छत्तीसगढ़

गणेश चतुर्थी विशेष- ज्योतिष

*गणेश चतुर्थी विशेष- ज्योतिष*
“गणेश” शब्द दो शब्दों के योग से बना है -गण + ईश से मिलकर बना है जिसमे गण का अर्थ समूह तथा ईश का अर्थ  स्वामी या मुखिया होता है अर्थात गणों के स्वामी को गणेश कहा जाता है।
अतः कोई परिवार का गणेश है कोई समाज का गणेश है कोई राज्य का और कोई राष्ट्र का गणेश है अतः इन सभी गणेशो को भगवान गणेश से प्रेरणा लेनी चाहिए- भगवान गणेश को सुमुख कहा जाता है सुन्दर मुख वाला उसे कहा जाता है जो मृदुभाषी हो और धैर्यवान और ज्ञानवान हो जो प्रत्येक परिस्तिथियो में मुस्कराना जानता हो।

गणेश जी की वन्दना प्रसंग में
 सुमुख्श्चैक द्न्तश्च कपिलो गजकर्णकः लम्बोदरश्चविकटो विघ्ननाशो विनायकः।।

गणेश जी को एकदंत कहा जाता इसका बड़ा गहरा संकेत है मनुष्य के खाने और दिखाने के अलग अलग दाँत होते है अर्थात मनुष्य का स्वभाव आडम्बर युक होता है किन्तु गणेश जी आडम्बर रहित है उनके खाने के और दिखाने के एक ही दाँत  है।

गजकर्णकः (सूक्ष्म आँख वाले) – सूक्ष्म दृष्टि  अर्थात किसी भी क्षेत्र के मुखिया को गणेश जी की तरह सूक्ष्म दृष्टि से युक्त होना चाहिए कि मेरे राज्य में कोई भूखा तो नही है इसका ध्यान रखना चाहिए तथा किसी भी विषय का सूक्ष्म अवलोकन करना चाहिए।

सूर्प कर्णकः- सूप की तरह बड़े कान का अर्थात मुखिया या प्रधान व्यक्ति को कच्चे कान का नही अपितु बड़े कान का होना चाहिए जिससे हम किसी की बातो को सुनकर मनन कर सत्यता की जानकारी प्राप्त कर
 सके।
‘साधू ऐसा चाहिए जैसा सूप सुभाव
सार सार को गहै लेय थोथा देय उडाय’।।

लम्बोदरं- लम्बा है उदर  जिसका अर्थात बडा पेट का- अर्थात पहाड़ो जैसी विपत्ति को भी पेट के माध्यम से पचा जाये है। समस्याओ का ढोल बजाकर  विज्ञापन न करे।

भाल चन्द्र- जिसके मस्तक में चन्द्रमा विराजमान हो। अभिप्राय यह है कि मुखिया या प्रधान व्यक्ति को चन्द्रमा की तरह शीतल होना चाहिए शांत चित्त में ही उचित निर्णय लेना सम्भव है।

गजाननम- विशाल मस्तक मनुष्य को भव्य एवं कल्याणकारी विचार ग्रहण करने की प्रेरणा देता है।

लम्बी नाक या सूंड- लम्बी नाक प्रतिष्ठा व् किसी संकट को सूंघने की प्रेरणा देता है।

छोटा मुह- कम बोलना एवं मधुर वचन बोलने की प्रेरणा देता है।

परशु- आत्म नियंत्रण एवं विघ्नों के विनाश की प्रेरणा देता है।
वरद मुद्रा – मानव मात्र के शुभ और कल्याण की प्रेरणा देता है।
मूषक वाहनः-चूहा जिसकी सवारी हो अर्थात चूहा तर्क का प्रतीक है और गणेश जी ज्ञान के प्रतीक आशय यह है कि ज्ञान को तर्क पर सवार होना चाहिए अर्थात ज्ञान तर्क युक्त होना चाहिये।
आज भी अधुनातन समय में कम्प्यूटर या लैपटॉप में mouse उपयोग किया जाता है। आखिर उसे cat क्यों नही कहा जाता अभिप्राय यही है कि कम्प्यूटर ज्ञान का भंडार है ज्ञान का प्रतीक है और ज्ञान को तर्क रूपी चूहे में सवार होना ही उसकी शोभा है।
चूँकि गणेश जी अपनी बुद्धि कौशल्य के द्वारा अपने माता पिता अर्थात शिव पार्वती की तीन प्रदक्षिणा लगाकर तीनो लोक की परिक्रमा का सर्व श्रेष्ठ स्थान प्राप्त किया 33 कोटि देवताओ के गणाध्यक्ष बनने का  प्रथम पद प्राप्त किया।
सभी देवताओ में अग्र पूज्य बन गये। तभी से गणेश जी की सर्व प्रथम पूजा होती है।

गणेश अर्थात व्यक्तित्व का निर्माण और जीवन में जब गणेश जी जैसे मंगलकारी प्रसन्नता से भरे हमारे व्यक्तित्व का निर्माण होता है तो जीवन के आँगन में रिद्धि सिद्धि की बरसात होती है और वह सम्पत्ति शुभ लाभ दायक होती है।

भाद्र शुक्ल चतुर्थी से भाद्र शुक्ल अन्नंत चतुर्दशी तक दस दिनों के “गणेशोत्सव” पावन पर्व की अनंत शुभकामनाएँ एवं हार्दिक मंगल बधाईयाँ…

ज्योतिष कुमार सबका संदेश डॉट कॉम

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