छत्तीसगढ़

प्रतिदिन की भांति आज भी ऑनलाइन सत्संग का आयोजन

 

प्रतिदिन की भांति आज भी ऑनलाइन सत्संग का आयोजन सीता रसोई संचालन ग्रुप में प्रातः 10:00 से 11:00 बजे और दोपहर 1:00 से 2:00 श्री राम बालक दास जी के सानिध्य मे किया गया, इसमें सभी भक्तों ने अपनी मधुर भजनों के साथ प्रस्तुति दी, संगीत मय आनंद मय सत्संग के साथ श्री राम बालक दास जी ने सभी की जिज्ञासाओं का समाधान किया, प्रतिदिन संचालित होने वाले इस ऑनलाइन सत्संग की आज पूरे देश में चर्चा है, और इसमें प्रतिदिन 40 से 50 ग्रुप जुड़ते हैं कोरोना काल में भी यह सत्संग लोगों की धार्मिक सामाजिक समसामयिक सभी तरह के ज्ञान का स्रोत बना हुआ है, और श्री राम बालक दास जी अपने चिर परिचित भाषा में नित्य नए विषयों को लेकर प्रतिदिन प्रस्तुत होते हैं जिसमें देश की विभिन्न समस्याओं को भी रखा एवं समझा जाता है और उसका समाधान ढूंढा भी जाता है सभी से इसके लिए विचार-विमर्श भी परिचर्चा में किया जाता है, कोई भी त्यौहार हो पर्व हो या राष्ट्रीय पर्व हो ग्रुप में उल्लास के साथ एक दूसरे को बधाई देते हुए शुभकामनाएं देते हुए मनाया जाता है
सत्संग की शुरुआत पुरुषोत्तम अग्रवाल जी के मधुर भजनों के साथ होती है, श्रीमती तन्नू साहू जी श्रीमती शिवाली साहू जी की रामचरितमानस की चौपाइयां आनंद ला देती हैं, रामपाल जी, डुबोबती यादव के मधुर भजन सभी को आनंदित कर देते हैं, बाबा जी द्वारा उनकी मधुर वाणी मन को छू लेने वाले एवं ज्ञान से परिपूर्ण भजनों की प्रस्तुति प्रतिदिन की जाती है
इन भजनों में भी बाबाजी का उनकी भक्तों एवं उपासको के लिए कुछ ना कुछ संदेश अवश्य होता है, सभी भक्त इसे विभिन्न ग्रुपों में भी शेयर करते हैं तथा दूसरों को इस ज्ञान से परिचित करवाते हैं,
आज की सत्संग परिचर्चा में रामफल जी ने जिज्ञासा रखी कि जब भगवान श्री राम अपनी प्रजा सहित स्वधाम साकेत गए
तो हनुमान जी उनके साथ क्यों नहीं गए
इस विषय पर प्रकाश डालते हुए बाबा जी ने बताया कि जब भगवान श्री राम साकेत धाम को प्रवास किये तब हनुमान जी ने भी उनके साथ जाने की जिज्ञासा प्रकट किया, परंतु प्रभु श्री राम जी ने उन्हें यही इस लोक में रहकर सभी का उद्धार करने के लिए कहा, प्रभु ने कहा कि हनुमान जी अभी आपको लव कुश का राज्य संभालना है और रामराज्य का और अधिक विस्तार करना है साथ ही आपको धर्म की रक्षा भी करनी है तब हनुमानजी ने प्रभु राम की आज्ञा प्राप्त कर जब तक प्रभु श्री राम का नाम रहेगा तब तक धरती में रहने का निर्णय लिया
और इस प्रकार माता सीता का आशीर्वाद पाकर हनुमान जी सदा सदा के लिए अजर अमर हुए,
पुनाराम साहू जी ने प्रश्न किया कि हम आरती में अगरबत्ती का उपयोग क्यों नहीं कर सकते, इस विषय को स्पष्ट करते हैं बाबा जी ने बताया कि आज के दौर में जो अगरबत्ती का निर्माण किया जा रहा है वह बॉस की होती हैं और हमारे हिंदू धर्म में बास को पवित्र कार्य में नहीं जलाया जाता इसके अलावा आज जो खुशबू आदि का प्रयोग अगरबत्ती के लिए किया जाता है वह पूर्णतः केमिकल युक्त होता है जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है इसके हमारे स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव हो सकते हैं इसीलिए आज की अगरबत्तीयों का उपयोग पूजा पाठ में नहीं किया जाता और पाटेश्वर धाम में अगरबत्ती जलाना भी वर्जित है, इसकी जगह आप घी का दीपक जला सकते हैं जिसकी धीमी धीमी महक आपके घर को सुगंधित तो करती है और माता लक्ष्मी का भी वास आपके घर में बना रहता है, सुबह शाम आप गोबर के कंडे में धूप जलाकर अपने घर में घुमाएं इससे दुष्प्रभाव तो दूर होंगे साथ ही यह कीटाणु नाशक भी है और वातवरन को भी शुद्ध करता है, हफ्ते में एक बार आप हवन भी कर सकते हैं परंतु आप अगरबत्ती का उपयोग ना करें तो ही उचित है
इस प्रकार आज का आनंददायक सत्संग पूर्ण हुआ
जय गौ माता जय गोपाल जय सियाराम

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