छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

विश्वगुरु प्रज्ञानानंद गिरी का होगा दुर्ग आगमन

एलआईजी ग्राऊंड पद्मनाभपुर में 27 मार्च से होगा आयोजन,

क्रियायोग साधना शिविर का लोगों को मिलेगा लाभ

दुर्ग। क्रियायोग के विश्वगुरु परमहंस प्रज्ञानानंदगिरी महाराज दुर्ग आएंगे। वे यहां प्रज्ञानालय क्रियायोग आश्रम द्वारा कालीबाड़ी एलआईजी ग्राउंड पद्मनाभपुर में 27 मार्च से 29 मार्च तक आयोजित सत्संग सभा में श्रीमद् भागवत गीता के कथाओं का श्रद्धालुओं को रसपान करवाएंगे। उनका यह प्रवचन प्रतिदिन शाम 5 बजे से रात्रि 8 बजे तक चलेगा। प्रवचन कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर विधायक अरुण वोरा, महापौर चंद्रिका चंद्राकर विशेष रुप से उपस्थित रहेगी। इसके अलावा क्रियायोग के विश्वगुरु परमहंस प्रज्ञानानंदगिरी महाराज के मार्गदर्शन में प्रज्ञानालय क्रियायोग आश्रम, ओल्ड एलआईजी-297 पद्मनाभपुर में पांच दिवसीय विशेष क्रियायोग साधना शिविर का श्रद्धालुओं को लाभ मिलेगा। 27 मार्च से शुरु होकर 29 मार्च तक आयोजित शिविर प्रतिदिन प्रात: 6 बजे से रात्रि 9 बजे तक चलेगा। जिसके लिए समय का निर्धारण किया गया है। जिसके तहत सुबह 6 बजे से ध्यान, सुबह 9 बजे से सुबह 11 बजे तक सत्संग, सुबह 11.30 से 12.30 बजे तक ध्यान एवं अन्य धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए गए है। क्रियायोग के विश्वगुरु प्रज्ञानानंद गिरी महाराज के दुर्ग आगमन से उनके अनुयायियों एवं श्रद्धालुओं में उत्साह का माहौल है। जिसके चलते प्रवचन व क्रियायोग साधना शिविर में प्रदेशभर से हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं के जुटने की संभावना है। फलस्वरुप आयोजन समिति द्वारा भव्य तैयारियां की गई है। यह बातें प्रज्ञानालय क्रियायोग आश्रम पद्मनाभपुर की प्रमुख स्वामी श्री धरानंद गिरी ने सोमवार को पत्रकारों से चर्चा में कही। इस दौरान आश्रम के अध्यक्ष संतराम स्वर्णकार, सचिव प्रहलाद त्रिवेदी, संरक्षक लता चंद्राकर, कोषाध्यक्ष मातादीन तुमरेकी, सहसचिव गजानन सूर्यवंशी, संगठन सचिव नीलमणि शुक्ला भी मौजूद थे।

प्रज्ञानालय क्रियायोग आश्रम पद्मनाभपुर की प्रमुख स्वामी श्री धरानंद गिरी ने चर्चा में बताया कि क्रियायोग का वर्णन वेदों, उपनिषदों, श्रीमद्भागवत् महापुराण, महाभारत, पंतजलि योगदर्शन में ईश्वर प्रणिधान क्रियायोग लिखा हुआ है। क्रियायोग की साधना से न केवल योगी, सन्यासी ही बल्कि गृहस्थजन भी सहजता से निर्विकल्प समाधि (परमहंस अवस्था) प्राप्त कर सकते है। क्रियायोग ध्यान दिव्य जीवन कला का एक शक्तिशाली एवं अनुभूत विज्ञान है। शारीरिक, मानसिक एवं बौद्धिक स्तर पर मानवीय जीवन में दिव्य उपलब्धि का प्रवेश द्वार है। यह हमारे शरीर में अविरल गतिशील श्वास प्रवाह को ब्रह्माण्ड से एकाकार कराने की विधि है। क्रियायोग में शारीरिक व्यायाम, आसन एवं ध्यान करने की कला सिखाया जाता है। क्रियायोग वेबसाइट में जाकर विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते है। क्रियायोग पाश्चात्य देशों जैसे इग्लैण्ड, अमेरिका, आस्ट्रेलिया, आस्ट्रिया, हालैण्ड, ब्राजील, न्यूजीलैण्ड एवं और भी अनेक देशों में प्रचलित है। क्रियायोग व्यायाम, आसन एवं ध्यान करने से हमारा शरीर और मन दोनों स्वस्थ रहते है जो अध्यात्ममार्ग में चलने को सुलभ बनाते है। इस क्रिया को प्रतिदिन अपने घर में अपने परिवार के साथ कर सकते है। कहीं आने-जाने की आवश्यकता नहीं है। टेक्निक सीखने के लिए आपको आश्रम में कुछ समय देना पड़ेगा। शारीरिक स्वास्थ्य की गड़बड़ी जैसे पेट की गड़बड़ी, किडनी की शिकायत, ब्लड प्रेशर, शुगर जैसी बीमारियां नहीं होती, और यदि कहीं आपको है भी तो वे नियंत्रण में रहेगी।

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