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रायपुर : आकांक्षी जिलों के होनहार बच्चे गांव में डाक्टर बनकर करेंगे लोगों की सेवा : विशेष कोचिंग से मिली नीट परीक्षा में सफलता

 

प्रदेश के बस्तर संभाग के होनहार बच्चे अब खुद डाक्टर बनकर लोगों की सेवा करेंगे। छत्तीसगढ सरकार द्वारा प्रतिभावान बच्चों को अखिल भारतीय मेडिकल प्रवेश परीक्षा के लिए विशेष कोचिंग की व्यवस्था की गई है। प्रयास विद्यालयों और जिला प्रशासन की पहल पर ऐसे बच्चों की प्रतिभा निखारने के प्रयासों को अच्छी सफलता मिल रही है।
नारायणपुर जिले के ताड़ोपाल में रहने वाले हेमन्त ने बताया कि वह लघु सीमांत परिवार से ताल्लुक रखते हैं। गांव के अस्पताल में चिकित्सक के अभाव को देखकर खुद डॉक्टर बनने की ठानी और अपने दूसरे प्रयास में सफलता मिली। उसने बताया कि राज्य शासन की  प्रयास आवासीय विद्यालय गरीब जरूरतमंद तथा होनहार विद्यार्थियों को सही दिशा  प्रदान कर उनका उनका  तकदीर सुधारने में अत्यंत कारगर साबित  हो रही है। इस योजना के अंतर्गत मिले उच्च स्तरीय अध्ययन अध्यापन की सुविधा, परिवेश और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मिले प्रशिक्षण के कारण अनेक होनहारों  के सपनों को पंख मिल रहा है।
जगदलपुर विकासखण्ड के कुम्हरावंड ग्राम पंचायत के पल्लीगांव में रहने वाले शिक्षक लखन कश्यप के पुत्र लुप्तेश्वर ने भी इस बार नीट की परीक्षा में सफलता प्राप्त कर पूरे घर में खुशियां भर दी हैं।लुप्तेश्वर ने अपनी इस सफलता का श्रेय प्रयास आवासीय विद्यालय एवं इस योजना को दिया है। लुप्तेश्वर चिकित्सक बनकर गरीबों एवम जरुरतमंदों की सेवा करना चाहतें है।
बीजापुर जिले में जिला प्रशासन और एनएमडीसी के सहयोग से संचालित कार्यक्रम छुू लो आसमान कार्यक्रम के तहत कृषक परिवारों के 5 बच्चों ने देश की सर्वोच्च मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट को क्वालीफाई कर अपनी मेहनत और लगन को साबित कर दिया है। वहीं ये सभी बच्चे साधनों की कमी और दूरस्थ इलाके से होने के वाबजूद इस सर्वोच्च मेडिकल प्रवेश परीक्षा में सफलता हासिल कर अन्य बच्चों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गये हैं। परीक्षा में अजय कलमूम, सुरेश मड़कम, सीमा भगत, शुनू झाड़ी और हरीश एगड़े ने नीट प्रवेश परीक्षा में सफलता हासिल की है।

    देश की सर्वोच्च मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट क्वालीफाई करने वाले इन बच्चों में उसूर ब्लॉक अंतर्गत कोत्तागुडम निवासी सुरेश मड़कम के पिताजी का स्वर्गवास हो चुका है। सुरेश ने बताया कि माताजी शांति सहित दो बड़े भाई संतोष और अर्जुन खेती-किसानी कर उसे पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करते हैं। सुरेश भी 12वीं में 60 प्रतिशत अंक हासिल कर अपने भाईयों के सपने को साकार करने कृतसंकल्पित है। अजय ने बताया कि उसके माता-पिता रामेश्वरी और सोमारू खेती-किसानी कर उसे पढ़ाई करवा रहे हैं, अजय को भरोसा है कि उसे मेडिकल कॉलेज में अवश्य प्रवेश मिलेगी। वहीं बीजापुर निवासी सीमा भगत ने बताया कि पिताजी का स्वर्गवास हो चुका है और बड़े भाई अर्जुन भगत उसकी पढ़ाई पर ध्यान दे रहे हैं एक छोटे भाई प्रीतम बीएससी द्वितीय वर्ष की पढ़ाई कर रहा है। सीमा ने बताया कि माता बृहस्पति भगत गृहणी हैं और उसकी पढ़ाई पर सतत् ध्यान देती हैं। बीजापुर के ही रहने वाले हरीश एगड़े और बीजापुर ब्लाक के पापनपाल निवासी शीनू झाड़ी ने भी देश की मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट क्वालीफाई केर जिले का नाम रौशन किया है।
नीट परीक्षा में प्रयास के 37 विद्यार्थियों ने पाई सफलता
नीट परीक्षा में इस वर्ष प्रदेश के जगदलपुर में संचालित प्रयास आवासीय विद्यालय के 37 विद्यार्थियों ने सफलता प्राप्त की है। इनमें 26 नियमित और 11 ड्रॉपर बैच के विद्यार्थी हैं। उल्लेखनीय है कि जगदलपुर के पास धुरगुड़ा में आदिवासी विकास विभाग द्वारा इंजीनियरिंग और चिकित्सा की प्रतिष्ठित संस्थाओं में प्रवेश के लिए आयोजित नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट यानी नीट और एआईईईई जैसी परीक्षाओं की तैयारी के लिए नक्सल प्रभावित क्षेत्र के विद्यार्थियों को निःशुल्क कोचिंग दी जा रही है। यहां नवमीं से लेकर बारहवीं तक नियमित कक्षाएं भी संचालित की जाती हैं। इस वर्ष यहाँ पहली बार उन बच्चों को भी पुनः अवसर दिया, जो पिछली बार बहुत ही कम अंकों से चूक गए थे। आदिवासी विकास विभाग द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार इस वर्ष 63 नियमित विद्यार्थियों में से 26 और ड्रॉपर बेच के 12 में 11 विद्यार्थियों ने सफलता प्राप्त की है।

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