अजब गजबखास खबरछत्तीसगढ़

kondagaon_ कोरोना को मात दे चुकी लक्षणी ने अपनी व्यथा सुनाकर जिला कोविड अस्पताल में अव्यवस्थाओं की खोली पोल

कोंडागांव। कु. लक्षणी साहू जो कि महिला बाल विकास में सुपरवाइजर के पद पर कार्यरत है, उनके ही सहकर्मी महिला की रिपोर्ट पॉजिटिव आने बाद अपना कोविड टेस्ट करवाया और रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उनके साथ कोंडागांव जिला कोविड अस्पताल में जो हुआ वो सुनकर आपको भी जानकर हैरानी होगी की, क्या ऐसे हो रहा है कोरोना के मरीजो का इलाज जिला अस्पताल में।  फिलहाल लक्षणी घर पर है और अभी उनकी तबियत पूरी तरह से ठीक नही हुई है। आपको बताते हैं लक्षणी साहू की ही जुबानी जिला अस्पताल कोंडागांव में उनकी कोरोना सफर की कहानी।

लक्षणी ने बताया कि 103 डिग्री बुखार, खांसी, सिर दर्द के साथ 19 सितंबर को दोपहर 1:30 बजे मेरा कोरोना टेस्ट  होता हैं। शाम 4:30 को मुझे फोन पर बताया जाता है कि आप कोरोना पॉज़िटिव हैं और आपको हास्पिटल जाना होगा। मैं तुरंत कहती हूं , नही मैं घर पर रहूंगी। फिर स्वास्थ्य विभाग का मत्त्वपूर्ण प्रश्न शुरू होता हैं की आप घर मे रहेंगे तो क्या आपके पास रहने के लिये अलग कमरा है? क्या आपके उपयोग के लिये अलग टॉयलेट बाथरूम हैं? क्या आपके पास थर्मामीटर, आक्सिमिटर, ब्लडप्रेशर मशीन हैं? अगर नही है तो अभी आपको खरीदना होगा और हमें हर दिन तापमान, ब्लडप्रेशर, पल्स रेट बताते रहना होगा, ऐसा वैसा बहुत कुछ। इसके बाद अपनी ही एक सहकर्मि मेडम को कोरोना होनेे के बाद से उनकी हो रही तकलीफ देख कर मेरे मन मे डर आ गया और मन मे ढेरों प्रश्न आने लगे, क्या अभी मुझे तेज बुखार है, क्या मेरी तबियत बहुत खराब होने वाली हैं? मैं अकेले रहती हुँ, कौन मेरा ध्यान रखेगा? मैं घर पर रहूँ या हॉस्पिटल में? कोरोना पॉज़िटिव जानकर आसपास के लोगों मे अपने लिये डर और दूरी देखकर हॉस्पिटल जाना ही मुझे उचित लगा। हॉस्पिटल में डॉक्टर, नर्स स्टाफ सभी रहेंगे। आखिर कोरोना योद्धाओं पर पूरा भरोसा हैं।

मन को समझाते हुए कुछ जरूरत के समान लेकर मैं शाम 5:30 बजे हॉस्पिटल पहुची। तकरीबन 1घंटा मुझे गेट में बिठाने के बाद रूम नम्बर 61 के गेट में छोड़ दिया गया। जिसके अंदर 13 लोग पहले से एडमिट थे, अब आप अंदर एक खाली बेड चुन लो। 1 घंटा बाद 1 आदमी आता हैं और 5 प्रकार की दवाई मेरे बेड में रख कर बिना कुछ बताये चला जाता हैं। कम से कम ये तो बता देते की दवाई कब कब कैसे खाना है?

अब आप मरो या बचो, 5 दिन तक हॉस्पिटल में रहो। डॉक्टर नर्स कोई तो आएगा इस इंतजार में तेज बुखार, खाँसी और असहनीय सिर दर्द के साथ सोने की कोशिश में इधर उधर करते हुये सुबह हुई। 20 सितंबर 2020 को सुबह 8 बजे बाजू के बेड में बैठा इंसान ने बताया कि यहाँ कोई नही आता हैं। आप दवाई ऐसे खाओ और सो जाओ। हास्पिटल स्टाफ से बात करना है तो इस नंबर में फोन कर लो। फोन करो तो फोन नही उठाते। फोन उठा भी लिये तो एक दूसरे को फोन पास करके एक ही बात बार बार पूछ कर टाइमपास किया जाता हैं। मैं बुखार और सिर दर्द में मर रही थी दवाई खाई और सो गई उस दिन जैसे तैसे गुजरा। यहां पर सभी को तेज खासी हो रही थी सभी लोग खाँसी सिरप मांग रहे थे, कुछ लोगो के पास दवाई ख़त्म हो गयी थी, सब फोन करके दवाई मांग कर रहे थे, पर हास्पिटल स्टाफ दवाई देना ही नही चाहती थी। सिरदर्द बहुत तेज था पैरासिटामॉल काम नही करता था तो मैं अपने पास रखा डिस्प्रिन ले लेती थी। कुछ लोग बाहर से दवाई मंगा कर खा रहे थे। हॉस्पिटल मे रहकर भी अपने से दावाई लेने के लिये मजबूर थे। फिर 21 सितंबर2020 को बुखार सिर दर्द खाँसी के साथ लूस मोशन शुरू, 14 लोगो के लिये सिर्फ एक टॉयलेट  बाथरूम, नल में पानी नही। बीमार इंसान क्या करे? 14 महिला पुरुष के लिये एक रूम एक बाथरूम एक टॉयलेट, इस बीच लड़कियों की मासिक प्राब्लम, हाइजीन की बात ही खत्म हो गयी, तबियत की तो मत पूछो। थर्मामीटर, आक्सिमिटर वाली बाते याद आ रही थी। कितना दिखावा हैं, आँख से आंसू निकल रहे थे। सब मरीज एक दूसरे को संभाल रहे थे इस बीच कुछ लोग अप्रोच लगा कर दूसरे तीसरे दिन ही घर चले गए।

हमारे बीच मे एक युवती गरीमा ने 22 तारीख को अपने किसी उच्च अधिकारी को अपनी तबियत के बारे में बताते हुए कहा कि डॉक्टर, नर्स  कोई नही आता तबियत बिगड़ती जा रही हैं, किसको बताये। तब उस उच्च अधिकारी के कहने पर गरिमा का नाम पुकारते हुये गरिमा के बेड पर जाकर ट्रीटमेंट देकर चले जाते है और हम वहाँ पहुंचकर जबरदस्ती अपनी तकलीफ बताते है उसके बाद भी अनसुना कर दिया जाता हैं। वाह अब इलाज के लिये अप्रोच या उच्चपद की जरूरत है। आप उच्च अधिकारी से फोन कराओ क्या तभी आपका इलाज होगा ? 5वाँ दिन डिस्चार्ज कर दिया जाता हैं, बिना टेस्ट करे, बिना तबियत जाने अब घर मे जाकर मरो और साथ परिवार को भी कोरोना दो। घर मे हर कोई के पास अलग रूम टॉयलेट बाथरूम नही रहता हैं?

19 से 23 सितंबर 2020 तक 5 दिन हॉस्पिटल में ऐसा रहा कोरोना पॉज़िटिव का सफर। इस बीच जिला कोविड अस्पताल के रूम में न झाड़ू लगता था न पोछा लगता था न ही बाथरूम की सफाई होती थी। सुबह 10 बजे ब्लीचिंग पॉवडर छिडकने वाले आते थे जमीन में छिडकने के साथ बिस्तर में भी छिड़क देते थे सब कुछ गिला हो जाता था जमीन तो पूरा दिन नही सूखता था। खाना देने वाले आते थे और चले जाते थे। 

इसके बारे में लक्षणी ने 22 तारीख को नंगत पिला व्हाट्सएप  ग्रुप में पोस्ट किया था ताकि कलेक्टर साहब पढ़े और कोरोना मरीज की तकलीफ को समझ कर कुछ सुधार कर सके। पर अभी तक कलेक्टर साहब की तरफ से भी कोई प्रतिक्रिया नही आई।

आपको बता दे कि जिला कोविड अस्पताल में पहले भी लापरवाही के बहुत से मामले सामने आ चुके है, इसी लापरवाही के चलते कुछ दिन पहले एक बुजुर्ग महिला की मौत भी हो चुकी हैं, जिस पर परिवार वालों ने हॉस्पिटल प्रबंधन पर घोर लापरवाही का आरोप लगते हुए बहुत बवाल भी मचाया था।

Read More

http://sabkasandesh.com/archives/78818

राजीव गुप्ता

Rajeev kumar Gupta District beuro had Dist- Kondagaon Mobile.. 9425598008

Related Articles

Back to top button