहा कि भारत पशुधन मे प्रथम स्थान पर है तथा कृषकों के आय का साधन है। उनके लिए पोषण एवं स्वास्थ्य की देख रेख करना आवश्यक है क्योंकि यह कृषकांे के आय का महत्वपूर्ण साधन है। डॉ.ठाकुर ने अवगत कराते हुए कहा कि भारत मे पशुधन प्रथम स्थान पर है तथा कृषकों के आय का मुख्य साधन है। कृषक अपने खेतों में पशुधन, सुकर, मुर्गी, गाय, भैस, बत्तख, मछली पालन आदि रखकर वर्ष भर अधिक आय प्राप्त कर सकते हैं।
अधिष्ठाता डॉ.रत्ना नशीने ने बताया कि पशुधन कृषकों के लिए आय का महत्वपूर्ण साधन है। जिससे मांस, चमड़ा, दूध, अण्डा इत्यादि प्राप्त होता है। कृषि फसल ना होने पर भी यह आय का स्त्रोत है। पोषण और स्वच्छता की जानकारी होना जरूरी है जिससे पशुओं का सही तरीके से लालन-पालन कर सके तथा अच्छी आय अर्जित कर सके। साथ हीं विद्यार्थी यह ज्ञान अर्जित कर अपने आसपास के कृषकों को बता सकतें है।
कार्यशाला में कुल 12 सत्र हुए जिसमें विभिन्न विषय पर जानकारी दी गयी पशुधन का भारत एवं ग्रामीण अर्थव्यवास्था में महत्व, डॉ.गजेन्द्र कोंडिबा लोंधे विभागाध्यक्ष पशुपालन विभाग परभणी महाराष्ट्र, डॉ. मन्जुनाथ, विभागाध्यक्ष वेटनरी कॉलेज, कर्नाटक वेटनरी पशु, मत्स्य, विज्ञान, बिदर कर्नाटक, के द्वारा मुर्गीयों एवं पशुओं में होने वाली बिमारी तथा पशुधन में होने वाली बिमारियों से बचाव, जानवरों को काबू करना तथा नियंत्रण पर डॉ. दिनेश उद्धवराव लोखण्डे, विभागाध्यक्ष मुम्बई वेटनरी कॉलेज महाराष्ट्र, डॉ. धीरेन्द्र भोसले सहप्राध्यापक, वेटनरी महाविद्यालय, डी. एस. वी. सी. कामधेनू विश्वविद्यालय दुर्ग ने दूधारू पशुओं का प्रबंधन पर विस्तार से चर्चा की, डा. गौतम राय वरिष्ट वैज्ञानिक एवं प्रमुख कृषि विज्ञान केन्द्र, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के द्वारा संधारणीय, विपणन, अग्रसर, घरेलु मुर्गी पालन, एवं भारतीय कुक्कुट उद्योग में बैक्यार्ड एवं व्यवासायिक पोल्ट्री पर विस्तृत जानकारी दी।
श्री प्रशान्त कुमार शिक्षक कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, नारायणपुर ने कुक्कूट इनक्यूबेशन पर व्याख्यान दिया। डॉ.राहुल आर्या सहायक प्राध्यापक, राजमोहनी देवी कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, अम्बिकापुर ने अपने तीन व्याख्यानों में जैविक पशुपालन, भारत में पशुओं का संकरण, तथा ग्रामीण कुक्कुट पालन आवास प्रबंधन पर जानकारी दी। इस कार्यशाला में विभिन्न वेटनरी विश्वविद्यालय से व्याख्याताओं ने विडियो व पी. पी. टी. के माध्यम से व्याख्यान दिए। कार्यशाला में 756 कृषक विद्यार्थी एवं अध्यापकगण ने पंजीयन किया था। दो दिवसीय वेबीनार के अंत में अधिष्ठाता डॉ.रत्ना नशीने ने कुलपति डॉ.एस. के. पाटिल इं. गा. कृषि वि. वि. रायपुर, डॉ.आर. के. बाजपायी, निदेशक अनुसंधान सेवाये, डा.एम. पी ठाकुर निदेशक शिक्षण एवं परीक्षा नियंत्रक इंदिरा गांधी कृ कृषि विश्वविद्यालय रायपुर (छ.ग.) एवं प्रतिभागी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के अंत में डॉ. अनिल दिव्य द्वारा आभार व्यक्त किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए श्री प्रशांत, श्री किशोर कुमार मण्डल, डॉ. दास, इंजि. फनेश कुमार, डॉ.विशाल गुप्ता श्री वत्सल श्रीवास्तव का सहरानीय योगदान रहा।