पर्सनल लोन देने के नाम पर 10 हजार लोगों से करीब 10 करोड़ का फ्रॉड करने वाले एक गिरोह का मध्य प्रदेश की भोपाल पुलिस ने भंडाफोड़ किया है Madhya Pradesh’s Bhopal Police has busted a gang that fraudulently committed 10 million people to 10 crore people in the name of giving personal loans.

पर्सनल लोन देने के नाम पर 10 हजार लोगों से करीब 10 करोड़ का फ्रॉड करने वाले एक गिरोह का मध्य प्रदेश की भोपाल पुलिस ने भंडाफोड़ किया है
. इस गिरोह के मास्टर माइंड सहित 3 लोग यूपी के नोएडा से पकड़े गए हैं. दरअसल, एक शख्स पद्मेश सिंह ने जनवरी 2019 में सायबर क्राइम ब्रांच को शिकायत की थी कि उसने www.swiftfinance.in से पर्सनल लोन लेने की प्रक्रिया की लेकिन उसके साथ धोखाधड़ी की गई. इस शिकायत की जब राज्य सायबर क्राइम ने जांच की तो एक बड़ा गिरोह सामने आया जो फर्जी वेबसाइट के माध्यम से पर्सनल लोन देने के नाम पर फर्जीवाड़ा कर रहा था. इसकी जांच के लिए एडीजी उपेंद्र जैन ने सायबर क्राइम भोपाल के सब इंस्पेक्टर सुनील रघुवंशी को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया.
इस गिरोह का मुखिया डेविड कुमार जाटव अपनी मंगेतर नेहा भट्ट के साथ मिलकर अब तक 10 हजार लोगों से 10 करोड़ रुपए की ठगी कर चुका है. क्राइम ब्रांच को अब तक ऐसी 12 वेबसाइट का पता चल चुका है और ठगी का शिकार हुए करीब एक हजार लोगों से संपर्क कर चुकी है.पुलिस ने नोएडा में दबिश देकर आरोपियों के कब्जे से 6 लैपटॉप, 21 पेन ड्राइव, 8 एक्टिवेटेड सिम, 19 डेबिट कार्ड, 25 मोबाइल फोन और वेबसाइट संबंधी डॉक्यूमेंट जब्त किए हैं. गाजियाबाद का रहने वाला डेविड कुमार जाटव (21) बीकॉम तक पढ़ा है. डेविड आरडी-1 वेब सॉल्यूशन नाम से आईटी कंपनी चलाता है. डेविड ही लोन देने के लिए फर्जी वेबसाइट बनाता था. उसके कॉल सेंटर में 50 युवतियां काम करती थीं. वहीं उत्तराखंड की रहने वाली नेहा भट्ट डेविड की मंगेतर है. वह अगस्त 2018 से डेविड के साथ काम कर रही हैं. नेहा ही डेविड की फर्जी कंपनियों के प्रबंधन का काम देखती हैं. वहीं मनीषा भट्ट (27) नेहा की बहन है. मनीषा ग्राहकों को फोन करने वाले कॉल सेंटर का मैनेजमेंट का काम देखती थी.
इस मामले में मुख्य आरोपी डेविड द्वारा फर्जी वेबसाइट डेवलप कर गूगल के माध्यम से विज्ञापन देता था. जब ग्राहक लोन के लिए अपनी पर्सनल डीटेल अपलोड करते थे, तब कंपनी के कॉल सेंटर से उन्हें कॉल करके युवतियां उनसे अलग-अलग चार्जेस के नाम पर 30-40 हजार रुपये फर्जी बैंक खातों में ट्रांसफर करा लेती थीं. इस मामले में आरोपी औसतन 1000-1200 लोगों को ठग कर वेबसाइट को दो से ढाई महीने में बंद कर देते. गिरोह ने दो कॉल सेंटर नोएडा में डेढ़ लाख रुपये प्रतिमाह के किराए पर ले रखे थे. 10-15 हजार रुपए मासिक वेतन पर यहां युवतियों को रखा जाता था जो हर ग्राहक का रिकॉर्ड साफ्ट कॉपी में एक्सल में नोट करती थीं. इनके परीक्षण करने पर ही खुलासा हुआ है कि आरोपियों ने 10 हजार लोगों से 10 करोड़ रुपए से अधिक की ठगी की है.
मण्डला मध्यप्रदेश से जितेंद्र श्रीवास की खबर हमसे जुड़ने व खबर हेतु छत्तीसगढ़ 9425569117