छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

भाजपा ओैर कांग्रेस में प्रत्याशियों को करना पड़ रहा है कड़ा संघर्ष

केन्द्रीय व प्रदेश पर्यवेक्षक बनाये हुए है स्थिति पर नजर

मतदाता मूकदर्शक बनकर अवलोकन करने में लगा

दुर्ग। संसदीय क्षेत्र दुर्ग की चुनावी समर में भाजपा और कांग्रेस पार्टी अपने अपने प्रत्याशी की घोषणा के साथ ही अपने अपने पार्टी का घोषणा पत्र भी जारी कर दिया है और दोनो ही पार्टी के प्रत्याशी प्रात: 10 बजे से रात्रि 11 बजे तक नये पुराने साथी की तलाश, मान मनौव्वल के अलावा जोड तोड़ करके थके मांदे पसीने से सराबोर रात में जब घर पहुंचते हैं तो यह जरूर कहते हैं कि हम जीत रहे है?  मगर जमीनी हकीकत सबकुछ ठीक अभी नही कहा जा सकता है। दोनो ही पार्टियों में संगठन के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता प्रत्याशी से अधिक से अधिक धनउपार्जनकी रणनीति पर कार्य कर रहे हैं। इसकी जानकारी केन्द्रीय पार्टी पर्यवेक्षक एवं राज्य के वरिष्ठ पदाधिकारियों के पास पहुंच चुकी है लेकिन पर्यवेक्षक और पदाधिकारी  राष्ट्रीय नेताओं, राष्ट्रीय सांगठनिक नेताओं की प्रतिक्षा कर रहे हैं और आम मतदाता मूकदर्शक बनकर चुनावी स्थिति का अवलोकन कर रहा है।

गौर तलब विषय यह है कि दुर्ग संसदीय सीट पर इस मर्तबा दोनो ही पार्टियों ने कुर्मी प्रत्याशी को मैदान में उतारा है, भाजपा ने जिसे अपना उपयुक्त प्रत्याशी बनाया वह युवा होने के साथ ही लोगों के अच्छे बूरे समय पर खड़ा गाहे बगाहे नजर आते रहे हैं। इसके अलावा संसदीय क्षेत्र पर भाजपा प्रत्याशी ने अपनी मेहनत से अपनी पहचान बनाई है, जिसके कारण एक बार भिलाई तीन चरोदा का नगरपालिका अध्यक्ष एवं एक बार भूपेश को हराकर विधायक के पद पर आसीन रहकर अपनो से अपनी बात कैसे की जाती है, इसकी जानकारी वह भलीभांति रखते हैं, तथा विरोधी पक्ष को कैसे उसका ह्रदय परिवर्तन किया जाये इस हुनर को भी वह अच्छी तरह जानते हैं। इन सबके बावजूद जिला भाजपा संगठन अभी भी विधानसभा के अप्रत्याशित हार से उबर नही सका है। इसका प्रमाण भाजपा प्रत्याशी विजय बघेल के नामांकन दाखिले के दिन ही दिखाई दे दिया था। मगर वर्तमान समय में जो बातें सामने आ रही है, उसमें भाजपा प्रत्याशी विजय बघेल को भिलाई जिला, दुर्ग जिला एवं बेमेतरा जिला में स्थानीय स्तर पर संगठन के पदाधिकारी और कार्यकर्ता अपने आकाओं की फतवे की बाट जोह रहे हैं। वहीं दूसरी ओर दुर्ग शहर भाजपा कार्यालय में पदस्थ कम्प्यूटर ऑपरेटर एवं चपरासी अपने चार महिने के बकाया वेतन न मिलने के कारण वह आक्रोशित नजर आ रहे हैं और वेतन न मिलने का कारण पूछने पर अपना नाम नही छापने की शर्त पर  असहज होते हुए वह कहते हैं कि दुर्ग जिला भाजपाध्यक्षा चौकीदारनी श्रीमती उषा टावरी वेतन मांगने पर कहती है कि अभी सत्ता की हार से हमलोग उबर नही पाये हैं। जब पैसा पार्टी के फंड में आयेगा तो दे दिया जायेगा। आप लोक काम नही कर सकते है तो काम छोड दीजिए। इसी प्रकार से देश की कद्दावर चौकीदारनी के जिला आवास पर स्थित कम्प्यूटर ऑपरेटर जिनकी संख्या लगभग 20 से 22 लोगों के करीब है, जो अलग अलग स्थानों पर कार्यरत हैं, ये सभी ठेकेदार के माध्यम से कार्य करते हैं। विडंबना यह है कि जो ठेकेदार इन कर्मियों को रखा है, वह रायपुर में निवास करता हैं। 15 दिन या महिने में एक बार आता है, और कर्मचारी अपने वेतन की मांग करते हैं तो ठेकेदार साफ साफ कहता है कि अभी टेंडर पास नही हुआ है, टेंडर पास होगा तो देंगे। ये ठेका श्रमिक हताश एवं बुझे मन से काम तो कर रहे हैं, मगर जिले में इसकी चर्चा यदा कदा सुनाई दे जाती है।

इन सबसे हटकर एक और हवा भाजपा जिला कार्यालय में उड़ रही है कि पार्टी के दो प्रवक्ता सतीश समर्थ एवं राजा महोबिया  के कारण संगठन के लोग असंतुष्ठ नजर आ रहे हैं तथा मांग कर रहे हैँ कि इन दोनो चौकीदारों की केन्द्रीय एवं प्रदेश स्तरीय जांच की जाये तो इनकी कई कारगारियों पर से पर्दा उठ जायेगा। साथ ही इन दोनो चौकीदारों ने दुर्ग शहर में विधानसभा प्रत्याशी को हराने में अपरोक्ष रूप से भूमिका अदा की थी, यह चर्चा पूरे शहर में गुंजयमान है। ऐसे विषम परिस्थिति में देश के प्रधान चौकीदार एवं संसदीय क्षेत्र दुर्ग के प्रत्याशी चौकीदार विजय बघेल को विजयश्री कैसे मिलेगी? बहरहाल समय की नजाकत को  देखते हुए भाजपा प्रत्याशी चौकीदार विजय बघेल को कड़ा संघर्ष के साथ ही अपनी पार्टी के लोगों से भी दो चार होना पड रहा है और यही स्थिति भिलाई एवं बेमेतरा जिला में भी है।

वहीं दूसरी ओर कांग्रेस प्रत्याशी श्रीमती प्रतिमा चन्द्राकर राजनैतिक घराने से ताल्लुक रखती है, स्व. वासुदेव चन्द्राकर जो कि 27 साल तक अविभाजित दुर्ग जिले के अध्यक्ष पद पर आसीन रहे और इसी कारण से स्व. वासुदेव चन्द्राकर को दुर्ग के चाणक्य के लकब से नवाजा गया था जिसके कारण अविभाजित मध्यप्रदेश के मुखिया भी चाणक्य के आगे नतमस्तक नजर आते थे, इस कारण से कहा जा सकता है कि कांगे्रस प्रत्याशी प्रतिमा चन्द्राकर को राजनीति विरासत में मिल है। जिसको लेकर श्रीमती चन्द्राकर धीर गंभीर होने के साथ ही पार्टी के उतारचढाव से भी वाकिफ रही है, लेकिन जिस प्रकार से विधानसभा में टिकिट कटना और फिर लोकसभा में टिकिट मिलना  संसदीय क्षेत्र में चर्चा का विषय रहा, उससे उनके समर्थकों में जैसा उत्साह मिलना चाहिए वैसा दिखाई नही दे रहा है, क्योंकि सूत्रों की माने तो प्रदेश एवं जिले के वरिष्ठ लोगों के आपसी सामंजस्य से चुनाव के संचालन की जिम्मेदारी वरिष्ठ समाजवादी नेता प्रदीप चौबे को दी गई है, जिससे लोगों में एक बात उड रही है या उडाई जा रही है कि उपरोक्त समाजवादी नेता किसी जमाने में स्व. वासुदेव चन्द्राकार और श्रीमती प्रतिमा चन्द्राकर के घोर विरोधी थे। इस वजह से नामांकन की तिथि से लेकर आजतक जिले के चाणक्य कहे जाने वाले स्व. वासुदेव चन्द्राकर के समर्थक इस शंका के श्ंाका से उबर नही पा रहे है, जो घोर विरोधी रहा है, उसके साथ कैसे पटरी बैठेगी। साथ ही चुनाव संचालक के इर्द गिर्द से जो शहर में चर्चा है, वह यह है कि समाजवादी नेता हठधर्मिता या कहा जाये उम्र की उस दहलीज पर  कदम रखने के कारण किसी से सीधे मुंह बात नही कर रहे हैं। जिसके कारण चन्द्राकर परिवार के समर्थक स्व. वासुदेव चन्द्राकर के पुत्र एवं पुत्रियों के बाट जोह रहे हैं, साथ ही बहुत सारे ऐसे ही समर्थक हैं जो कि सक्रिय राजनीतिक से दूर रहने के बाद भी चन्द्राकर परिवार  से दिली लगाव रखते हैं मगर चुनाव संचालक के अक्खड़पन के कारण आते जरूर है मगर दूरी बनाकर चल रहे हैं। जबकि अविभाजित दुर्ग जिले के चाणक्य के दत्त्क पुत्र कहे जाने वाले प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपनी बहन की जीत के लिए पूरा जी जान लगा रहे हैं, फिर भी उनके चेहरे पर शिकन दुर्ग के दौरे पर आसानी से देखा जा सकता है। इसके अलावा दुर्ग ग्रामीण, वैशालीनगर, अहिवारा, भिलाई नगर में संगठन कई भागों में विभक्त है, और सभी अपनी ढपली अपना राग अलापने में आतुर हैं। लगभग यही स्थिति बेमेतरा, साजा, नवागढ विधानसभा क्षेत्र में भी है। इससे ऐसा कहा जा सकता है कि कांग्रेस पार्टी में भी सबकुछ ठीकठाक नही चल रहा है, जिससे यह कहा जा सके कि जिले में कांग्रेस की लहर है।

बहरलाल दोनो ही पार्टियों में प्रत्याशियों को कड़ा संघर्ष की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है तथा दोनो ही पार्टी के पास समय तथा परिस्थिति को अपने पक्ष में करने का पूरा समय है। यह सब स्थिति को जिले का आम मतदाता मूकदर्शक बनकर अवलोकन कर रहा है।

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