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जम्मू और कश्मीर गौ रक्षा समिति जम्मू कश्मीर की जनता को श्रीराधाष्टमी की बहुत बहुत बधाई

राज कुमार गुप्ता। (अध्यक्ष) जम्मू और कश्मीर गौ रक्षा समिति जम्मू कश्मीर की जनता को श्रीराधाष्टमी की बहुत बहुत बधाई कृष्ण जन्माष्टमी के पंद्रह दिन बाद राधाअष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। राधा रानी का जन्मोत्सव भादों माह शुक्लपक्ष की अष्टमी को श्रीराधाष्टमी के रूप में मनाया जाता है। श्रीकृष्ण को आम भक्त राधे-कृष्ण कहकर ही पुकारते हैं। ये दो नाम एक दूसरे से हमेशा के लिए जुड़ गए हैं। राधा रानी के बिना कृष्ण जी की पूजा अधूरी मानी गई है। धार्मिक मान्यता है कि राधाष्टमी के व्रत के बिना कृष्ण जन्माष्टमी के व्रत का पूरा पुण्य प्राप्त नहीं मिलता है। राधाअष्टमी के दिन राधा और कृष्ण दोनों की पूजा की जाती है।राधा अष्टमी भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की तरह मनायी जाती है। इस दिन श्रीराधा जी के विग्रह को पहले पंचामृत से स्नान कराया जाता है। फिर उनका श्रृंगार किया जाता है। कहीं कहीं राधा जी के जन्म के लिये प्रसूति गृह भी बनाया जाता है। इसके बाद राधा जी का श्रृंगार होता है। व्रत के दिन श्रीराधा जी की धातु की प्रतिमा का पूजन करने के बाद, उसे किसी ब्राह्मण को दान करने की परंपरा है। कहते हैं कि श्रीराधाष्टमी का व्रत करने वाला भक्त,श्रीराधा का रहस्य जान लेता है और उसे श्रीराधा के दर्शन होते हैं। श्रीराधा जी अपने भक्त को दर्शन देकर जन्म मरण के बंधन से मुक्ति दे देती हैं। नवीन पाल 10 राज कुमार गुप्ता। (अध्यक्ष) जम्मू और कश्मीर गौ रक्षा समिति

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