सीपीआई नेता बिरज के नेतृत्व में वनाधिकार पट्टा की मांग को लेकर ग्रामीण पहुंचे जिला कार्यालय
कोंडागांव। कोंडागांव जिला अंतर्गत आने वाला ग्राम चेरंग के ग्रमीण वर्ष 2012 से वनाधिकार पट्टा की मांग कर रहे है, लेकिन आज तक उनको पट्टा प्राप्त नही हो पाया है। ग्राम स्तर के वनाधिकार समिति एवं ग्राम पंचायत सचिव के द्वारा उनके आवेदन को संबंधित विभाग के उच्चाधिकारियों तक नहीं पहुंचाए जाने के कारण परेषान चेरंग वासियों के कलेक्टर से मुलाकात करने का सिलसिला लागातार जारी है। विगत दिनों 28 सितम्बर को 11 आदिवासी किसान पट्टे की मांग को लेकर कलेक्टर से मिलने पहुंचे थे, वहीं फिर आज 5 अक्टूबर को भी ग्राम चेरंग के 16 आदिवासी किसानों ने जिला मुख्यालय में पहुंचकर पूर्व की तरह सीपीआई के जिला सचिव तिलक पाण्डे से मिलकर किसानों ने आवेदन तैयार करवाया और आवेदन लेकर सभी ने कम्युनिष्ट नेता बिरज नाग के साथ जिला कार्यालय कोण्डागांव में पहुंचकर वनाधिकार पट्टा देने की मांग संबंधी आवेदन पत्र को कलेक्टोरेट की अनुपस्थिति में आवक-जावक शाखा में सौपकर पावती प्राप्त की।
वनाधिकार पट्टे की मांग को लेकर कलेक्टोरेट पहुंचे लैखन सोरी, सीताराम नेताम, जुगधर नेताम, फुलसिंग सोड़ी, मसुराम सोड़ी, जयसिंग नेताम, कावले सोड़ी, गुदराम नेताम, सन्तेर सलाम, फोहड़ु सोड़ी, कुलेतराम कार्राम, रैजु सलाम, सिंगल कोर्राम, शामलाल सोड़ी, सोनादेर कोर्राम, स्कुली कोर्राम, चन्दन कोर्राम एवं हीरु कोर्राम ने अपने आवेदन में उल्लेख किया है कि वे सभी ग्राम पंचायत चेंरंग के मूल निवासी और मुरिया जाति के हैं, तथा समाज के आदिवासी/अजजा वर्ग के अन्तर्गत आने सहित गरीबी रेखा के अन्तर्गत जीवनयापन करने वाले परिवार से संबंधित हैं। वे सभी जिला व जनपद पंचायत कोण्डागांव के नक्सल प्रभावित क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम चेरंग से लगी आरक्षित वनभूमि पर 1980 के पूर्व से काबिज रहकर निरंतर खेती करते आ रहे हैं। जीवनयापन का एक मात्र साधन उक्त वनभूमि ही होने के कारण उनके द्वारा खेती की जा रही है, केंद्र सरकार के निर्देषानुसार राज्य सरकार द्वारा वनवासियों से निवास व कृषि कार्य के लिए वनाधिकार मान्यता पत्र प्राप्ति हेतु आवेदन पत्र मंगाए जाने पर उन सभी किसानों के द्वारा भी वन अधिकार समिति टेमरुगांव के समक्ष आवेदन पत्र प्रस्तुत किए गए थे, लेकिन उनके आवेदन पत्रों पर वन अधिकार समिति टेमरुगांव सहित ग्रा.प्र.सचिव के द्वारा क्या कार्यवाही की गई पूछे जाने पर संतोषजनक जवाब नहीं दिया जाता है। वैसे तो उनके द्वारा विगत कई वर्षों से अपने काबिज वन भुमि पर वर्तमान में भी खेती बाडी कर अपना व अपने पर आश्रितजनों का जीवनयापन कर रहे हैं, लेकिन वे वनाधिकार पट्टा प्रदान किए जाने की मांग इसलिए कर रहे हैं, ताकि वे सभी भविष्य में भी बिना भय के शांतिपूर्वक अपने वनभूमि पर खेतीबाडी करते हुए अपना और अपने परिवार का जीवनयापन करते रह सकें।
इस पूरे मामले में कम्युनिष्ट नेता बिरज नाग ने कहा कि ग्राम चेरंग ही नहीं कोण्डागांव जिले के अन्य कई गांवों के आदिवासी सहित अन्य किसानों द्वारा सीपीआई कोण्डागांव को बताया जाता रहा है कि उनके पात्र होने और वर्ष 2010 से ही वनाधिकार पट्टा की मांग किए जाने के बाद भी उन्हें वनाधिकार पट्टा नहीं दिया जा रहा है। वहीं कई अपात्रों को पट्टा प्रदाए किया जा चुका है। अब चुंकि सीपीआई का मुख्य उद्देष्य ही किसानों-मजदुरों को उनका हक दिलाने के लिए संघर्ष करना है और उक्त क्रम में ही कोण्डागांव जिले के हम कम्युनिष्ट निरंतर संघर्षरत हैं।
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