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कोंडागांव/केशकाल। केशकाल अनुविभाग के ग्राम सवाला में जमीन विवाद को लेकर लड़की से मारपीट करने और लड़की के द्वारा रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद उसके परिवार का हुक्का पानी बंद करने के मामले का जिला व पुलिस प्रशासन हल निकाल भी नहीं पाया है कि ठीक इसी तरह का एक और मामला उसी गांव का सामने आ रहा है।
ग्राम सवाला की उस लड़की ने अपनी जो व्यथा व्यक्त किया है वो शब्दसः इस प्रकार है –
” मैं चंपा यादव पिता श्री हीरालाल यादव मूलतः ग्राम सवाला, तहसील केशकाल, थाना धनौरा, जिला कोंडागांव की निवासी हूं और स्वास्थ्य विभाग में स्वास्थ्य कार्यकर्ता के पद पर सेवारत रहते ईरागांव में पदस्थ हूं। दिनाँक 12-5-2019 को ग्राम के एक युवक मानूराम मंडावी ने मेरे पर हमला करते हुए मेरे कान को काट दिया था।जिसकी रिपोर्ट मैंने पुलिस थाना धनौरा में दर्ज करवाया था। जिस पर पुलिस ने अपराध कायम किया था। जिसके बाद गांव के प्रभावी लोग आपस में मिलकर मुझ पर दबाव डालकर समझौता कराने के नाम पर प्रकरंण समाप्त करवाने की कोशिश में जुट गये थे। इस प्रयास में उन लोगों ने दो बार पत्र/नोटिस जारी कर बुलवाया था। पर हम उन लोगों की मंशा को जानते थे इसलिए बैठक में न मैं गयी और न मेरे माता पिता परिवार वाले गये। जिससे क्षुब्ध होकर प्रतिशोध वश उन लोगों ने एक राय होकर मेरे और मेरे परिवार का बहिष्कार करते आगी पानी लेने देने बातचीत बंद करने का मौखिक आदेश गांव में जारी कर दिया। जिसके चलते हमारे परिवार से गांव का कोई भी महिला पुरूष बातचीत नहीं करते, आना जाना नहीं करते वंही हमारे परिवार का कोई सदस्य कंही मजदूरी करने जाता है तो जिनके यंहा काम करने जाते हैं उन पर दबाव डालते दंण्डित करने की धमकी देते हैं। अभी 4 दिन पहले मेरे पिताजी और परिवार वाले गांव के घासीराम खवास के यंहा मजदूरी करने गये थे तो गांव के कुछ लोग घासीराम खवास को धमकाने पंहुच गये थे कि तूम हीरालाल को और उनके घरवालों को कैसे अपने घर काम करने बुलाते हो उसे हम लोग निकाल दिये है। इस तरह से दुर्भावनावश हमारे परिवार का बहिष्कार करके हम लोगों का जीना दूभर कर दिये है। अतः आपसे और पुलिस प्रशासन ज़िला प्रशासन से प्रार्थना है कि न्याय एवं राहत दिलाने की कृपा करें।”
उल्लेखनीय है कि विगत दिनों घासीराम खवास के परिवार का हुक्का पानी बंद करने की खबर प्रकाशित होने पर एक अगुवाकर्ता का कथन सोशल मीडिया में यह कहकर आया था कि हुक्का पानी बंद करने जैसी कोई बात हुआ नहीं है। जबकि इस बात को झुठलाते हुए घासीराम खवास एवं उसके परिवार जन का कहना है कि पुराने जमाने में चलने वाले तानाशाही प्रथा का नकल करते हमारा हुक्का पानी बंद करा दिया गया है। जिसके चलते गांव का मवेशी चराने वाला चरवाहा हमारा जानवर चराने नहीं ले जा रहा है गांव वाले हमसे बातचीत लेन-देन बंद कर दिये है। इस विवाद को लेकर जिला प्रशासन पुलिस एवं पुलिस प्रशासन बहुत ही सतर्क है और पूरे गंभीरतापूर्वक इसका हल निकालकर गांव में आपसी सद्भावना भाईचारा बनाये रखने बड़ी संवेदना से सुलह समझौता शांति का रास्ता निकालने की जुगत में जुटी हुई है। 01 नवम्बर रविवार को तहसीलदार, नायब तहसीलदार एवं एसडीओपी ने गांव में एक बैठक आयोजित कर दोनों पक्षों को बैठाकर उनके बातों को सूना और सलाह दिया की आपस में मिल जुलकर शांति सद् भावना से रहना सबके लिए बेहतर होता है। एक पक्ष ने विवादास्पद जमीन का सीमांकन कराने की मांग रखा तो उन्हें सीमांकन करा देने का आश्वासन दिया गया है।
घासीराम का मामला सुर्खियों में आने पर 2019 का एक और मामला सामने आया है जिसमें पीड़िता और उसके परिवार का कहना है कि हमें भी इनके मर्जी अनुसार समझौता कर मामला कोर्ट से वापस न लेने पर हमारे परिवार का हुक्का पानी कर दिया गया है जिसके चलते हम लोगों को भी बहुत उपेक्षा अपमानजनक हालात में प्रताड़ना झेलते किसी अनहोनी की आशंका से दहशत भरे माहौल में जीवन जीने को लाचार होना पड़ रहा है। महिला अत्याचार को शह देने और आरोपी का बचाव करते पीड़ित पक्ष का ही हुक्का पानी बंद करने की अनोखी परंपरा को जानकर लोग हैरानी जाहिर करने लगे हैं।
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