छत्तीसगढ़

जिले में गोधन न्याय योजना के तहत हितग्राहियों को 42 हजार से ज्यादा का भुगतान

जिले में गोधन न्याय योजना के तहत हितग्राहियों को 42 हजार से ज्यादा का भुगतान
गोबर से हुई आमदनी से हितग्राहियों में हर्ष व्याप्त
1391 हितग्राहियों से 284 क्विंटल गोबर की खरीदी की गई
नारायणपुर 06 अगस्त 2020- राज्य शासन की महत्वाकांक्षी योजना गोधन न्याय योजना के तहत जिले के हितग्राहियों के खाते में 42848 रूपये का भुगतान किया गया है। जिसमे नारायणपुर विकासखण्ड एवं नगर पालिका नारायणपुर के अंतर्गत 421 हितग्राहियों को 40128 हजार रूपये का ऑनलाईन भुगतान किया गया। वही ओरछा विकासखण्ड के 59 हितग्राहियों को 2720 रूपये का नकद भुगतान किया गया है। गोबर बेचने से हुई आमदनी से हितग्राहियों में ख़ुशी देखने को मिल रही है। कलेक्टर श्री अभिजीत सिंह के निर्देशन एवं जिला पंचायत सीईओ श्री राहुल देव के मार्गदर्शन में जिले में गोधन न्याय योजना का सफल क्रियान्वयन किया जा रहा है। 
जिले के 2 विकासखंड में अब तक 1391 हितग्राही का पंजीयन किया गया है। शासन के निर्देशानुसार जिले में स्थित गोठानों द्वारा कुल 284 क्विंटल गोबर की खरीदी की जा चुकी है। जिला प्रशासन, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत नारायणपुर तथा समस्त जनपद पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी तथा योजना के वित्तीय क्रियान्वयन हेतु अधिकृत जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित नारायणपुर द्वारा समन्यवय स्थापित कर योजना के प्रथम चरण को पूर्ण कर कुल खरीदी मात्रा 200.64 क्विंटल के 40128 रूपए का भुगतान बीते 5 अगस्त को मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा रायपुर से बटन दबाते ही कृषकों के खातों में राशि जमा हुई।
जिले में बड़ी संख्या में कृषकों का खाता खोलना उनके खातों का सत्यापन करना तथा के.वाय.सी. पूर्ण कर खरीदी मात्रा की राशि का प्रबंधन निर्धारित अवधि में पूर्ण करना एक चुनौती भरा कार्य था। कलेक्टर श्री अभिजीत सिंह तथा मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत राहुल देव के कुशल मार्गदर्शन में यह कार्य पूर्ण किया गया। गोधन न्याय योजना अंतर्गत देश में पहली बार किसी राज्य सरकार द्वारा बहुआयामी योजना प्रारंभ की गई है। गोधन न्याय योजना अंतर्गत गोबर का संकलन कर निर्धारित गोठान में बिक्री होने से ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में हितग्राहियों को आर्थिक लाभ होने के साथ ही संग्रहित गोबर को गौठान के माध्यम से कम्पोस्ट खाद (जैविक खाद) का निर्माण कर सहकारी बैंक की सहकारी समितियों के माध्यम से कृषकों को विक्रय किया जाएगा। इससे कृषि उत्पादन में रासायनिक खादों का प्रयोग भी कम होगा तथा पर्यावरण एवं स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।

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