छत्तीसगढ़

सुखी होने के लिए उतना ही धन कमाएँ, जितना आवश्यक है

**सुखी होने के लिए उतना ही धन कमाएँ, जितना आवश्यक है। – ज्योतिष*
आवश्यकता से अधिक धन आपको दुख ही देगा, सुख नहीं।
प्रायः लोग ऐसा मानते हैं कि *हमारे पास जितना धन अधिक होगा, हम उतने ही अधिक सुखी हो जाएंगेे. यह बहुत बड़ी भ्रांति है।
वास्तविकता तो यह है, कि सुख प्राप्त करने के लिए केवल धन और भौतिक साधन ही पर्याप्त नहीं हैं। इसके साथ साथ वेदों की उत्तम विद्या, यज्ञ दान आदि शुभ कर्मों का आचरण, सेवा परोपकार आदि गुण, ईश्वर की भक्ति उपासना इत्यादि भी आवश्यक हैं। इतने साधनों से सुख मिलता है, इनके बिना नहीं ।
परंतु आज भ्रांति वश लोग सिर्फ धन और भोग साधनों के पीछे पड़े हैं, और ऐसा मानते हैं कि *जिसके पास जितना अधिक धन और भोग के साधन होंगे, वह उतना अधिक सुखी हो जाएगा।*यदि यह सत्य होता तो बड़े बड़े धनवान भोग्य पदार्थों के स्वामी ऊंचे ऊंचे पदों पर विद्यमान व्यक्ति अपने अपने क्षेत्र में सफलता प्राप्त व्यक्ति सुखी होते, और आए दिन आत्महत्या नहीं करते। पिछले दो-तीन महीनों में आपने देखा सुना, अनेक फिल्मी सितारों व अन्य सफल व्यक्तियों ने आत्महत्या की। इन प्रमाणों से सिद्ध होता है कि केवल धन आदि भौतिक साधनों से व्यक्ति का जीवन सुखी नहीं होता।
दूसरी ओर, *आप प्राचीन काल के ऋषि-मुनियों के जीवन पर दृष्टि डालें, तो आपको पता चलेगा कि उनके पास भौतिक साधन बहुत सीमित थे, फिर भी वे संसार के लोगों से बहुत अधिक सुखी थे। क्या कारण था? उनके पास वेदों की सच्ची विद्या सेवा परोपकार की भावना, उत्तम शुभ कर्मों का आचरण ईश्वर भक्ति उपासना इत्यादि कारण थे, इन कारणों से वे सुखी थे। आज भी आप परीक्षण करना चाहें, तो कर सकते हैं। जो लोग आज भी वैदिक अध्यात्म मार्ग पर चल रहे हैं, भले ही उनके पास धन संपत्ति बहुत कम है, फिर भी वे लोग संसारी धनवान लोगों से बहुत अधिक सुखी हैं।
जितना जितना संसारी मनुष्यों के पास धन बढ़ता जाता है, उतना उतना उनकी इच्छाएँ चिंताएं तनाव और दुख भी बढ़ता जाता है।
इसलिए इन दोनों का समन्वय करें। आध्यात्मिक गुणों को भी धारण करें, तथा भौतिक धन भी अवश्य कमाएं, परंतु सीमा का ध्यान रखें। *जिस व्यक्ति कोे आवश्यकता पूर्ति के लिए भी धन नहीं मिला, वह भी दुखी है। और जिसके पास आवश्यकता से अधिक धन जमा हो गया, वह भी दुखी है। इसलिये मध्यम मार्ग को अपनाएं।*पहले तो अधिक धन कमाएँ ही नहीं। और यदि आपकी आवश्यकता से अधिक धन आ जाए, तो उस अधिक धन (सरप्लस मनी) को बांट दें। अन्यथा वह अधिक धन आपको शांति से जीने और सोने नहीं देगा। अतः धन के साथ साथ, उत्तम गुणों सेवा परोपकार ईश्वर की भक्ति उपासना आदि को भी अपनाएं और सुखी जीवन जीएँ।
– *सबका संदेश डॉट कॉम*

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