जिला खनिज अधिकारी की मनमानी मुरुम माफिया के साथ सांठगांठ

नंदिनी अहिवारा से राकेश जसपाल।।।।।।।। दुर्ग जिले में जबसे किशोर कुमार गोलघाटे दुर्ग जिला खनिज अधिकारी आए हैं तब से तालाब बनाने और सौंदर्यीकरण के नाम से या खेत बनाने की नाम से मुरूम परिवहन की अनुमति धड़ल्ले से दे रहे हैं कहीं फॉरेस्ट की जमीन है तो कहीं शासकीय जमीन पर मुरूम उत्खनन की अनुमति दे रहे हैं परिवहन करता द्वारा अनुमति से कई गुना ज्यादा मुरूम उत्खनन कर परिवहन करते हैं जिसकी ना कोई निरीक्षण न सर्वे (नापी )किया जाता है।
ग्रामीणों की शिकायत पर जिला खनिज अधिकारी करवाई तक नहीं करते हैं एक ही भूमि खसरा नंबर पर 2 से 3 महीने तक कि परिवहन की अनुमति देते हैं यहां तक कि पंचायत प्रस्ताव पर खनिज अधिकारी कार्यालय में बैठे-बैठे मुरुम परिवहन के अनुमति दे देते हैं। जिस खसरा रकबा को मुरूम परिवहन के अनुमति देते हैं पुनः अनुमति देने के बाद उसकी निरीक्षण भी नहीं करते हैं और पुनः अनुमति दिया जा रहा है। जिसके कारण शासन को करोड़ों रुपया की क्षति हो रही है वहीं पर्यावरण भी खराब हो रहा है।
दुर्ग जिला कलेक्टर डॉ सर्वेश भूरे ने अवैध उत्खनन व परिवहन पर लगातार नजर रखने तथा ऐसी स्थिति में तत्काल प्रभावी कार्रवाई के निर्देश भी दिए थे। खनिज अधिकारी गोलघाटे ने कलेक्टर को बताया कि वर्ष 2019- 20 में अवैध उत्खनन के 9 प्रकरण पर करवाई कर दो लाख 60 हजार व अवैध परिवहन में 292 मामलों पर करवाई कर 50 लाख 90 हजार का जुर्माना वसूला गया वही , चालू वित्तीय वर्ष में अब तक अवैध उत्खनन में 2 मामलों में 92 हजार व परिवहन के 81 मामलों में 15 लाख 33 हजार का जुर्माना वसूला गया है। इसकी जानकारी पूर्ण की बैठक में दी गई थी।
इससे स्पष्ट होता है कि इतने कार्रवाई के बाद भी क्षेत्र में अवैध उत्खनन हो रहा है सोचने की बात है कि शासन की कई करोड़ों की राजस्व क्षति हो रहा है। जिन जिन उत्खनन और परिवहन के लिए अनुमति दिया गया है उस स्थान की खसरा रकबा की उस एरिया की लंबाई चौड़ाई गहराई की नाप कर उत्खनन खनिज सामग्रियों की अनुमति से अधिक उत्खनन सामग्रियों की रॉयल्टी एवं पेनाल्टी सहित वसूली की जानी चाहिए, जिसे शासन को करोड़ों रुपया की राजस्व की आय होगी।