अतिथि व्याख्याता संघ छत्तीसगढ़ ने किया नि: शुल्क असाइनमेंट मूल्यांकन की घोषणा*
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*अतिथि व्याख्याता संघ छत्तीसगढ़ ने किया नि: शुल्क असाइनमेंट मूल्यांकन की घोषणा*
रायपुर।
अतिथि व्याख्याता संघ छत्तीसगढ़ के राज्य समन्वयक डॉ दुर्गा शर्मा, शंशाक राव, भानु प्रताप आहिरे ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया है कि प्रदेश के सभी महाविद्यालयों के अतिथि व्याख्याता असाइनमेंट मूल्यांकन का कार्य निशुल्क रूप से करेंगे।
छात्रहित में लिया जाने वाला यह फैसला पूर्णतः स्वैच्छिक है, इससे प्राचार्यों को लिखित आदेश निकालने का दबाव नहीं रह जायेगा। ज्ञात हो कि अतिथि व्याख्याताओं को माननीय उच्च न्यायालय द्वारा सेवा यथावत रूप से सुरक्षित किया जा चुका है।
इसके बावजूद प्रतिवर्ष प्राचार्य शासन का आदेश पढ़कर ही नियुक्ति देते हैं तथा निकालते वक्त किसी भी प्रकार की आदेश का प्रतिक्षा भी नहीं करते हैं।
फ़रवरी माह में स्नातक महाविद्यालयों के अतिथि व्याख्याताओं को सेवा मुक्त कर दिया गया है जिनकी नियुक्ति पर अभी भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर स्नातकोत्तर महाविद्यालयों के अतिथि व्याख्याताओं को लॉकडाउन के वजह से सेवा बंद करनी पड़ी। जिसके बाद ऑनलाइन कक्षा संचालन का भुगतान कुछ महाविद्यालयों ने आधा किया है और वहीं कुछ प्राचार्य तो अब तक भुगतान नहीं किए हैं।
कोविड19 की इस द्वौर में असाइनमेंट के माध्यम से जनरल प्रमोशन का कार्य प्रगति पर है सत्र् भर अध्यापन कार्य करने वाले अतिथि व्याख्याताओं को प्राचार्यों द्वारा मौखिक आदेश पर बुलावा भेजा जा रहा है। व्याख्याता लिखित आदेश की मांग कर भी रहे हैं तो प्राचार्य उसे एक सिरे से नकार दे रहे हैं। ऐसे में छात्रों के मूल्यांकन कार्य में कठिनाई उत्पन्न हो रही है छात्रों का भविष्य खतरें में पड़ रहा है। इसकी वजह से पांच संभागों के अतिथि व्याख्याताओं ने संयुक्त रूप से सहमति देते हुए छात्र हितों के लिए निःशुल्क मूल्यांकन कार्य का संकल्प लिया है।
राज्य समन्वयक डॉ दुर्गा शर्मा ने बताया है कि छत्तीसगढ़ राज्य में एक ओर तो लाखों का वेतन प्रतिमाह पाने वाले सहायक प्राध्यापक भी उच्च शिक्षा विभाग के ही वहीं उसी पद के विरूद्ध कार्यरत अतिथि व्याख्याता दिहाड़ी वेतन 800रूपय पाता है जिसे कभी संवैतनिक अवकाश का लाभ नहीं मिलता 6-7 माह की बेरोजगारी झेलनी पड़ती है। इसके बावजूद भी अतिथि व्याख्याताओं के संदर्भ में मांसिक वेतनमान, 11माह की अवधि तथा स्थानांतरण से सुरक्षित स्थिति जैसी बुनियादी मांगों पर भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। उच्च शिक्षा में ही संवैधानिक मौलिक अधिकार समान कार्य समान वेतन का घनघोर उलंघन होता है। उच्च शिक्षा जैसी व्यवस्था में असमानता का दंश झेल रहे अतिथि व्याख्याता सरकार से गुहार लगाकर 2011-12के नियमों में बदलाव चाहते हैं।
राज्य समन्वयक भानु प्रताप आहिरे ने कहा है कि हमें छत्तीसगढ़ सरकार से पूर्ण भरोसा है विश्वास है कि माननीय मुखिया जी अतिथि व्याख्याताओं की तीनों मांगों पर ध्यान देते हुए सीघ्र ही सुरक्षित स्थिति प्रदान करेंगे। भूपेश सरकार जनहित के फैसले में अव्वल है तथा लोककल्याण की दृष्टि कोण से छत्तीसगढ़ पूरे भारत में एक अलग पहचान रखता है माननीय मुख्यमंत्री की दूर दृष्टि की वजह से ही अन्य शैक्षणिक विभागों के अधिकारी/कर्मचारियों को न्याय पूर्ण वेतनमान दिया जा रहा है सीघ्र ही अतिथि व्याख्याताओं को भी सम्मानजनक वेतन प्राप्त होने की संभावना है।
इसी उम्मीद के साथ पांचों संभाग के अतिथि व्याख्याताओं ने एवं जिला प्रभारियों ने भी एक मत से असाइनमेंट मूल्यांकन का कार्य निशुल्क करने का फैसला लिया है जिसे सभी महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालयों को मेल द्वारा सूचित कर दिया गया है।