पकने से पहले उतर गई जकांछ-बसपा गठबंधन की हांडी

सबका संदेश न्यूज छत्तीसगढ़ रायपुर- छत्तीसगढ़ में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जकांछ) के गठबंधन की हांडी पकने से पहले उतर गई है। राजनीतिक गलियारे में इसे लेकर चर्चा गरम है।
हालांकि, दोनों दलों के नेताओं का कहना है कि अभी उम्मीद की किरण बची हुई है। जकांछ सुप्रीमो अजीत जोगी होली के बाद कोरबा, बिलासपुर के साथ कम सीटों के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती से चर्चा करने वाले हैं। मतलब, जोगी की तरफ से गठबंधन को बचाने का एक प्रयास होगा।
जकांछ और बसपा के गठबंधन के पीछे की सच्चाई यह है कि दोनों दलों के सुप्रीमो का अपना-अपना स्वार्थ था। जोगी पहली बार अपनी पार्टी के साथ विधानसभा चुनाव मैदान में उतरे थे। उन्हें बैशाखी की जरूरत थी, ताकि उसके सहारे खुद को तीसरी शक्ति साबित कर सकें।
उनके पास बसपा से अच्छा विकल्प नहीं था। इधर, बसपा सुप्रीमो मायावती को लोकसभा चुनाव से मतलब था। इस कारण उन्होंने विधानसभा चुनाव में जकांछ के लिए ज्यादा सीटें छोड़ दी थीं। जकांछ 55 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। बसपा को 45 विधानसभा सीटें मिली थीं, उसके बाद उसने दो सीट सीपीआइ के लिए छोड़ दी थी।
इतना ही नहीं, बसपा ने जकांछ के कुछ नेताओं को अपने हिस्से की सीटों पर टिकट दिया था। उस वक्त ही जोगी और मायावती के बीच चर्चा हो गई थी कि लोकसभा चुनाव में बसपा ज्यादा सीट लेगी। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो विधानसभा चुनाव में गठबंधन का फायदा जकांछ को मिला, क्योंकि बसपा तो पहले भी एक या दो सीट ही जीतती रही है।
इस बार भी उसे दो ही सीटें मिलीं, जबकि जकांछ के खाते में पांच विधानसभा सीट चली गई। माना जा रहा है कि मायावती की नाराजगी का दो कारण है। पहला, जकांछ ने बसपा के नेताओं-कार्यकर्ताओं का उपयोग किया, लेकिन जकांछ के नेताओं-कार्यकर्ताओं ने बसपा प्रत्याशियों के लिए काम नहीं किया।
दूसरा, बसपा ने अपने वोट जकांछ प्रत्याशियों को दिलाए, लेकिन जकांछ ने अपने वोट बसपा प्रत्याशियों को दिलाने में मदद नहीं की। हालांकि, जोगी एक बार मायावती से बात करके उनकी नाराजगी को दूर करने की कोशिश जरूर करेंगे, क्योंकि उन्हें लग रहा है कि बसपा का हाथ पकड़कर जकांछ को दिल्ली तक पहुंचाया जा सकता है।
कोटा और मरवाही के कारण दो सीट पर फोकस
कोरबा और बिलासपुर लोकसभा सीट को फोकस करने के पीछे दो कारण हैं। दरअसल, कोरबा लोकसभा सीट के अंतर्गत मरवाही विधानसभा क्षेत्र आता है। मरवाही जोगी की जन्मस्थली है और यह विधानसभा सीट जोगी परिवार का गढ़ भी है।
इस कारण अजीत जोगी खुद कोरबा से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे ही कोटा विधानसभा क्षेत्र बिलासपुर लोकसभा सीट का हिस्सा है। कोटा विधानसभा सीट को कांग्रेस और जोगी परिवार अपना-अपना गढ़ बताते रहे हैं। इसका कारण यह है कि इस सीट से कई दशक से कांग्रेस ही जीतती रही।
जोगी की पत्नी डॉ. रेणु जोगी भी 2008 और 2013 में यहीं से कांग्रेस की विधायक बनीं। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने रेणु जोगी का टिकट काटा, तो जोगी ने उन्हें जकांछ के टिकट से चुनाव लड़ाया और रेणु जोगी फिर से विधायक चुन ली गईं। इस कारण्ा अब जोगी परिवार कोटा को भी अपना गढ़ कहने लगा है।
इनका कहना है
23 मार्च को जकांछ की लोकसभा कमेटी की बैठक बुलाई गई है। उस पर चर्चा होगी, उसके बाद मैं बसपा सुप्रीमो से बात करुंगा। अभी जकांछ और बसपा का गठबंधन टूटा नहीं है, क्योंकि मायावती ने पांच सीट पर प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है।
अजीत जोगी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, जकांछ
बसपा ने छह सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। पांच सीटों को रोककर रखा है। होली के बाद दोनों दलों के अध्यक्षों के बीच चर्चा हो सकती है। गठबंधन टूट गया, अभी ऐसा नहीं कह सकते हैं।
हेमंत पोयाम, प्रदेश अध्यक्ष, बसपा
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