धर्म

मन की शांति!सबसे बड़ा उपहार-ज्योतिष* जानिए कैसे प्राप्त करें

*मन की शांति!सबसे बड़ा उपहार-ज्योतिष*
जानिए कैसे प्राप्त करें?
मन की शांति सब चाहते हैं। ढूंढते हैं, मेहनत करते हैं, परंतु वह मिलती नहीं। फिर समझ भी नहीं पाते, कि मन की शांति कब कहां और कैसे मिलेगी?
मुझे बहुत से लोग मिलते हैं, जो ऐसा कहते हैं, कि महाराज ! हमारे घर में ईश्वर का दिया हुआ सब कुछ है, बस एक मन की शांति नहीं है। कुछ उपाय बताएँ।
लीजिए उपाय बताता हूं कि मन की शांति कैसे मिलेगी? इसके लिए आपको तीन काम करने होंगे। एक – तपस्या, दूसरा – संतोष का पालन, और तीसरा – ईमानदारी से काम करना। इन्हीं से शांति मिलती है। और ये तीनों काम आप स्वयं ही कर सकते हैं। अर्थात् यदि आपको शांति चाहिए, तो वह आपके ही हाथ में है। यदि आप ये तीन काम करेंगे, तो ईश्वर आपको शांति अवश्य देगा।
तपस्या का अर्थ है, जीवन में जो भी सुख-दुख आवे और उसे सहन करना पड़े, तो प्रसन्नता से सहन करें. सहन तो करना ही पड़ेगा। दूसरा कोई विकल्प नहीं है। उदाहरण – मान लीजिए, बिजली चली गई। आपको सूचना भी मिल गई, कि बिजली 2 घंटे बाद आएगी। आपके पास इनवर्टर आदि और कोई साधन भी नहीं है, अब 2 घंटा बिना बिजली के ही बिताना पड़ेगा। इस स्थिति में यह गर्मी का दुख आप को भोगना ही है। तो इसको भोगने के दो तरीके हैं।
पहला – प्रसन्नता से भोगें। और दूसरा – दुखी होकर भोगें। यदि आप प्रसन्नता से इस दुख को स्वीकार कर लेते हैं, और अपने मन में 3 शब्द दोहरा लेते हैं, कोई बात नहीं, थोड़ी गर्मी सहन कर लेंगे। अभी 2 घंटे में तो बिजली आ ही जाएगी.तो ऐसे प्रसन्नता से सहन करने पर आप दुखी नहीं होंगे, या बहुत कम दुखी होंगे।
और यदि यह सोचेंगे कि क्या मुसीबत है, 2 – 2 घंटे तक बिजली चली जाती है, बिजली वाले लोग बड़े लापरवाह हैं। जनता की समस्याओं पर ध्यान नहीं देते। सबको कितनी परेशानी होगी, इस बात का जरा भी विचार नहीं करते यदि बिना बिजली के दो घंटा बिताएंगे, तो आपका दुख और अधिक बढ़ जाएगा। तब भी गर्मी का दुख तो भोगना ही पड़ेगा, चाहे मजबूरी में ही सही। तब न तो दुख छूटेगा, और न ही कम होगा।
इसलिए उस गर्मी के दुख को पहले वाले तरीके से अर्थात् प्रसन्नता से सहन करें। आपको बहुत कम कष्ट होगा। इसका नाम है तपस्या। इससे आपकी मन की शांति बनी रहेगी।
दूसरा काम है, संतोष का पालन करना। इसका अर्थ है कि अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए पुरुषार्थ पूरा करें, और जितना फल मिले, उतने में खुश रहें। इसे कहते हैं संतोष का पालन करना.
और तीसरा काम है, अपना काम सच्चाई और ईमानदारी से करना। जो व्यक्ति अपने कर्तव्य का पालन ईमानदारी से करता है, जिसको जो वचन देता है उसे ठीक समय पर पूरा निभाता है, ऐसे व्यक्ति को शांति मिलती है। यह है ईमानदारी से काम करना।
यदि इतना कर लेंगे, तो निश्चित रूप से आपको मन की शांति मिलेगी। अर्थात् मन की शांति प्राप्त करना या न करना, यह आपके अपने ही हाथ में है। इसलिये ऊपर बताए तीन उपायों का प्रयोग करें, मन की शांति प्राप्त करें, और आनंद से जिएं।
– स्वामी विवेकानंद ,सबका संदेश डाट कॉम

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