कोण्डागांव 20 सितम्बर। केन्द्र सरकार की कृषि संबंधी अध्यादेष को किसान विरोधी बताते हुए सीपीआई कोण्डागांव के जिला सचिव तिलक पाण्डे ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि केंद्र की मोदी सरकार को कृषि संबंधी अपने पारित अध्यादेष को किसान हित में तत्काल वापस ले लेना चाहिए। उक्त मांग करते हुए तिलक पाण्डे ने कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा किसानों के षोशण को बढ़ावा देने वाले तीन अध्यादेष पारित किया गया जिसे राश्ट्रपति की मंजुरी भी मिल चुकी है। तीनों अध्यादेष भारत के करोडों किसान परिवारों के भविश्य से जुड़े हुए हैं। केन्द्र सरकार का ‘एक राश्ट्र एक बाजार अध्यादेष‘ किसानों के हित में नहीं है। इससे मण्डी का ढांचा खत्म होगा, जो किसानों के साथ-साथ छोटे एवं मंझोले व्यापारियों दोनों के लिए लाभप्रद नहीं है, देष के अधिकांष कृशक लघु एवं सीमान्त हैं, उनमें इतनी क्षमता नहीं है कि वे अपने जिले एवं राज्यों के बाहर जाकर अपनी उपज बेच सकें, किसानों को उनकी उपज का न्यूनतम समर्थन मुल्य नहीं मिल सकेगा। केन्द्र सरकार ने इस बात की कोई गारण्टी नहीं दी है कि कम्पनियों द्वारा किसानों के उपज की खरीद समर्थन मुल्य पर किया जाएगा। केन्द्र सरकार के इस कानुन से सबसे बड़ा खतरा यह होगा कि जब फसलें तैयार होंगी, उस समय बड़ी-बड़ी कम्पनियां जानबुझकर किसानों के उपज के दाम गिरा देंगी एवं उसे बड़ी मात्रा में स्टोर कर लेंगी, जिसे बाद में ग्राहकों को उंचे दामों में बेचेंगी। सरकार नए कानुन के जरिये किसानों की उपज समर्थन मूल्य पर खरीद की अपनी जिम्मेदारी व जवाबदेही से बचना चाहती है व किसानों को बर्बाद करना चाहती है। दुसरी ओर केन्द्र सरकार ने आवष्यक वस्तु अधिनियम 1955 में संषोधन कर आलु, प्याज, दलहन, तिलहन व तेल के भण्डारण पर लगी रोक को हटा लिया है। हमारे देष में 85 प्रतिषत किसान हैं जिनके पास लम्बे समय तक भण्डारण की व्यवस्था नहीं है, यानि यह कानुन बड़ी कम्पनियों द्वारा कृशि उत्पादों की कालाबाजारी के लिये लाया गया है, ये कम्पनियां अपने बड़े-बड़े गोदामों में कृशि उत्पादों का भण्डारण करेंगे एवं बाद में ऊंचे दामों पर ग्राहकों को बेचेंगे। तीसरा अध्यादेष सरकार द्वारा काॅन्ट्रेक्ट फार्मिंग के विशय में लागु किया किया गया है जिसके तहत काॅन्ट्रेक्ट फार्मिंग को बढ़ा़वा दिया जाएगा, जिसमें बड़ी-बड़ी कम्पनियां खेती करेंगी एवं किसान उसमें सिर्फ मजदूरी करेंगे। इस अध्यादेष के तहत किसान अपने ही खेत में सिर्फ मजदूर बन कर रह जाएंगे। पष्चिमों देष के अनुभव बताते हैं कि काॅन्ट्रेक्ट फार्मिंग से किसानों का षोशण होता रहा है। इन तीनों कृशि संबंधी अध्यादेषों के किसानों के हित में नहीं होने से भारतीय कम्युनिश्ट पार्टी शासन से मांग करती है कि किसानों के हित में तीनों अध्यादेष तत्काल वापस लें अन्यथा भाकपा किसानों के हित में केन्द्र सरकार के खिलाफ तीव्र आन्दोलन करने के लिए बाध्य होगी, जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होगी।
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