Kondagaon_ नाबालिग बेटियों से दुष्कर्म और प्रताड़ना के मामलों में बाल संरक्षण विभाग बेसुध क्यों- कृष्णदत्त

कोंडागांव। कोंडागांव जिला के नगर पंचायत केशकाल के वरिष्ठ कलमकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता कृष्णदत्त उपाध्याय ने केशकाल विधानसभा क्षेत्र के संवेदनशील क्षेत्र माने जाने वाले धनोरा, ईरागांव थाना क्षेत्र में नाबालिग बेटियों से होने वाले दुष्कर्म उनके द्वारा प्रताड़ित होकर किए जाने वाले आत्महत्या के मामलों में महिला बाल विकास विभाग तथा ध्याय “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” के नारे को चरितार्थ करने वाला बाल संरक्षण विभाग के रवैय्यै पर दुख और क्षोभ व्यक्त किया है। श्री उपाध्याय का कहना है कि महिला बाल विकास एवं जिला बाल संरक्षण विभाग महिलाओं और बालकों के देखरेख व संरक्षण की जिम्मेदारी के साथ उनके विरुद्ध हुए अन्याय शोषण प्रताड़ना अनैतिक कार्य पर प्रत्येक स्तर पर उनकी सहायता सहयोग के लिए तथा उन के साथ घटित घटना के मानसिक अवसाद से निकालने तथा आगामी भविष्य हेतु पथ निर्माण का कार्य जिस विभाग को सौंपा गया है वो विभाग पूरे प्रकरण के प्रकाश में आने के बाद कोंडागांव जिले का यह विभाग बेसुध सोया हुआ है। संबंधित अधिकारी के उदासीन रवैये एवं कार्य के प्रति उनकी संवेदनहिनता बहुत विडंबना जनक है। लगातार घटना दर घटना के उजागर होने और व्यक्तिगत तौर पर ध्यानाकर्षण कर निवेदन करने के पश्चात भी आज तक विभाग से किसी अधिकारी कर्मचारी ने घटनास्थल जाकर पीड़ित अथवा परिवार से मिलने का कष्ट भी नहीं उठाया। उल्लेखनीय है कि पूरे प्रकरण पर माननीय सदस्य यशवंत जैन राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग नई दिल्ली द्वारा मात्र समाचार देखकर संज्ञान लिया गया है और जिला के मुखिया पुलिस कप्तान को इस संबंध में निर्देश भी जारी कर दिया गया। यह सर्वविदित है कि उजागर होने वाले सभी प्रकरणों में पुलिस की भूमिका प्रारंभ से ही संदेहास्पद ही नहीं बल्कि आपराधिक मानी जा रही है । एक सामूहिक गैंग रेप के प्रकरण में अभी तक थाना प्रभारी के खिलाफ मात्र निलंबन की कार्रवाई की गई है वहीं अन्य मामलों को दबाने में सीधे सीधे अपने पद एवं अधिकार का दुरूपयोग करने वालों के विरूद्ध अभी तक कोई कार्यवाही नहीं किया गया है। इन परिस्थितियों में जिला बाल संरक्षण अधिकारी तथा विभाग की भूमिका महत्वपूर्ण और ज्यादा संवेदनशील हो जाती है।
परन्तु लगातार प्रकट हो रहे प्रकरणों पर उनके संवेदनहिनता के सांथ सांथ उनके कर्तव्यपरायंण्ता पर भी संदेह उत्पन्न करता है। इन विभाग एवं आयोग के प्रदेश एवं देश के शीर्षस्थ महानुभावों से अनुरोध है अविलंब संज्ञान लेकर यथोचित मार्गदर्शन देते कार्यवाही की जानी चाहिये।