छत्तीसगढ़

नये कृषि विधेयक से किसान पूंजीपति नहीं बल्कि पूंजीपतियों के गुलाम बनेंगे:रेखचंद जैन

नये कृषि विधेयक से किसान पूंजीपति नहीं बल्कि पूंजीपतियों के गुलाम बनेंगे:रेखचंद जैन*

*जगदलपुर। विधायक एवं संसदीय सचिव रेखचंद जैन ने कहा है कि मोदी सरकार के द्वारा लाए गये तीन नए अध्यादेश में किसानो को पूंजीपति बनाने की योजना नहीं दिख रही है बल्कि किसानों को चंद पूंजीपतियों के हाथों की कठपुतली बनाने की स्पष्ट तैयारी नज़र आ रही है। मोदी सरकार के किसान विरोधी अध्यादेश को वही लोग जायज़ एवं सही ठहरा रहे हैं जो अडानी, अम्बानी जैसे पूंजीपतियों के बिचौलिए हैं।*

*विधायक एवं संसदीय सचिव रेखचंद जैन ने कहा है कि बीते 6 साल से मोदी भाजपा सरकार, छत्तीसगढ़ ही नहीं देशभर के किसानों के साथ छल कर रही है। स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिश के अनुसार लागत मूल्य का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देने का वादा कर सत्ता में बैठी मोदी सरकार ने 6 साल में किसानों से किए वादों को पूरा नहीं किया। सस्ता डीज़ल,सस्ती रासायनिक खाद और उत्तम क्वालिटी के बीज सहित किसानों की आय दुगनी करने का वादा अब तक पूरा नहीं हुआ। अब मोदी सरकार के द्वारा लाए गए तीन काले कानून किसानों के लिए काला पानी की सज़ा का फ़रमान है, जिसमें किसान तो सिर्फ फसल उगायेगा और फायदा पूँजीपति को मिलेगा। ये अध्यादेश भारत के अन्नदाता एवं एक अरब तैंतीस करोड़ जनता के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।भाजपा के एमएसपी का मतलब किसानों को उपज का मिनिमम सपोर्ट प्राइज़ नहीं बल्कि पूंजीपतियों के लिए मैक्सिमम सपोर्ट इन प्रॉफिट है।*

*विधायक एवं संसदीय सचिव रेखचंद जैन ने मोदी सरकार के काले अध्यादेश का विरोध कर रहे लोगों को किसान नहीं होने का दावा कर रहे भाजपा नेताओं पर तीखा हमला करते हुए कहा है कि पूंजीपतियों के बिचौलियों को किसानों की पहचान ही नहीं है। पूरे भारत में किसान, मोदी सरकार के नए अध्यादेश के खिलाफ खड़े हुए हैं।असल मायने में किसान विरोधी अध्यादेश को सही ठहराने वाले भाजपा नेता, कृषि के बारे में जानते ही नहीं है।छ.ग. में 15 साल के भाजपा शासनकाल के दौरान किसानों पर हुए अत्याचार, किसानों की आत्महत्या की घटना और किसानों की फसल बर्बाद होने पर भी रमन सरकार की तारीफ करने में जुटे भाजपा नेता किसानों के प्रति संवेदनहीन हो चुकें हैं।भाजपा,आरएसएस के एजेंडे को पूरा करने में जुटी है जिसका मानना है कि देश के विकास के लिए पूंजीपति ही सक्षम और महत्वपूर्ण वर्ग है। जबकि भारतवर्ष अनादि काल से एक सक्षम एवं समर्थ कृषि प्रधान देश के रुप में वैश्विक परिवेश में सम्मानित होता रहा है।*

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