Kondagaon: कोसारटेडा सिंचाई परियोजना से विस्थापित ग्रामीणों ने की वनाधिकार प्रपत्र की मांग
कोंडागांव। कोसारटेडा मध्यम सिंचाई परियोजना से विस्थापित कमेलावासियों द्वारा सीपीआई कोण्डागांव के नेता बिरज नाग के नेतृत्व में वनाधिकार प्रपत्र प्रदाय करने की मांग को लेकर महामहीम राज्यपाल, मुख्य मंत्री भुपेष बघेल छग षासन, अध्यक्ष/सचिव छ.ग.राज्य अनुसुचित जन जाति आयोग एवं कमिष्नर बस्तर के नाम प्रेशित ज्ञापन को कलेक्टर कोण्डागांव को सौंपा गया। जिले के ग्राम कमेला के कोसारटेडा मध्यम सिंचाई परियोजना से विस्थापित परिवारों द्वारा वनाधिकार प्रपत्र प्रदाय किये जाने हेतु सौंपे गए ज्ञापन में लेख किया है कि बस्तर संभाग के जिला व तहसील कोण्डागांव की सीमा पर जिला मुख्यालय से 22 किमी दुर बसे ग्राम कमेला के ग्रामवासियों की आधी से ज्यादा वन भुमि व कृशि भुमि सहित निवास गृह, चारागाह आदि भी उक्त परियोजना के डुबान से प्रभावित हो चुकी है। कमेला के बांध प्रभावितों किसानों को पुनर्वास नीति के तहत षासन द्वारा प्रदाए किए जाने का आष्वासन प्राप्त सुविधाएं, आज तक किसानों को प्रदाए नहीं किया गया है। कोसारटेडा मध्यम सिंचाई परियोजना के तहत बांध निर्माण के दौरान ग्राम कमेला के किसान ग्राम कमेला से लगे वन भुमि कक्ष क्रमांक- 725, 83/1, 1, 710 पर अतिक्रमण कर कृशि योग्य बनाकर 1995 से कृशि कार्य करते आ रहे हैं। ललीत नाग, केवल शार्दुल, कृतन, रामेष्वरी, चुम्मन पाण्डे, श्रीमती रुकमणी, श्रीमती केषाबी, श्रीमती देवेन्द्री, रामधर, कुंवर, अंधारु, दुबेलाल, करन आदि सहित कुल 53 किसानों का आवेदन लेकर कलेक्टर से मिलने पहुंचे किसानों ने उक्त जानकारी देते हुए बताया कि उनके द्वारा सरकार के निर्देषानुसार वनवासियों को स्वयं के निवास व कृषि कार्य के लिए वन अधिकार मान्यता पत्र देने हेतु आवेदन पत्र आमंत्रित किए जाने पर उन्होंने भी वन अधिकार समिति कमेला के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किए थे, किन्तु ग्राम वन अधिकार समिति कमेला ने आवेदकगणों द्वारा प्रस्तुत आवेदन को निरस्त किये जाने का आदेष पारित किया गया। आवेदकगणों में अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकार की मान्यता) नियम 2012 के तहत अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, जनजाति का 2005 से पूर्व का कब्जा होना अनिवार्य माना गया है, जबकि आवेदकगण वर्श 1995 से उपरोक्त वनभूमि पर काबिज काष्त हैं व कोसारटेडा मध्यम सिंचाई परियोजना के तहत निर्मित बांध से प्रभावित हैं। आवेदकगण अत्यन्त निर्धन हैं व गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करते हैं और वन भूमि पर 1995 से काबिज काष्त रहकर दिन रात कड़ी मेहनत करके उक्त भूमि को कृषि व निवास योग्य बनाया है, उक्त भूमि के अलावा अन्य कोई कृषि भूमि एवं निवास योग्य भूमि आवेदकगणों के पास नहीं है जिसके कारण उक्त भूमि पर उनके परिवार की आस्था जुड़ी हुई है। ऐसी स्थिति में आवेदकगण को उक्त वन भूमि का वन अधिकार मान्यता पत्र प्रदान किया जाना न्यायहित में आवष्यक है। ग्राम कमेलावासियों द्वारा उक्त ज्ञापन सौंपे जाने के दौरान सीपीआई कोण्डागांव के नेता बिरज नाग ने उनका नेतृत्व किया।
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