प्रशासन थोक व्यापारियों पर कसे नकेल, छोटे दुकानदारों से एक, दो, पांच व दस का नही ले रहे सिक्का
इसलिए ग्राहक से छोटे और चिल्हर दुकानवाले सिक्का देने वालों से कर रहे हैं नोकझोक
सिक्का की आड़ में सामानों का दाम बढाने का भी चल रहा है व्यापारियों का खेल
छोटे व्यापारियों के लिए सिक्के बन रहे है जी का जंजाल
भिलाई। बड़े थोक व्यापारी फिर एक बार चिल्हर और छोटे दुकानदारों से सिक्का नही लेकर उनसे नोकझोंक कर सामानों का रेट बढाने का एक बार फिर खेल खेलना शुरू कर दिये जिस प्रकार पिछले बार बडे व्यापारी 25 और 50 पैसे का सिक्का बंद नही होने के बावजूद अपनी मर्जी से लेना बंद कर दिये थे और शासन द्वारा बड़े व्यापारियों पर कोई कार्यवाही नही किये जाने के कारण बाद में जितने भी 25 से 50 पैसा के दर का सामान था उसको बढाकर 1 रूपये कर दिये थे, फिर उसी प्रकाश से बड़े थोक व्यापारी इसी प्रकार का फिर खेल खेलने का प्रयास कर रहे है। पिछले बार जिस प्रकार प्रशासन ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया था कि जो सिक्क नही ले रहा है उससे लिखित रूप से सिक्क नही लेने की बात कहते हुए उसके बाद कार्यवाही करने कहा गया था, जिसका फायदा दुकानदार उठाये क्योंकि सीधा दुकानदारों का कहना था कि हम सामान नही देंगे एक का सिक्का दो या नोट दो तब सामान देंगे। आम आदमी मजबूरी वश समान लेने के लिए एक का सिक्का या नोट देता था, वही स्थिति फिर एक बार शुरू हो गया है।
शहर के छोटे-छोटे व्यापारियों के लिए सिक्कों का लेनदेन जी का जंजाल बन रहा है। बड़े व्यापारी एक, दो, पांच व दस के सिक्के खरीददारी के दौरान लेने से गुरेज कर रहे हैं। इस स्थिति के चलते ग्राहक और दुकानदारों के बीच प्रतिदिन नोकझोंक हो रही है। आम जनता व दुकानदारों को एक, दो, पांच व दस रुपए के सिक्के को लेकर काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसको लेकर दुकानदार व ग्राहकों के बीच रोज त-तू मैं-मैं होना आम बात हो गई है। खासकर गली मोहल्ले में परचुन की दुकान लगाने वालों के साथ चाय व पान ठेला वालों को भारी दिक्कत उठानी पड़ रही है। ऐसे दुकानदारों का कारोबार चिल्हर पर निर्भर रहता है। लोग एक, दो, पांच व दस रुपए के सिक्के देकर अपनी छोटी-छोटी खरीदारी करते हैं। लिहाजा धीरे-धीरे सिक्कों के रूप में ऐसे दुकानदारों के पास अच्छी खासी रकम एकत्रित हो जाती है। इस रकम को लेकर जब वे थोक व्यापारी के पास सामान खरीदने जाते हैं तो सिक्कों के लेने से साफ इंकार कर दिया जा रहा है। इस स्थिति के चलते जब वे ग्राहकों से सिक्का लेने से इंकार करते हैं तो नोंकझोक की नौबत आ रही है। अब तो आम नागरिक भी दुकानदारों से सिक्का लेने से तौबा करने लगे हैं। प्रशासन को इस मामले में तुरंत कोई कदम उठाना चाहिए, एक तो लॉकडाउन और कोरोना के कारण लोगों की हालत ऐसे ही खराब है, जो कुछ गरीब लोग गुल्लक और इधर उधर सिक्कों को बचा कर रखे थे, उसे अब वे रूपये नही होने के कारण खर्च कर रहे है लेकिन बडे व्यापारी इसको लेकर चिल्लहर दुकानदार और छोटे दुकानदार से सिक्का नही लेकर परेशान कर रहे हैँ।
खास बात यह भी है कि सिक्कों का प्रचलन बंद हो जाने को लेकर शासन-प्रशासन और न ही रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से कोई स्पष्टीकरण जारी नहीं किया गया है। बावजूद इसके शहर के थोक व्यापारियों का कहना है कि सिक्के लेने से बैंक वाले भी मना कर रहे हैं। ऐसे में उनके पास ग्राहक और छोटे व्यापारियों से सिक्के लेने से परहेज करने के सिवाय दूसरा रास्ता बचता नहीं है।
ज्यादातर दुकानदारों के पास सिक्कों का अंबार लगा हुआ है। इन्हें खपाने के लिए अलग-अलग मूल्य के सिक्कों को सेलोटेप से गड्डी बनाकर चलाने का प्रयास किया जा रहा है। वहीं आम ग्राहकों से सामान के बदले सिक्के स्वीकार करने में आनाकानी भी की जा रही है। लघु बचत योजना के तहत प्रतिदिन कलेक्शन करने वाले पोस्ट आफिस के एजेंट भी सिक्के नहीं ले रहे हैं।
यहां पर यह बताना भी लाजिमी होगा कि कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए अभी हाल ही में भिलाई-दुर्ग में लॉकडाउन का सामना व्यापारियों ने किया है। इस दौरान मटन, मछली, चिकन, दूध, सब्जी, फल और दवाई की दुकाने निर्धारित समयावधि में खुल रही है। इन दुकानों में सिक्के लेकर खरीददारी करने वालों का साफ इंकार करते हुए नोट मांगा जा रहा है।
दस के सिक्को को लेकर हमेशा होते रह है बवाल
दस के सिक्के को लेकर भिलाई दुर्ग को छोड़कर हर जगह हमेशा बवाल होते रहा है, सबसे अधिक तो दस के सिक्कों के लेकर रायपुर के बडे व्यापारी छोटे व्यापारी से सिक्का नही लेकर परेशान करना शुरू किया लेकिन प्रशासन केवल केवल यह समाचार जारी करवाते रहा कि दस का सिक्का बंद नही किया गया लेकिन कभी किसी पर कार्यवाही नही किये। उसका नतीजा सामने है कि रायपुर में आज भी कोई दस का सिक्का नही ले रहा है चाहे कुछ भी हो जाये। यदि किसी व्यक्ति के पास दस का ही सिक्का है बाकी कोई नोट नही है तो सिटीबस और टेम्पो सहित अन्य वाहन वाले उसको अपने वाहन में नही बिठाते जिसके कारण मजबूरीवश लोगों को पैदल जाना पड़ता है, वहीं स्थिति अब धीरे धीरे भिलाई में भी होती जा रही है। इसलिए शासन और प्रशासन को सिक्का नही लेने के मामले में कड़ी कार्यवाही किया जाना आवश्यक है।
सिक्कों को लेकर मंदिरों के पुजारी भी है मायूस
शहर के मंदिरों सहित अन्य धार्मिक केन्द्रों में अभिषेक पूजन का दौर चल रहा है। कोरोना संक्रमण के आशंका को देखते हुए पूजन विधान को लेकर कुछ नियम व शर्ते लागू है। लेकिन दान दक्षिणा के रूप में भक्तों के द्वारा सिक्के चढ़ाये जाने से मंदिरों के पुजारियों में मायूसी छिपाये नहीं छिप रही है। शहर के अनेक मंदिर व धार्मिक आस्था के केन्द्रों का संचालन समितियों के माध्यम से हता है। ऐसे समिति के पदाधिकारियों को दान के रूप में एकत्रित हो रही सिक्कों का उपयोग करने में भी भारी अड़चन हो रही है।