रिसाली को निगम बनने से यहां की राजनीतिक परिदृष्य में बदलाव की बढी संभावनाएं बढ़ नये नेतृत्व को मिलेगा उभरने का अवसर

भिलाई। रिसाली नगर निगम के गठन का प्रस्ताव भिलाई नगर निगम की एमआईसी में सोमवार को पारित हो गया है। इसके साथ ही भविष्य के संभावित परिदृष्य पर चर्चाएं शुरू हो गई है। रिसाली नगर निगम के अस्तित्व में आते ही यहां की राजनीतिक और सामाजिक परिदृष्य में बदलाव की संभावनाएं बढ़ गई है।
भिलाई से अलग होकर स्वतंत्र निकाय के रूप में रिसाली नगर निगम के अस्तित्व में आने से नये नेतृत्व को उभरने का अवसर मिलेगा। छोटा और सीमित दायरा होने से रिसाली में विकास की जनभावनाओं को शीघ्र ही साकार रूप देने में आसानी होगी। वहीं पार्षदों की संख्या में इजाफा होने से जनता की आवाज को ताकत मिलेगी। निगम बनने से स्थानीय स्तर पर राजनीति करने वालों को महापौर जैसे उच्च और सम्मानित पद से होकर आगे बढऩे का बेहतर विकल्प मिलेगा। इसे स्वतंत्र नगर निगम बनने से होने वाले बड़े राजनीतिक बदलाव में गिना जा रहा है।
दरअसल दुर्ग जिले में नगरीय निकाय से होकर राजनीति के शिखर की ओर बढ़ चुके तीन नेताओं का उदाहरण सामने है। राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय, लोकसभा सांसद विजय बघेल और भिलाई के विधायक व महापौर देवेन्द्र यादव इस बात के प्रत्यक्ष उदाहरण है। सरोज पांडेय की राजनीति वर्ष 1999 में दुर्ग निगम की महापौर बनने के बाद तेजी से चमकी। दो बार महापौर रहने के साथ ही वे वैशाली नगर से विधायक और दुर्ग लोकसभा से सांसद भी रही। जबकि मौजूदा समय में दुर्ग लोकसभा के सांसद विजय बघेल को राजनीतिक पहचान तब मिली जब वे भिलाई-चरोदा नगर पालिका के अध्यक्ष चुने गए। इसके बाद वे पाटन से विधायक भी बने। तीसरा प्रत्यक्ष उदाहरण भिलाई के विधायक व महापौर देवेन्द्र यादव का है। श्री यादव वर्ष 2015 में महापौर चुने गए और इसी पद में रहते हुए पिछले विधानसभा चुनाव में विधायक बने हैं।
अब जब रिसाली नगर निगम बनने जा रहा है तो इस बात की संभावना बढ़ गई है कि आने वाले दिनों में इस निकाय से महापौर और पार्षद बनने वालों को भी राजनीति के शिखर तक पहुंचने के लिए बेहतर प्लेटफार्म मिलेगा। अभी भिलाई निगम में शामिल रहने की स्थिति में रिसाली का प्रस्तावित इलाका जोन के रूप में 12 वार्डों को समेटे हुए हैं। निगम बनने पर कम से कम 40 वार्ड इस निकाय में होंगे। इससे सदन में विकास की जनभावनाओं को मजबूती से उठाने अवसर भी मिलेगा। दायरा सीमित हो जाने और पार्षद के रूप में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की संख्या बढऩे से छोटी-छोटी खामियां भी नजर में आ जाएगी। लिहाजा विकास की रफ्तार का स्वाभाविक तौर पर बढऩा तय माना जा रहा है।
बसी अवैध कालोनियो को वैधता प्रदान कर बढा सकते हैँ निगम का आय
प्रस्तावित रिसाली नगर निगम में शहरी क्षेत्र के साथ ही कुछ ग्रामीण परिवेश वाले वार्ड भी शामिल रहेंगे। जोरातराई और डुंडेरा विशुद्ध रूप से अभी भी ग्रामीण परिवेश वाले इलाके हैं। जबकि नेवई गांव के साथ ही शहर का मिलाजुला क्षेत्र है। मरोदा स्टेशन श्रमिक बहुल इलाका माना जाता है। जबकि मरोदा सेक्टर, रिसाली सेक्टर, रिसाली बस्ती, प्रगति नगर रुआबांधा सेक्टर और रुआबांधा बस्ती में शहरी परिवेश हावी है। रिसाली क्षेत्र में कई अवैध कालोनियां भी तेजी से विस्तारित होती जा रही है। इन कालोनियों को वैधता प्रदान कर निगम विकास के साथ टैक्स के रूप में आय अर्जित कर सकता है।
दिखने लगी राजनीतिक सुगबुगाहट
एमआईसी में रिसाली निगम के गठन के प्रस्ताव को हरी झण्डी मिलने की खबर के साथ ही राजनीतिक सुगबुगाहट दिखने लगी है। यह इलाका दुर्ग ग्रामीण विधानसभा में आता है और यहां के विधायक होने के नाते गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू के समर्थक कांग्रेस नेताओं में उत्साह देखते ही बन रहा है। इसी इलाके में भाजपा की कद्दावर नेत्री राज्यसभा सदस्य सुश्री सरोज पांडेय का निजी निवास है। भाजपा के जिला अध्यक्ष व पूर्व विधायक सांवलाराम डाहरे का निवास भी यहां के प्रगति नगर में है। इस लिहाज से नये निगम बनने की खबर के साथ ही सरोज पांडेय समर्थक भाजपा के स्थानी नेता अपनी भावी राजनीति के सपने संजोने में कोई कसर नहीं छोड़ते दिख रहे हैं।