छत्तीसगढ़

पी. जी. कालेज में औषधि वाटिका का निर्माण!

 

पी. जी. कालेज में औषधि वाटिका का निर्माण!

भानुप्रतापदेव शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, कांकेर के राष्ट्रीय सेवा योजना एवं पतंजलि योग समिति कांकेर के संयुक्त तत्वाधान में प्राध्यापकों द्वारा गंदगी मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत सफाई, वृक्षारोपण जल संरक्षण आदि अभियान चलाया जा रहा है | इसी क्रम में आज महाविद्यालय परिसर में वाटिका की साफ सफाई किया गया तथा औषधि पौधों का रोपण किया गया | महाविद्यालय परिसर में सामाजिक दुरी के नियमों का पालन करते हुए प्राचार्य डॉ के. आर. ध्रुव के मार्गदर्शन में रा.से.यो. कार्यक्रम अधिकारीद्वय डॉ मनोज राव व डॉ जय सिंह के नेतृत्व में महाविद्यालय परिसर में औषधि वाटिका का निर्माण किया गया | पतंजलि योग समिति के योगाचार्य प्रो. बी. समुंद के मार्गदर्शन में ओषधि पौधा सर्पगंधा, निर्गुन्डी, अडूसा, एलोवेरा, पथरचुंड़, पिपली, गुड़मार, पारिजात, विधारा व गिलोय रोपा गया | इस वाटिका का अगले एक वर्ष तक विस्तार व संवर्धन का दायित्व रासेयो व पतंजलि योग समिति ने लिया | इस अवसर पर प्राचार्य ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि इस महामारी कर दौरान प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत करना हमारी प्राथमिकता है | ऐसी स्थिति में औषधि पौधे बेहद महत्वपूर्ण है, ये न सिर्फ वर्तमान समस्या बल्कि अनेक बीमारियों से बचने में कारगर सिद्ध होंगे | योगाचार्य श्री उपेश्वर ठाकुर ने बताया कि निर्गुन्डी के पत्ते को काड़ा बनाकर पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने, रीड़ की हड्डी में सूजन को कम करने तथा एलर्जी को दूर करने में कारगर होता है | गिलोय के डंठल से रोग प्रतिरोधक क्षमता, सर्दी, खासी, माइग्रेन व शुगर को नियंत्रित करने, खून बढ़ाने का काम सहित बहुआयामी उपयोग है | अडूसा के पत्ते को काड़ा व हृदय रोग को दूर करने में इस्तेमाल किया जाता है | पिपली के फल से ओषधि व मसाला बनाया जाता है | सर्पगंधा के कंद से शक्तिवर्धक दवाएं, विधारा के पत्ते से घावों को जल्दी से भरने में इस्तेमाल करते है | पारिजात के पत्ते से आर्थराइटिस व इसके फूल से चाय के रूप में हृदय रोग में इस्तेमाल किया जाता है | पथरचुंड़ के पत्ते को छोटी पथरी को गलाने में इस्तेमाल किया जाता है | इस अभियान में महाविद्यालय के प्राध्यापकगण डॉ. डी.एल.पटेल, प्रो.शरद ठाकुर, प्रो. नवरतन साव, स्वयंसेवक छात्रा शिल्पा साहू, कर्मचारी कांति का विशेष योगदान रहा |

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